नवभारत न्यूज
खंडवा। शहर की सडक़ों पर मवेशियों की पंचायत लगती है। इनके लिए कोई जगह तय नहीं है। जब जहां इनकी मर्जी होती है पंचायत लगा देते हैं। शहरवासियों के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है, मुख्य सडक़ों से लेकर गलियों तक में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है।
ये सडक़ पर ब्रेकर की तरह पड़े रहते हैं। आवारा पशुओं से निबटने के लिए नगर निगम ध्यान नहीं दे पा रहा है। कुत्तों की संख्या भी बढ़ रही है। बधियाकरण केंद्र भी बंद पड़ा है। ठेका होता है, काम ही नहीं होता। पैसा हजम हो जाता है।
सडक़ों पर आवारा जानवर
कई बार वाहन चालक दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं। शहर के जिस रास्ते से भी निकले, ऐसे दर्जनों आवारा जानवर धमाचौकड़ी करते मिल जाते हैं। ऐसे आवारा जानवरों के बीच से होकर लोग चलने को मजबूर हैं।
लोगों को हमेशा यह डर सताता रहता है कि पता नहीं नहीं कब कौन-सा मवेशी झुंड में से सींग मार दे या फि र कोई कुत्ता ही काट खाए।
सडक़ों पर धमाचौकड़ी
शहर की सडक़ों के विभिन्न चौराहों पर गायें, सांड तथा कुत्तों की पंचायत सी लगी नजर आना आम बात हो गई है। रोड जाम की प्रमुख वजह कुछ मवेशी आराम फ रमाने के लिए सडक़ों के बीचोंबीच पसरे रहते हैं। इससे जाम की समस्या तो होती ही है, आये दिन आने-जाने वाले वाहनों व लोगों के लिए मुसीबत बन रहे हैं।
बढ़ती ही जा रही संख्या
नगर निगम के अंतर्गत आने वाले 50 वार्डों में चौक,चौराहों व गलियों में दर्जनों की संख्या में पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। इससे आने-जाने वालों की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन पशुओं से निबटने के लिए नगर निगम के पास कोई कार्ययोजना फि लहाल नहीं है। न ही ऐसे पशुओं को पकडक़र रखने की कोई व्यवस्था है। आवारा मवेशियों की संख्या सडक़ों पर बढ़ती जा रही है।