सिमी पर प्रतिबंध जारी रखना है या नहीं

आज पुन: होगी हाईकोर्ट में सुनवाई, हो सकता है निर्णय

 

जबलपुर। प्रतिबंधित छात्र संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) को केंद्र सरकार ने यूएपीए के तहत 5 साल की अवधि के लिए गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया है। सरकार को ये कदम इसलिए उठना पड़ा क्योंकि सिमी देश में कई आतंकी गतिविधियों में शामिल रहा है। यहां तक कि संगठन पर अन्य आतंकी संगठनों के साथ मिलकर देश में हिंसा फैलाने में मदद करने का भी आरोप है । सिमी पर प्रतिबंध लगाए जाने को लेकर गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें शासन ने कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखी। शुक्रवार को अब इसी मामले पर सिमी के वकील कोर्ट के सामने पैरवी करेंगे।

 

आज होगा तय प्रतिबंध जारी रखना है या नहीं

दो दिन तक चलने वाली सुनवाई में शुक्रवार को तय किया जाएगा कि केंद्र सरकार द्वारा सिमी पर लगाया गया 5 साल का प्रतिबंध जारी रखा जाएगा या नहीं। सिमी पर प्रतिबंध को लेकर केन्द्र सरकार द्वारा ट्रिब्यूनल बनाया गया है। जिसके प्रथम पीठासीन अधिकारी दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव हैं। जस्टिस कौरव की कोर्ट सुनवाई के दौरान परीक्षण करेंगी कि सिमी संगठन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं। गुरुवार और शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई की जा रही है। जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव यह देखेंगे कि सिमी पर सरकार द्वारा लगाया गया प्रतिबंध उचित है या नहीं। गौरतलब है कि हाल ही में जनवरी 2024 को केंद्र सरकार ने सिमी संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध बढ़ा दिया है। सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध की सुनवाई के लिए एक ट्रिब्यूनल बनाया है। जिसके पहले पीठासीन अधिकारी जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव को बनाया गया है। आतंकी गतिविधियों में शामिल होने व आतंकी संगठनों के साथ संबंध होने के चलते 2001 में भारत सरकार ने सिमी को प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था। 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण के तहत सिमी से प्रतिबंध हटा दिया गया। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली और कुछ दिन बाद ही यह प्रतिबंध फिर से लागू कर कर दिया गया। बताया जाता है कि सिमी ने अपने मूवमेंट को चलाने के लिए 2002 में एक नए संगठन का नकाब पहना और इसे इंडियन मुजाहिदीन नाम दिया। इंडियन मुजाहिदीन पर देश में कई जगह विस्फोट कराने का आरोप है। इसके साथ ही कहा जाता है कि आईएम के सभी संगठन स्लीपिंग मॉड्यूल की तरह काम करते हैं। पिछले कुछ साल में यूपी, गुजरात और मध्य प्रदेश पुलिस ने सिमी के कई आतंकी पकड़े है।

विस्फोट में पाया गया था सिमी का हाथ

2008 में इंदौर के एक घर पर दबिश के दौरान संगठन के तत्कालीन प्रमुख सफदर नागौरी को पकड़ा गया। इसके अलावा 2 साल पहले बिजनौर में एक घर के अंदर विस्फोट के बाद सामने आई थी जिसमें सिमी का हाथ था। आतंकी संगठन सिमी का मध्य प्रदेश से गहरा कनेक्शन रहा है। देशभर में सिमी के सबसे ज्यादा सदस्यों की गिरफ्तारी एमपी से हुई है। 2015 में मोदी सरकार ने सिमी पर प्रतिबंध अनिश्चितकालीन समय के लिए बढ़ाकर इस संगठन के खिलाफ कार्रवाई सख्त कर दी है। सिमी पर प्रतिबंध को लेकर ट्रिब्यूनल के प्रथम पीठासीन अधिकारी जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की कोर्ट में करीब चार घंटे तक सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट के सामने आज अपना पक्ष रखा। जबकि सिमी के वकील शुक्रवार को अपनी बात कोर्ट को बताएंगे। आज हुई सुनवाई में सरकार ने बताया कि सिमी से संबंधित जो सदस्य हैं उनके कार्य अभी भी जारी हैं।

अरसे से दर्ज नहीं हुआ प्रकरण

इसलिए किसी भी तरह से सिमी पर लगा प्रतिबंध अभी ना हटाते हुए इसे आगे बढ़ाएं। सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि देश के कई शहरों में अभी भी उनकी गतिविधि जारी है। आज चली सुनवाई में शासन ने चार घंटे तक बहस की और अपना पक्ष रखा। शासन ने सिमी के प्रतिबंध को लेकर कई अहम सबूत भी कोर्ट के समक्ष रखे है। शुक्रवार को एक बार फिर जब सिमी मामले पर सुनवाई होगी तो उनके वकील अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखेगें। सिमी की तरफ से पैरवी कर रहे नईम खान का कहना है कि शुक्रवार को जब सुनवाई होगी तो हम भी अपना पक्ष रखेंगे। अधिवक्ता नईम खान ने बताया बीते कुछ सालों से सिमी के खिलाफ किसी भी जिले में अपराध पंजीबद्ध नहीं हुआ है। जिससे साफ जाहिर होता है कि सिमी का जो संगठन है वो पूरी तरह से खत्म हो चुका है। अब उनकी इतनी हिम्मत भी नहीं है कि वो दोबारा अपने संगठन को खड़ा कर पाए। नईम खान ने बताया कि शुक्रवार को कोर्ट को बताएंगे कि सिमी से अब प्रतिबंध हटा दिया जाए। नईम खान का कहना है कि शासन के पास अगर सबूत हो तो वो यह भी बताए कि बीते सात आठ सालों में किस जिले में सिमी के खिलाफ कार्रवाई कर एफआईआर दर्ज की गई है।

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