मुंबई 11 अगस्त (वार्ता) अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मंदी की चपेट में आने की आशंका और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लगातार नौवीं बार नीतिगत दरों को यथावत रखने से निराश निवेशकों की बिकवाली के दबाव में बीते सप्ताह करीब डेढ़ प्रतिशत लुढ़के घरेलू शेयर बाजार की अगले सप्ताह चाल जुलाई की थोक और खुदरा महंगाई के आंकड़ों से तय होगी।
बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1276.04 अंक अर्थात 1.6 प्रतिशत का गोता लगाकर सप्ताहांत पर 79705.91 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 350.2 अंक यानी 1.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24367.50 अंक रह गया।
समीक्षाधीन सप्ताह में दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की मझौली और छोटी कंपनियों के शेयर भी भारी बिकवाली की जद में रहे। इससे मिडकैप 482.96 अर्थात 1.01 प्रतिशत लुढ़ककर सप्ताहांत पर 47192.27 अंक और स्मॉलकैप 1014.92 अंक यानी 1.9 प्रतिशत कमजोर होकर 53614.37 अंक पर बंद हुआ।
विश्लेषकों के अनुसार, भारतीय बाजार में कैरी ट्रेडों के समाप्त होने की चिंताओं से उत्पन्न अनिश्चितताओं से मामूली सुधार हुआ, जो येन के तेजी से बढ़ते मूल्य तथा कमजोर समष्टि आर्थिक आंकड़ों के कारण हुआ। इससे अमेरिका में मंदी की आशंकाएं बढ़ गईं। जापान में मुद्रास्फीति में तीव्र वृद्धि के कारण बैंक ऑफ जापान (बीओजे) द्वारा दरों में तीव्र वृद्धि की संभावना बढ़ने से विश्व भर में भारी बिकवाली हुई। हालांकि, बीओजे यह आश्वासन दिए जाने से कि केंद्रीय बैंक वित्तीय अस्थिरता के दौरान ब्याज दरें नहीं बढ़ाएगा, बाजार की चिंताएं शांत हो गईं।
कैरी ट्रेड का मुद्दा फिलहाल सुलझ गया प्रतीत होता है लेकिन बीओजे के ब्याज दरों में क्रमिक वृद्धि से निकट भविष्य में कुछ प्रभाव पड़ सकता है। भारतीय बाजार में भी सभी क्षेत्रों में व्यापक खरीदारी देखी गई, जिसमें इंडेक्सेशन लाभ की बहाली के कारण रियल्टी क्षेत्र में राहत भरी तेजी देखी गई। हालांकि पिछले महीने विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) घरेलू बाजारों में शुद्ध बिकवाल रहे हैं लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकाें (डीआईआई) और खुदरा प्रतिभागियों के मजबूत प्रवाह ने एफआईआई के बिकवाली दबाव को कम कर दिया है।
इस बीच ओला इलेक्ट्रिक के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) ने ग्रे मार्केट की 4-5 प्रतिशत छूट की उम्मीदों को धता बताते हुए बाजार में अपनी शुरुआत शानदार तरीके से की। इसके सकारात्मक प्रदर्शन का श्रेय इसके स्वस्थ दीर्घकालिक दृष्टिकोण, 38 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी, पीएलआई योजना से लाभ और वर्टिकल इंटीग्रेशन के लाभों को जाता है।
जैसी कि उम्मीद थी आरबीआई ने अपनी नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखा। हालांकि समग्र रुख थोड़ा आक्रामक था, जिसमें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा महंगाई में वृद्धि की संभावना भी शामिल थी, बाजार में सतर्कता का संकेत देता है। इसके अलावा कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के परिणाम वृद्धि में नरमी रही है। अब तक निफ्टी50 सूचकांक में शामिल 46 कंपनियों ने अपने परिणाम जारी किए हैं। इसमें कंपनियों के शुद्ध मुनाफे में सालाना आधार पर 6.12% की बढ़ोतरी हुई है, जो 5.78 प्रतिशत की अपेक्षा से थोड़ा बेहतर है। हालांकि कुल मिलाकर यह पिछली तिमाहियों की तुलना में कम प्रतीत होती है।
स्थानीय स्तर पर अगले सप्ताह जुलाई की खुदरा महंगाई और थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित थोक महंगाई के आंकड़े जारी होने वालू हैं। अगले सप्ताह बाजार की चाल निर्धारित करने में अहम भूमिका रहेगी। साथ ही घरेलू बाजार की दिशा वैश्विक बाजारों से प्रभावित होगी।