नीट 2024 के मामले में दिग्विजय सिंह ने उठाए गंभीर सवाल

भोपाल, 14 जून (वार्ता) देश के विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की गई राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट यूजी) 2024 के प्रश्नपत्र कथित तौर पर संबंधित परीक्षा के दौरान सार्वजनिक होने के मामले को लेकर उठे विवाद के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अनेक गंभीर सवाल उठाए हैं।

राज्यसभा सांसद श्री सिंह ने सोशल मीडिया एक्स के जरिए कहा कि नीट (यूजी) 2024 में हुआ “घोटाला” अत्यंत गंभीर है। यह मध्यप्रदेश में हुए व्यापमं घोटाले का ही विकराल राष्ट्रीय स्वरूप है, जो राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की कार्यप्रणाली पर न सिर्फ संदेह पैदा करता है, बल्कि उसे दोषपूर्ण और भ्रष्टाचार से युक्त भी दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि फरवरी 2024 में संसद में “द पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) बिल 2024” पारित होने और इस संबंध में कठोर कानून बनने के बावजूद मेडीकल काॅलेज में प्रवेश के लिये आयोजित नीट जैसी बड़ी परीक्षा में एनटीए द्वारा “राष्ट्रव्यापी घोटाला” किया जाना सरकार और परीक्षा एजेंसी की समस्त विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। उन्होंने सवालिया लहजे में लिखा, “क्या निम्नलिखित बिन्दुओं पर सरकार को गंभीरता से विचार नहीं करना चाहिए?”

श्री सिंह ने लिखा है, “जब 5 मई 2024 को नीट की परीक्षा थी तो 4 मई को ही पटना में इसका पेपर कैसे लीक हो गया तथा 6 मई को पटना में पकड़े गये लोगों पर एफआईआर दर्ज होने के बाद सरकार ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया?

एनटीए ने इस परीक्षा के रजिस्ट्रेशन की तारीख 9 फरवरी 2024 से 9 मार्च 2024 तय की थी। फिर इस तारीख को 16 मार्च तक बढ़ाया गया। फिर क्या कारण था कि 10 अप्रैल को एक दिन के लिये फिर से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन विंडो को खोला गया?”

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने जानना चाहा है, “ 6 मई को उत्तरप्रदेश के एक अखबार में छपी यह खबर कि छात्रों ने पैसा इकट्ठा करके 60 करोड़ में नीट का प्रश्नपत्र खरीदा था, इसके बाद भी एनटीए ने 6 मई 2024 को प्रेस नोट जारी करके इन खबरों पर संज्ञान लेने की बजाय इन्हें निराधार कैसे बता दिया? जून 2024 को जब इस परीक्षा का रिजल्ट आता है तो 67 छात्रों को 720 में से पूरे 720 अंक कैसे मिल गये, जबकि 720 में से 720 अंक पाने वाले छात्र वर्ष 2020 में सिर्फ 2, वर्ष 2021 में 3, वर्ष 2022 में 0, वर्ष 2023 में भी सिर्फ 2 थे। पिछले वर्ष की तुलना में टॉपर्स ऑल इंडिया रेंक-1 की संख्या में 5625 प्रतिशत की वृद्धि कैसे हुई? क्या यह अप्रत्याशित नहीं है?”

राज्यसभा सांसद ने लिखा है, “प्रश्नों के दो तरह के उत्तर होने के विवाद को लेकर 1563 छात्र कोर्ट गये और उन्हें ग्रेस अंक दिये गये। तो क्या जो छात्र कोर्ट नहीं जा सके उनके साथ अन्याय नहीं हुआ? हरियाणा के झज्झर स्थित एक ही परीक्षा केन्द्र के 8 छात्रों ने कैसे इस परीक्षा में 720 में से 720 अंक हासिल कर लिये? जबकि इनमें से एक छात्र तो 12वीं की परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गया? इस केन्द्र के इन सभी टॉपर्स के नाम में सरनेम क्यों नहीं है? झारखंड के हजारीबाग स्थित एक परीक्षा केन्द्र पर पुलिस ने अनियमितता होने का संदेह होने पर जॉंच की थी और एनटीए ने पेपर लीक होने से इंकार किया था तो फिर इस परीक्षा केन्द्र के एक साथ 8 छात्रों को भी 720 में से 720 अंक कैसे मिल गये? और इसी केन्द्र के कुछ छात्रों को 716, 718 और 719 अंक कैसे आ गये?”

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, “जिन छात्रों को 718 और 719 अंक मिले हैं, वो किस फार्मूले के तहत मिले है क्योंकि स्थापित फार्मूले के अनुसार यदि कोई छात्र एक प्रश्न गलत हल करता है तो उसके उस प्रश्न के लिये निर्धारित 4 अंक कम हो जाते है तथा 1 अंक की माइनस मार्किंग होती है अर्थात उसे एक प्रश्न गलत होने पर अधिकतम 715 अंक ही मिल सकते हैं। ओडिशा, कर्नाटक और झारखंडके छात्रों ने गुजरात का गोधरा सेंटर चुना था। पेपर एक दिन पहले टेलीग्राम पर लीक हो गया था। इसके साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद एनटीए ने कोई भी गड़बड़ी होने से क्यों इंकार कर दिया?”

श्री सिंह ने सिलसिलेवार प्रश्न उठाते हुए लिखा है, “गुजरात के इंटरनेशनल एजुकेशन कन्सल्टेंट के माध्यम से छात्रों द्वारा 20 से 25 लाख रूपये की रिश्वत देने के आरोप पर सरकार ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? राजस्थान के सवाई माधौपुर के एक परीक्षा केन्द्र में हिन्दी माध्यम के छात्रों को अंग्रेजी माध्यम का प्रश्नपत्र क्यों दिया गया? माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने नीट की पवित्रता पर सवाल खड़े किये हैं तथा ग्रेस अंक पाने वाले 1563 छात्रों की 23 जून 2024 को पुनः परीक्षा कराने के आदेश दिये हैं। इससे उन छात्रों को लाभ नहीं होगा जो कोर्ट नहीं जा सके है। मेरी इसमें मॉंग है कि पूरी परीक्षा को निरस्त करके इसे यथाशीघ्र आयोजित की जानी चाहिए तथा संसद में पारित नये कानून के तहत इस प्रकरण की संपूर्ण निष्पक्ष जॉच होनी चाहिए और दोषियों कठोरतम दण्ड दिया जाना चाहिए।”

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