जिले में सरकार की छवि पर पलीता लगा रहे भ्रष्ट अधिकारी का संरक्षक कौन?

० भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोपों और जांच के घेरे में फंसे जिले में 5 वर्ष के अधिक समय से पदस्थ आरईएस विभाग के प्रभारी ईई को लेकर सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों पर भी खड़े हो रहे सवाल

नवभारत न्यूज

सीधी 8 अगस्त। भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोपों और जांच के घेरे में फंसे जिले में पांच वर्ष के अधिक समय से पदस्थ आरईएस के प्रभारी ईई को लेकर सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वहीं यह सवाल भी उठ रहा है कि जिले में सरकार की छवि पर पलीता लगा रहे भ्रष्ट अधिकारी का संरक्षक कौन?

बताते चलें कि सीधी जिले में सबसे बड़ी निर्माण एजेंसी के रूप में आरईएस विभाग को जाना जाता है। ग्राम पंचायतों से लेकर अन्य कई सरकारी निर्माण कार्यों के संचालन की जिम्मेदारी आरईएस विभाग के ऊपर है। बड़ी जिम्मेदारी से घिरे आरईएस विभाग की छवि भ्रष्टचार को लेकर काफी समय से सुर्खियों में बनी हुई है। लाखों के निर्माण कार्य गुणवत्ताविहीन कराये जाने के कारण वह अपना वजूद खोते जा रहे हैं। हालात तो यह है कि जिले में कई पुल-पुलिया घटिया निर्माण की वजह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, जिसको लेकर मामले सामने आने पर आरईएस विभाग के प्रभारी ईई हिमांशु तिवारी कोई सार्थक कार्यवाई सुनिश्चित कराने की बजाय लीपापोती कराने में जुट जाते हैं। जानकारों के अनुसार उनके कार्यकाल में अधिकांश निर्माण कार्य काफी गुणवत्ताविहीन हो रहे हैं। चहेते ठेकेदारों से घिरे रहने वाले श्री तिवारी कमियों को स्वीकार ही नहीं करते। पांच वर्षों के अधिक समय से सीधी जिले में पदस्थ आरईएस विभाग के प्रभारी ईई हिमांशु तिवारी अपनी मनमानी कार्यशैली को लेकर काफी चर्चाओं में बने हुये हैं। इनके विरूद्ध कई कार्यों को लेकर जांच भी हो रही है, फिर भी इनका सीधी से मोह नहीं भंग हो रहा है। जब भी स्थानांतरण होता है वह निरस्त कराने में सफल हो जाते हैं। यह माना जा रहा है कि अपनी राजनैतिक पहुंच के चलते ही प्रभारी ईई सीधी में जमे रहना चाहते हैं और शासन के करोड़ों के बजट पर घटिया निर्माण कार्य कराने की औपचारिकताएं कराना चाहते हैं।

भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोपों और जांच के घेरे में फंसने के बाद भी सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि उनको हटाने के लिये अभी तक कोई सार्थक पहल नहीं किये। यह दीगर बात है कि अधिकांश जनप्रतिनिधियों को यह अच्छे से मालूम है कि आरईएस विभाग के ईई हिमांशु तिवारी सीधी जिले में अपने विभागीय निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार को पूरी तरह से संरक्षण प्रदान कर रहे हैं। उनके द्वारा भ्रष्टाचार के मामले सामने आने पर उसमें बचाव भी किया जाता है। साथ ही लीपापोती शुरू कर दी जाती है। उनके कार्यकाल में जितने पुल-पुलियों, भवनों एवं सडक़ों का निर्माण कार्य किया गया है उसकी यदि सक्षम टीम से जांच कराई जाए तो उसमें भारी भ्रष्टाचार मिलेगा। लाखों की लागत से होने वाले निर्माण कार्य बनने के साथ ही उखडऩा शुरू हो जाते हैं। उनके कार्यकाल के कई निर्माण कार्यों को तो अब वजूद भी नजर नहीं आता। ऐसी ग्रामीण सडक़ें बनाई गई हैं जो कि बनने के बाद से ही उखडऩा शुरू हो गई। इसमें निर्माण एजेंसी कोई पूरी तरह से संरक्षण देने का काम हुआ।

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आरईएस ईई पर नहीं लागू होती शासन की स्थानांतरण नीति?

सीधी जिले में पांच वर्ष के ज्यादा समय से पदस्थ आरईएस प्रभारी ईई हिमांशु तिवारी पर संभवत: शासन की स्थानांतरण नीति लागू नहीं होती। इसी वजह से वह सीधी जिले में अंगद की भांति पांव जमाये हुये हैं। कई बार इनका स्थानांतरण हुआ भी, लेकिन वह अपनी ऊंची पहुंच के चलते स्थानांतरण निरस्त कराने में सफल रहे हैं। इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं होती हैं। यह बताया जाता है कि उनकी ऊंची राजनैतिक पहुंच के चलते सीधी जिले से स्थानांतरण नहीं हो रहा है। हर बार उनका नाम स्थानांतरण सूची से कट जाता है।

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भ्रष्टाचार का ताजा मामला रहा दो माह में धरासाई हुई पुलिया का

आरईएस विभाग के भ्रष्टाचार का ताजा मामला हाल ही में सामने आया है। धौंहनी विधानसभा क्षेत्र के कुसमी जनपद पंचायत अंतर्गत डेवा पंचायत के बडक़ाडोल-दुबरी मार्ग में लाखों की लागत से नवनिर्मित पुलिया 2 माह में ही पहली बरसात में ही धरासाई हो गई। ऐसे में पुलिया की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसका कारण प्रथम दृष्टया यही सामने आया है कि घटिया निर्माण के चलते लाखों की लागत से बनी यह पुल पहली बरसात में ही पानी के बहाव को झेलने में असमर्थ हो गई। पुलिया का निर्माण काफी घटिया कराया गया था।

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पूर्व नेता प्रतिपक्ष आरईएस ईई के भ्रष्टाचार का विस में लगा चुके हैं प्रश्न

पूर्व नेता प्रतिपक्ष एवं चुरहट विधायक अजय सिंह राहुल द्वारा आरईएस विभाग के प्रभारी ईई के भ्रष्टाचार को लेकर विधानसभा में प्रश्न लगा चुके हैं। लगाये गये प्रश्न में कहा गया है कि आरईएस विभाग के ईई द्वारा काफी घटिया निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं। जिनमें गुणवत्ता की काफी कमी सामने आ रही है। आरईएस विभाग के चर्चित निर्माण कार्यों की जांच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिये, जिससे शासन के धन का अपव्यय न हो और होने वाले निर्माण कार्यों का लाभ लोगों को लम्बे समय तक मिल सके।

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