बाल रंग महोत्सव में बच्चों ने सामाजिक बुराइयों को किया उजागर

नयी दिल्ली 26 जून (वार्ता) बाल रंगमंच की संस्था सेंटर आफ थियेटर आर्ट एंड चाइल्ड डवलपमेंट – उड़ान के “बाल रंग महोत्सव” में बच्चों ने नाटकों के मंचन से सामाजिक बुराइयों और समस्याओं को उजागर किया है।
उड़ान ने बुधवार को यहां बताया कि महोत्सव में प्रख्यात रंगकर्मी संजय टुटेजा के दिशा निर्देशन और संयोजन में छह नाटकों का मंचन किया गया जिसमें बच्चों ने अपनी अभिनय प्रतिभा से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। बच्चों की प्रतिभा देख दर्शक गदगद हो गये और नाटकों के मंचन के काफी देर बाद तक अपनी कुर्सियों पर जमे रहे।
ग्रीष्मावकाश में लगभग दस स्थानों पर आयोजित बाल रंग शिविरों के समापन पर बाल रंग महोत्सव का आयोजन मुक्तधारा सभागार में हुआ। महोत्सव का उद्घाटन पश्चिमी दिल्ली की सांसद कमलजीत सहरावत ने किया। महोत्सव का पहला नाटक शिवांग मिश्रा के निर्देशन में मंचित “स्कूल इंस्पेक्शन” था जिसमें बच्चों ने देश की शिक्षा व्यवस्था में उत्पन्न खामियों को उजागर किया और नाटक के माध्यम से दर्शकों को खामियों के खिलाफ आवाज उठाने का संदेश दिया। दूसरा नाटक “दूध में कुछ काला है” का मंचन नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के कृष्ण राजपूत के निर्देशन में हुआ। इस नाटक में बच्चों ने सरकारी और राजनैतिक व्यवस्था की खामियों को उजागर किया। महोत्सव के पहले चरण का तीसरा नाटक “ इच्छा मर्जी ख्वाब” था जिसका निर्देशन नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के ​सागर वशिष्ठ ने किया। इस नाटक में बच्चों ने समाज में अवसाद और भागदौड़ का मुद्दा उठाते हुए दर्शकों को जीवन में खुशहाली लाने का संदेश दिया।
महोत्सव के दूसरे चरण में मंचित तीन नाटकों में सबसे पहले दक्ष चोपड़ा के निर्देशन में नाटक “ राजा और जादूगर” का मंचन किया गया। जिसमें बच्चों ने अपनी अभिनय प्रतिभा से दर्शकों को रोमांचित करते हुए क्रोध से मुक्ति पाने का संदेश दिया।

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