ओबी कंपनियों में डीजल का हो रहा बड़ा खेला, प्रदेश सरकार मौन क्यों:सूर्या

प्रदेश सरकार को महीने में कई करोड़ रूपये की लग रही चपत, फिर भी नही हो रही है कोई कार्रवाई

नवभारत न्यूज

सिंगरौली 2 जुलाई। उ.प्र से डीजल खरीद कर सिंगरौली के ओबी कंपनियोंं में परिवहन किये जाने का मामला अब जोर पकड़ने लगा है। प्रदेश का प्रमुख विपक्षी दल युकां के पूर्व जिला अध्यक्ष सूर्य कुमार द्विवेदी सूर्या ने एनसीएल प्रबंधन के साथ-साथ ओबी कंपनियों के अलावा प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लेते हुये जमकर निशाना साधा है।

गौरतलब है कि एनसीएल परियोजना निगाही, जयंत, अमलोरी, झिंगुरदह के अधिकांश कंपनियां उ.प्र से डीजल खरीदकर यहां उपयोग कर रही हैं। म.प्र के तुलना में उ.प्र में डीजल करीब 7 रूपये प्रति लीटर सस्ता है। यदि यही डीजल स्थानीय सिंगरौली क्षेत्र के फिलिंग स्टेशनों से खरीदे तो म.प्र सरकार को महीन में अच्छाखासा राजस्व के रूप में नफा मिलेगा। लेकिन आरोप है कि एनसीएल प्रबंधन के मिलीभगत से म.प्र. सरकार को ओबी कंपनियां रोजाना 30 से 40 लाख रूपये का क्षति पहुंचा रही है। जिसमें कलिंगा, पीसी पटेल, चड्ढा, कंडोई जैसी कंपनियां प्रदेश के डॉ. मोहन यादव सरकार को आर्थिक क्षति पहुंचा रही है। वही जिला प्रशासन भी मौन है। इस पर उक्त संबंध में मामले में युकां कंाग्रेस सिंगरौली के पूर्व जिला अध्यक्ष सूर्य कुमार द्विवेदी सूर्या ने एनसीएल प्रबंधन पर सवाल उठाते हुये कहा कि जब झिंगुरदह में कलिंगा ओबी एवं अन्य परियोजनाओं में ओबी कंपनी का डीजल लाईसेंस नही है। फिर यह डीजल कहां से आ रहा है और एमपी के दर से डीजल का भुगतान करीब 92 रूपये के हिसाब से भुगतान कैसे किया जा रहा है। इसमें ओबी कंपनियों से एनसीएल प्रबंधन का भी सांठगांठ है। जहां एनसीएल प्रबंधन डीजल का भुगतान ओबी कंपनियों को ऑख बन्द कर देे रहा है । वही प्रदेश सरकार इस मामले में अब तक चुप क्यों हैं। कही न कही मामला संदिग्ध है। इसकी उच्च स्तरीय जांच हो। साथ ही एनसीएल का सतर्कता विभाग भी काई एक्सन नही ले रहा है।

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