भोपाल: गुरुवार रात का पूर्णिमा का चांद बेहद खास रहा। पृथ्वी के करीब आने से यह सुपरमून के रूप में दिखाई दिया। नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि इस दौरान चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी लगभग तीन लाख सत्तावन हजार दो सौ अठारह किलोमीटर रह गई। इसी कारण इसे कोल्ड मून भी कहा गया।
सारिका के अनुसार शाम करीब पांच बजे उदित होते समय मून इलूजन के प्रभाव के कारण चंद्रमा और बड़ा दिखाई दिया। रातभर आकाश में पूर्व से पश्चिम की ओर विचरण करते हुए यह सुबह अस्त हुआ। शहर की रोशनी से दूर किसी स्थान पर किसी ऊंची इमारत के शिखर के साथ इसे देखने पर इसका दृश्य और अधिक आकर्षक दिखाई दिया।
उन्होंने बताया कि सुपरमून तब देखा जाता है जब पूर्णिमा का चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए अपने सबसे निकट बिंदु पेरिजी पर होता है। इस स्थिति में यह सामान्य पूर्णिमा की तुलना में अधिक चमकीला और आकार में बड़ा दिखता है। अब इतना निकट सुपरमून देखने के लिए 23 दिसंबर 2026 तक इंतजार करना होगा।
