मुख्य सचिव वर्चुअल रूप से हुए हाजिर
31 जुलाई तक पूर्व आदेश के पालन संबंधी रिपोर्ट पेश करें
जबलपुर: उच्च न्यायालय के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले में न्यायालय ने सरकार को निर्देशित किया है कि वह पूर्व आदेश के पालन संबंधी रिपोर्ट पेश करें या फिर कार्यवाही के लिये तैयार रहे। एसीजे की अध्यक्षता वाली युगलपीठ के समक्ष शुक्रवार को मप्र शासन की मुख्य सचिव वीरा राणा ने वर्चुअली हाजिर हुईं। उनके कथन को अभिलेख पर लेकर न्यायालय ने ने राज्य शासन को अंतिम मोहलत देते हुए 31 जुलाई तक आदेश का पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है।
उल्लेखनीय है कि मप्र हाई कोर्ट के कर्मचारियों के उच्च वेतनमान से जुड़े मामले के लिए बनी विशेष कमेटी की रिपोर्ट 21 मईए 2022 को सरकार ने सीलबंद लिफाफे में पेश की थी। इसके पहले न्यायालय के आदेशों के परिपालन का रास्ता निकालने एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव, वित्त विभाग के प्रमुख सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव शामिल थे। हाई कोर्ट कर्मी किशन पिल्लई सहित 109 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर उच्च वेतनमान और भत्ते देने के लिए 2016 में याचिका दायर की।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने 2017 में राज्य सरकार को आदेश जारी किये थे। पालन नहीं होने पर 2018 में अवमानना याचिका प्रस्तुत की गई। पूर्व में चीफ जस्टिस ने हाईकोर्ट कर्मचारियों के लिए उच्च वेतनमान की सिफारिश की थी। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने पालन प्रतिवेदन पेश कर बताया कि यदि उक्त अनुशंसा को मान लिया जाएगा तो सचिवालय व अन्य विभागों में कार्यरत कर्मियों से भेदभाव होगा और वे भी उच्च वेतनमान की मांग करेंगे, कैबिनेट ने अनुशंसा को अस्वीकर कर दिया है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने सीएस के जवाब को रिकार्ड पर लेते हुए उक्त निर्देश दिये। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पक्ष रखा।