मालवा- निमाड़ की डायरी
संजय व्यास
बगैर किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के स्वयं सेवी के रूप में अपना केरियर चुन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ीं धार लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं सावित्री ठाकुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी तीसरी पारी के मंत्री मंडल में काफी सोच समझकर स्थान दिया है. आदिवासी वर्ग से आने वालीं सावित्री ठाकुर दूसरी बार संसद पहुंची हैं, प्रदेश से फग्गन सिंह कुलस्ते को ड्राप कर उन्हें मंत्री बनाने के पीछे मोदी की दूर की सोच है. आदिवासियों और महिलाओं को साधने के लिए सावित्री ठाकुर को मंत्री मंडल में जगह दी है. वहीं एक प्रकरण में उच्च न्यायालय के निर्देश पर धार की विख्यात भोजशाला में चल रहे सर्वेक्षण के बाद कोई बड़ा निर्णय आ सकता है, जो दशकों से जारी भोजशाला विवाद को निपटाने में मददगार साबित हो सकता है.
इसलिए भी प्रधान मंत्री मोदी ने वर्षों से केंद्र सरकार में भागीदारी से वंचित इस क्षेत्र पर नजरें इनायत की है. भोजशाला विवाद सुलझने के बाद मोदी सरकार की प्राथमिकता में भोजशाला क्षेत्र विकास शामिल रहेगा. जैसा कि लोकसभा प्रचार के दौरान उन्होंने धार में चुनावी सभा में इसके संकेत भी दिए थे. दूसरा इस आदिवासी अंचल में चल रही इंदौर-दाहोद रेल परियोजना को ध्रुतगति देना भी है. दो साल में इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए ऐसे सांसद की जरुरत महसूस की जा रही थी, जो पीछे पड़ा रहे. सावित्री ठाकुर का लक्ष्य भी इसके प्रति प्रारंभ से ही स्पष्ट है. एक अन्य कारण धार जिले की विधान सभाओं में व्यापक रूप से जम चुकी कांग्रेस की जड़ों को नष्ट कर भाजपा का दबदबा कायम करना भी ठाकुर को महत्व देना है. इसे भावी समय की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है.
आजादी के बाद से उपेक्षित रहे धार को अब मिला प्रतिनिधित्व
आजादी के बाद 1967 से 2019 तक बनीं 14 केंद्र सरकारों में प्रतिनिधित्व के मान से धार संसदीय क्षेत्र सदा उपेक्षित ही रहा. 1967 व 1971 में जनसंघ के भारत सिंह चौहान लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए, पर कांग्रेस की सरकार बनीं थी. 1977 में फिर भारत सिंह चौहान भालोद के टिकट पर निर्वाचित हुए और मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार बनीं. जनता पार्टी का घटक और अनुभवी सांसद होने के बावजूद भारत सिंह र्मंी नहीं बनाए गए. धार वंचित ही रहा. कांग्रेस से 1980 में फतेहभानसिंह सोलंकी, 1984 में प्रतापसिंह बघेल, 1989, 1991 में सूरजभानसिंह सोलंकी चुने गए. कांग्रेस की सरकार होते हुए भी मंत्री मंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला. धार इस दौरान फिर खाली हाथ रहा. 1996 व 1998 में छतरसिंह दरबार (भाजपा) चुने गए, पर अल्पकालीन अटल सरकार का ध्यान मंत्री मंडल में सहयोगियों के समायोजन पर ही रहा.
1999 में गजेंद्रसिंह राजूखेड़ी (कांग्रेस) निर्वाचित हुए तो केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की भाजपा सरकार आई. 2004 में भाजपा के छतरसिंह दरबार सांसद बने, लेकिन कांग्रेस की मनमोहन सरकार थी. 2009 गजेन्द्रसिंह राजूखेड़ी कांग्रेस के चुने गए, मगर कांग्रेस की सरकार होते हुए भी धार उपेक्षित ही रहा. 2014 व 2019 में भाजपा की मोदी सरकार ने सत्ता सम्हाली, पर 2014 सावित्री ठाकुर भाजपा व 2019 छतरसिंह दरबार भाजपा नजरअंदाज रहे. इस तरह 1967 से 2019 तक चुने हुए किसी भी लोक सभा सांसद को केंद्र सरकार में मंत्री नही बनाया गया था. हालांकि धार जिले के धरमपुरी वासी तात्कालीन राज्यसभा सांसद विक्रम वर्मा को 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जरूर केंद्रीय मंत्री बनाया गया था, किन्तु पहली बार अब चुने हुए लोक सभा सांसद के रूप में सावित्री ठाकुर को केंद्र सरकार में प्रतिनिधित्व मिला है.
हरसूद के सांसद और विधायक दोनों केंद्र व राज्य सरकार में बने मंत्री
केंद्र में नई सरकार बनने से निमाड़ का वजूद भले ना बढ़ा हो, लेकिन पड़ोसी बैतूल क्षेत्र से सांसद डीडी (दुर्गा दास) उईके को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया है. इनका लोकसभा क्षेत्र खंडवा जिले की हरसूद-खालवा विधानसभा में शामिल है. लोकसभा में मंत्री के रूप में पहली बार ऐसा हुआ है जब केंद्र में किसी को मंत्री बनाया गया है. हालांकि, उईके के केंद्र में मंत्री बनने से खालवा पर आधिपत्य रखने वाले विजय शाह का वजूद जरूर काम हो गया है.
यह बड़ी बात है कि हरसूद और खालवा ऐसा किस्मत वाला है, जहां केंद्र का भी मंत्री प्रतिनिधित्व करेगा और राज्य सरकार में भी इस क्षेत्र के विधायक मंत्री हैं. मतलब साफ है कि केंद्र और राज्य दोनों के मंत्री खालवा के वोटरों के दम पर ही इस ऊंचाई को छू पाए हैं. ऐसी परिस्थितियों में आदिवासियों की सेवा और उनके हित में बनने वाली योजनाएं फलीभूत हो सकती हैं. केंद्र में मंत्री बने डीडी उईके और राज्य सरकार में पहले से मंत्री विजय शाह दोनों मिलकर योजनाओं की सौगात आदिवासियों को दे सकते हैं. दोनों ही आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं.