गेहूं भंडारण : पुनर्विचार करें सरकार

एक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडारण कम हो गया है. यह भी कहा जा रहा है कि संभव है कि गेहूं का आयात करना पड़े! दूसरी तरफ, केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों पर यकीन करें, तो उसका कहना है कि किसानों ने 112.93 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन किया है. फसल की यह सबसे अधिक पैदावार है.बीते साल भी गेहूं 110.55 एमटी पैदा किया गया था. यानी उस उत्पादन को भी पार करके इस बार रिकॉर्ड गेहूं की फसल हुई है. यह अजीब विरोधाभास है.

यदि गेहूं का उत्पादन सबसे अधिक हुआ है, तो सरकारी गोदामों में भंडारण कम क्यों है? क्या सरकार ने कम गेहूं खरीदा है? भारत सरकार ने गेहूं के भंडारण की अधिकतम सीमा क्यों तय की है? क्या इससे जमाखोरी पर नियंत्रण लगाया जा सकेगा? अथवा कीमतों में स्थिरता आएगी? या खाद्य सुरक्षा के सकल प्रबंधन के मद्देनजर ऐसा किया गया है? भंडारण सीमा का यह निर्णय गलत है. सरकार ने फैसला किया है कि थोक के व्यापारी और खुदरा की बड़ी शृंखला वाले 3000 टन से अधिक का भंडारण नहीं कर सकेंगे. एकल खुदरा विक्रेता के लिए यह सीमा 10 टन तय की गई हैं.प्रोसेसर पिसाई की अपनी क्षमता का 70 फीसदी गेहूं या अनाज जमा रख सकते हैं. इन सभी व्यापारियों और कंपनियों को गेहूं भंडारण की अपडेट जानकारी खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल पर नियमित रूप से देनी होगी. सवाल यह है कि नियंत्रण सिर्फ गेहूं के लिए है अथवा सभी अनाजों पर यह लागू होगा? भंडारण की यह अधिकतम सीमा 24 जून, 2024 से 31 मार्च, 2025 तक जारी रहेगी.सवाल यह है कि गेहूं और अनाज की भंडारण सीमा, क्यों तय करनी पड़ी? इसके बुनियादी कारण हैं कि खुदरा अनाज की मुद्रास्फीति मई में, साल-दर-साल, 8.69 प्रतिशत रही है. दूसरे, सरकारी गोदामों में गेहूं का भंडारण एक जून को 29.91 मिलियन टन था. यह बीते 16 सालों में सबसे कम था.सर्वाधिक उत्पादन होने के बावजूद भंडारण इतना कम क्यों हुआ? तीसरे, अभी तक बहुत अच्छा मानसून नहीं हुआ है. यह चावल के उत्पादन को भी प्रभावित कर सकता है. हालांकि चावल के सरकारी भंडार पर्याप्त हैं. क्या खाद्य सुरक्षा पर किसी संकट के आसार हैं? गेहूं उत्पादन में तो भारत विश्व में नंबर दो का देश है.हम कई देशों को गेहूं निर्यात करते हैं.फिर गेहूं भंडारण की कमी और भंडारण सीमा का नियंत्रण समझ के परे है.

गेहूं की भंडारण सीमा बीते साल जून में ही पहली बार लागू की गई थी. तब थोक विक्रेताओं और बड़े खुदरा व्यापारियों के लिए अधिकतम भंडारण की सीमा 2000 टन थी. निजी, एकल स्टोर के लिए 10 टन ही थी और प्रोसेसर के लिए पिसाई क्षमता का 75 प्रतिशत जमा की अनुमति थी. ये सीमा बाद में घटा कर 500 टन, 5 टन और 60 प्रतिशत कर दी गई.कारण आज तक अज्ञात हैं, क्योंकि बीते साल भी गेहूं का उत्पादन अच्छा हुआ था. जो सीमा घटाई गई, वह फरवरी, 2024 तक थी, लेकिन एक अप्रैल को नई फसल, नई पैदावार आने से भंडारण सीमा फिर बढ़ा दी गई.निजी व्यापारियों को बता दिया गया कि वे किसानों द्वारा लाया गया गेहूं न खरीदें. कमोबेश एक महीने तक खरीददारी न करें.

यह इसलिए किया गया, ताकि सरकार अपने भंडारण को मजबूत कर सके. बहरहाल अब फसल की मार्केटिंग का मौसम गुजर चुका है और सरकार ने भंडारण की अधिकतम सीमाएं भी तय कर दी हैं, लिहाजा सवाल है कि भंडारण के नियंत्रण कैसे तय किए जाएंगे? गैर-बासमती चावल और गेहूं के निर्यात पर जो पाबंदियां हैं, रोक हैं, उन पर कैसे निगाह रखी जा सकेगी? यह भी तथ्य है कि अनाज की पैदावार रिकॉर्ड हो रही है.केंद्र सरकार एक नियंत्रण को कृषि मंत्रालय के जरिए और दूसरे को उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण के मंत्रालयों के माध्यम से क्रियान्वित नहीं कर सकती. ऐसा करना सर्वथा अव्यावहारिक होगा.भारत इतना विशाल और विविधता वाला देश है कि, जमाखोरों पर नियंत्रण रखना लगभग असंभव है. जमाखोरी को रोकना इसलिए भी मुश्किल है क्योंकि सिस्टम के पास इतना अमला और निरीक्षक प्रणाली नहीं है.फिर बंपर फसलों के बावजूद मुद्रास्फीति कैसे और क्यों बढ़ती है, यह भी चिंतित सवाल है.इन सवालों के संदर्भ में सरकार को जरूर सोचना चाहिए. जमाखोरी रोकने के लिए कड़े कानूनों का निर्माण किया जाना चाहिए. ताकि उत्पादक उपभोक्ता तक सही कीमतों पर पहुंचे. हमें याद रखना चाहिए कि जमाखोरी के कारण कीमतों में कृत्रिम वृद्धि होती है जिसका लाभ जमाखोर तो उठाता है लेकिन किसानों को इसका फायदा नहीं मिलता.

Next Post

फाइनल में पहुंचने के लिए स्पेन को भेदना होगा फ्रांस का रक्षा कवच

Tue Jul 9 , 2024
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email म्यूनिख, (वार्ता) यूरो कप 2024 टूर्नामेंट में बेहतरीन फॉर्म में चल रही स्पेन की फुटबॉल टीम को मंगलवार को होने वाले सेमीफाइनल मुकाबले में अपना विजय क्रम जारी रखते हुए फाइनल में पहुंचने के लिए फ्रांस की […]

You May Like