सरपंच रह चुकी उषा बाई आशाराम खुद का प्रधानमंत्री आवास पूर्ण नहीं कर पाई

बागली:पंचायती राज का इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है। जिसमें सरपंच रह चुकी दलित महिला स्वयं के प्रधानमंत्री आवास के लिए पंचायत के चक्कर काट रही है। बागली जनपद क्षेत्र में आदि से अधिक महिलाएं सरपंच पद का निर्वहन कर रही है। बागली क्षेत्र में अधिकतर ग्राम पंचायत सुरक्षित ग्राम पंचायत होने के चलते आरक्षण के दायरे में आती है।हालांकि 80% ग्राम पंचायत में महिला सरपंच का काम उनके पति संभाल रहे हैं।

पूर्व सरपंच रह चुकी महिलाओं की आर्थिक स्थिति में कोई भी विशेष सुधार नहीं आ पाया जब वह सरपंच थी। उस वक्त मंत्री और रोजगार सहायक उनके इर्द-गिर्द रहते लेकिन हकीकत में पढ़ी-लिखी नहीं होने के कारण उन्हें अभी तक किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पाया ऐसी ही चार बर्डी पंचायत की पूर्व सरपंच उषा बाई ने बताया कि उन्हें 2 वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री आवास मिला था ।

लेकिन मकान की आखिरी किस्त आज तक नहीं मिल पाई। और अभी भी वह अधूरे मकान में रह रही है। इसी प्रकार क्षेत्र के अधिकतर पूर्व सरपंच मजदूरी कर रहे हैं या किसी अन्य व्यक्ति के यहां काम कर रहे हैं उनका आर्थिक और सामाजिक उत्थान नहीं के बराबर हो पाया जबकि उनकी ही पंचायत में काम करने वाले रोजगार सहायक और सचिव बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमते हुए कई मकानों के और जमीनों के मालिक बन गए।

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