ग्वालियर: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्या सिंधिया के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद रिक्त होने वाली राज्यसभा की सीट के लिए जोर आजमाइश शुरू हो गई है। प्रदेश नेतृत्व की कोशिश है कि राज्य के ही किसी नेता को प्रदेश के कोटे की सीट से राज्यसभा भेजा जायेगा। इसी सीट के लिए अप्रत्यक्ष रूप् से लामबंदी शुरू हो गई है। राज्यसभा के लिए टिकट से वंचित हुए पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया, पूर्व सांसद केपी यादव के साथ पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी राज्यसभा के माध्यम से राजनीति में पुर्नवास की कोशिश कर रहे है। राज्यसभा की रिक्त हुई सीट किसे दी जाये इसका फैसला शीर्ष नेतृत्व को करना है। वर्तमान राजनीतिक परिस्थतियों में समीकरण साधने के लिए प्रदेश के किसी बाहरी व्यक्ति को भी राज्यसभा की सीट दी जा सकती है। इससे पहले शीर्ष नेतृत्व इस तरह के निर्णय ले चुका है।
मिश्रा, पवैया और यादव की दावेदारी
राज्यसभा की रिक्त हो रही सीट के लिए अभी से लामबंदी शुरू हो गई है। पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की कोशिश होगी कि विधानसभा चुनाव हारने के बाद उनका राज्यसभा के माध्यम से राजनीतिक पूर्नवास हो जाये। नरोत्तम मिश्रा ने लोकसभा चुनाव में दूसरे दलों के कार्यकर्ताओं व नेताओं को पार्टी ज्वाइन कराने में अहम भूमिका निभाई थी। उनका नाम प्रदेश अध्यक्ष की दौड में भी है लेकिन वीडी शर्मा की दिल्ली शिफ्टिंग नहीं होने के कारण प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने पर फिलहाल की स्थिति में कई किंतु-परंतु जुड गये है। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित हुए पूर्व मंत्री पवैया व पूर्व सासंद केपी यादव भी राज्यसभा के प्रबल दावेदार माने जाने जा रहे है। पूर्व में राज्यसभा के लिए पवैया का नाम चला था। केपी यादव को शीर्ष नेतृत्व ने लोकसभा चुनाव के बाद पूर्ण सम्मान देने का वादा किया है।