खंडवा। निमाड़ के प्रसिद्ध संत सिंगाजी के 465वें निर्वाण दिवस पर एक लाख के करीब भक्त जुटे। सिंगाजी की समाधि पर अनोखे पर्यटन जैसा नजारा था। इंदिरा सागर के बैकवाटर में 2 किलोमीटर का रास्ता बना है। इसके बाद सिंगाजी की समाधि है।
पहले सिंगाजी की समाधि नर्मदा से कई किलोमीटर दूर थी। सिंगाजी ने कहा था कि उनकी मां नर्मदा निर्वाण के बाद उनसे मिलने जरूर आएंगी। सिंगाजी की इच्छा भी थी कि मां नर्मदा के किनारे समाधि बने। किसी कारण से ऐसा नहीं हो सका था।
समाधि के चारों तरफ मां नर्मदा
इंदिरा सागर बना तो सिंगाजी की समाधि के चारों तरफ नर्मदा का पानी ही पानी दिखता है। सिंगाजी कलयुग के ऐसे संत थे, जिन्होंने दुधारू जानवरों के बारे में दया भाव की नई परिपाटी लागू की। सामान्य व्यक्ति रहकर उन्होंने इस युग में भी चमत्कार दिखाए। सिंगाजी ने श्रावण की नवमीं के दिन समाधि ली। तब लोगों को पता चला कि यह तो बड़े संत थे।
सीएम यादव के भी आराध्या हैं सिंगाजी
मुख्यमंत्री मोहन यादव भी सीएम पद की शपथ लेते ही सिंगाजी पहुंचे थे। यहां शुद्ध घी के हलवे का प्रसाद बांटा जाता है। घर का बना देसी घी सिंगाजी को चढ़ाया जाता है। जानवरों के प्रति अगाध आस्था के वे प्रतीक हैं। 365 साल से ही उनकी समाधि के पास छाल्पी गांव में अखंड घी की ज्योत आज भी जल रही है।
बड़ा हजूम भक्तों का
मंगलवार के दिन सिंगाजी की समाधि पर लोगों का हजूम देखा गया। आस्था में डूबे लोग आगंतुकों के लिए भोजन नाश्ते और चाय का इंतजाम अपने ही सामर्थ्य पर कर रहे थे।