विवादित भूमि के क्रेता फर्म की ओर से दायर आवेदन निरस्त
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने सागर के मध्य सुभाग्योदय अस्पताल के सामने स्थित करोड़ों की बेशकीमती विवादित जमीन पर धार्मिक आयोजन की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व विनय सराफ की युगलपीठ ने भूमि के क्रेता भागयोदय फर्म की ओर से दायर आवेदन निरस्त कर दिया है।
मामले में हस्तक्षेपकर्ता जगदेव सिंह ठाकुर की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि सागर के मध्य में भाग्योदय अस्पताल के सामने करीब 28 एकड़ बेशकीमती शासकीय जमीन है। उक्त शासकीय भूमि के संयुक्त पट्टाधारियों को राजस्व मण्डल द्वारा अवैधानिक रूप से बिक्रय की अनुमति दी गई थी। जिसके बाद उक्त जमीन बहुत ही कम स्टाम्प शुल्क अदा कर शुभाग्योदय नामक फर्म को खत्री बंधु (पट्टा धारियों) द्वारा विक्रय कर दी गई। जिस पर हस्तक्षेप कर्ता सागर निवासी अधिवक्ता जगदेव सिंह ठाकुर द्वारा मामले की शिकायत की गई। जिसके बाद प्रशासन ने मामले में संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की और साथ ही उक्त जमीन के विक्रय पत्र को शून्य घोषित किए जाने के लिये जिला न्यायलय सागर में केस दाखिल किया। जिसके बाद विवादित जमीन जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में ले ली। न्यायालय को हस्तक्षेप कर्ताओं के अधिवक्ता ने बताया कि हाईकोर्ट की सिंगल बैच के एक मामले में तीन परस्पर विरोधाभासी आदेश दिये, जिसके खिलाफ सरकार ने डिवीजन बेंच में अपील दाखिल की है। जिस पर वर्ष 2019 में न्यायालय ने किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए यथास्थिति के निर्देश दिये हुए है। जिस पर सुभाग्योदय फर्म द्वारा आवेदन पेश कर धार्मिक आयोजन की अनुमति चाहकर उक्त जमीन पर कब्जा किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। अपीलकर्ता व हस्तक्षेप कविताओं की ओर से दिये गये तर्कों के बाद न्यायालय ने आयोजन को लेकर दायर आवेदन निरस्त कर दिया। मामले में हस्तक्षेपकर्ता जगदेव सिंह की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व अपीलकर्ता फारूक की ओर से अधिवक्ता श्याम यादव ने पक्ष रखा।