नयी दिल्ली, 02 अगस्त (वार्ता) विपक्षी सदस्यों ने शुक्रवार को लोकसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान गरीबों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की मांग की गयी जबकि सत्ता पक्ष की ओर से सुझाव था कि राज्य सरकारें भी अपना बजट बढ़ायें जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में आवंटन में पर्याप्त वृद्धि की जा सके।
चर्चा की शुरुआत करते हुये कांग्रेस के तारिक अनवर ने स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च कम होने का जिक्र करते हुये पूरे देश में हर नागरिक के लिये समुचित स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने पर ध्यान दिये जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य ढांचा कमजोर है और लोगों को अभी इलाज के लिये लंबा सफर करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि बिहार में स्वास्थ्य सेवा की हालत आज भी दयनीय है, वहां के लोगों को इलाज के लिये दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आना पड़ता है।
श्री अनवर ने कहा कि आयुष्मान कार्ड धारकों को कम लाभ मिल रहा है जबकि निजी अस्पताल इसका अधिक लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने दवाओं के दाम कम करने की मांग की।
भारतीय जनता पार्टी के संजय जायसवाल ने कहा कि बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये आवंटन में काफी वृद्धि की गयी है। उन्होंने कहा कि पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं पर सार्वजनिक खर्च काफी कम है, इस पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।
श्री जायसवाल ने मध्यप्रदेश और बिहार में चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम हिन्दी में किये जाने पर खुशी जाहिर करते हुये कहा कि सभी राज्यों को क्षेत्रीय भाषाओं में चिकित्सा शिक्षा के पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिये। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में तमिल में चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध करायी जानी चाहिये।
समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा ने स्वास्थ्य सेवाओं का बजट बढ़ाये जाने की मांग करते हुये सुझाव दिया कि प्रत्येक मेडिकल कालेज में पोस्ट ग्रेजुएट तक चिकित्सा शिक्षा के इंतजाम किये जाने चाहिये। उन्होंने कहा कि मेडिकल कालेजों में रेजीडेन्ट चिकित्सक ही मरीजों के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसके मद्देनजर वहां पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सा उपलब्ध करायी जानी चाहिये। उन्होंने दवाओं के दामों पर नियंत्रण रखने की मांग की।
तृणमूल कांग्रेस की डाॅ शर्मिला सरकार ने जीवन बीमा और दवाइयों पर वस्तु एवं सेवा कर समाप्त किये जाने की मांग की। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान और गरीबों तथा गांवों के मरीजों के इलाज के लिये धन बढ़ाने की मांग की।
डॉ सरकार ने आंगनबाडी कार्यकर्ताओं, एएनएम और आशा कर्मियों के मानदेय बढ़ाने की मांग की।
द्रमुक की रानी श्रीकुमार ने गरीबों और गांवों के लिये बेहतर चिकित्सा व्यवस्था करने के लिये अधिक बजट प्रावधान किये जाने की मांग की। उन्होंने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (यूजी नीट) समाप्त करने और राज्यों को चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश परीक्षा लेने का अधिकार देने की मांग की। उन्होंने तमिलनाडु में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान का भवन बनाने में तेजी लाने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को स्वास्थ्य क्षेत्र में द्रविड़ियन मॉडल का अनुसरण करना चाहिये।
तेलुगू देशम पार्टी के बस्तीपति नागराजू ने बुजुर्गों के इलाज के लिये अलग योजना लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जेनेरिक दवाओं से उपचार पर खर्च कम हुआ है, इस ओर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
जनता दल (यू) के रामप्रीत मंडल ने कहा कि भारत में सरकारी मेडिकल कालेजों में पढ़ने वाले चिकित्सकों के विदेश में सेवायें देने जाने पर रोक लगानी चाहिये। उन्होंने कहा कि सभी चिकित्सकों को कम से कम पांच वर्ष ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवायें देनी चाहिये। उन्होंने बिहार में कैंसर उपचार के लिये एक संस्थान स्थापित करने और उन्होंने दवाओं के दामों पर नियंत्रण लगाने की मांग की।
शिवसेना (यूबीटी) के राजा भाऊ पराग प्रकाश ने आगामी कुंभ के मद्देनजर नासिक शहर के अस्पतालों के उच्चीकरण किये जाने की मांग की। उन्होंने आदिवासी जनों की सेवा के लिये चिकित्सा बजट में बढ़ोत्तरी किये जाने की मांग की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के बजरंग मनोहर सोनवने ने गन्ने के खेतों में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की मांग की। उन्होंने महाराष्ट्र के बीड जिले के अस्पतालों के उन्नयन की मांग की।