बल की कमी: विवेचना, अपराधों पर अंकुश लगाने, ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने पर पड़ रहा असर,नए कानून ने भी बढ़ाई जिम्मेदारी
जबलपुर। पुलिस महकमा बल की कमी से जूझ रहा है। पुलिस विभाग को तकरीबन 800 के और फोर्स की दरकार है। बल की कमी होने से अपराधों पर अंकुश लगाने से लेकर थानों में अपराधोंं की विवेचना, आरोपियों की गिरफ्तारियों, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था संभालने पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा एक जुलाई से लागू हुए तीन नए कानूनों ने भी पुलिस की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। नए कानून के तहत तलाशी और जब्ती के दौरा वीडियोग्राफी अनिवार्य हो गई है। इसके अलावा गिरफ्तारी, जब्ती और जांच में पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने के लिए 20 से अधिक धाराएं शामिल की गई है। असंज्ञेय मामलों में ऐसे सभी मामलों की दैनिक डायरी रिपोर्ट मजिस्टे्रट को पाक्षिक रूप से भेजी जाएंगी। ऐसे मेें पहले से ही बल की कमी से जूझ रही पुलिस की जिम्मेदारियां और बढ़ गई है।
बढ़ रहे अपराध, शहर में हर दिन जाम-
शहर मेंं अपराध बढ़ रहे है। लूट, चोरियों, हत्या के प्रयास, चाकूबाजी की वारदातों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। शहर हर दिन जाम से जूझता है। बढ़ते ट्रैफिक के दबाव के चलते कई प्रमुख सडक़ें जाम रहती हैं। पुलिस विभाग में लगभग 4,000 का बल है लेकिन 800 पद खाली पड़े है। ऐसे में पुलिस महकमा बल की कमी से जूझ रहा है जिसका असर सीधे पुलिस के कामकाज, अपराध नियंत्रण से लेकर अपराधों की विवेचना पर भी पड़ रहा हैं।
साप्ताहिक अवकाश में कटौती, काम का दबाव, स्वास्थ्य पर भी असर-
बल की कमी का असर पुलिस के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। काम का दबाव अधिक होने से जवान तनाव में भी रहते हैं। भले ही तनाव दूर करने और पुलिस कर्मियों को चुस्त रखने के लिए आए दिन कार्यक्रम आयोजित होते हैं जिसमेें टिप्स देने के साथ उन्हें जागरूक किया जाता हैं परंतु काम का बढ़़ते दबाव के चलते अधिकांश जवान तनाव मेें हैं। दिन-रात ड्यूटी करने से उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा हैं। साथ ही उनके साप्ताहिक अवकाश में भी कटौती की जा रही है।
बंद हो गए कई अभियान-
पुलिस ने महिलाओं, युवतियों, बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर शक्ति टॉस्क फोर्स, कोड रेड जैसे अभियान शुरू किए गए। इन अभियानों ने शुरूवात में तो खूब सर्खियां बंटोरी लेकिन बल की कमी होने के चलते ये अभियान बंद हो गए।
तो दूसरे जिलों के फोर्स की परेड-
अगर शहर में वीवीआईपी मूवमेंट हो जाएं या चुनाव आ जाएं या बड़े पर्व पड़ जाएं तो सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्थाएं संभालने के लिए दूसरे जिलों से पुलिस फोर्स बुलाना पड़ जाता है ऐसे में दूसरे जिलों के पुलिस बल की भी यहां परेड जो जाती है।
इनका कहना है
बल की कमी होने के बावजूद भी पुलिस पूरी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी करती है। जिले में करीब 800 के और बल की कमी है। रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शासन स्तर पर लगातार की जा रही है।
आदित्य प्रताप सिंह , पुलिस अधीक्षक