एसआईटी रिपोर्ट के बाद मंत्री नागेंद्र के इस्तीफे पर फैसला: सिद्दारमैया

बेंगलुरु, 03 जून (वार्ता) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने सोमवार को कहा कि राज्य संचालित निगम से अवैध धन हस्तांतरण के आरोपी मंत्री बी नागेंद्र के इस्तीफे पर फैसला विशेष जांच दल (एसआईटी) की जांच के आधार पर किया जाएगा।

श्री सिद्दारमैया ने इस बात पर जोर दिया कि श्री नागेंद्र की स्थिति के बारे में कोई भी निर्णय मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के निष्कर्षों के आधार पर किया जाएगा। श्री नागेंद्र कर्नाटक महर्षि वाल्मिकी अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से जुड़े कथित अवैध धन हस्तांतरण के आरोपों का सामना कर रहे हैं।

श्री सिद्दारमैया ने विपक्ष के दबाव के जवाब में श्री नागेंद्र को हटाने के संबंध में सरकार पर समय सीमा तय करने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अधिकार पर सवाल उठाया। भाजपा ने इस मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच और श्री नागेंद्र की तत्काल बर्खास्तगी की मांग की है।

मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘तत्काल कोई खतरा नहीं है और मैंने नागेंद्र से इस्तीफे देने का अनुरोध नहीं किया है। एसआईटी रिपोर्ट अभी भी लंबित है। एसआईटी के निष्कर्ष आने के बाद हम फैसला करेंगे।’

जब मुख्यमंत्री से पूछा गया कि क्या उन्होंने श्री नागेंद्र से कोई स्पष्टीकरण मांगा है तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैंने अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं मांगा है। मुझे पहले प्रारंभिक रिपोर्ट की जांच करने की जरूरत है। एक बार यह पूरा हो जाने पर हम अगले कदम पर फैसला करेंगे।’

उन्होंने 06 जून तक श्री नागेंद्र के इस्तीफे के लिए भाजपा के अल्टीमेटम और राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की धमकी के बारे में जवाब दिया, ‘वे हम पर अल्टीमेटम थोपने वाले कौन होते हैं, विपक्ष को अन्याय के खिलाफ विरोध करना चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा गलत सूचना पर विरोध प्रदर्शनों का सहारा ले रही है।’

श्री सिद्दारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार को पुष्टि की कि सरकार मामले में शामिल किसी को भी नहीं बचाएगी और चाहे कोई भी व्यक्ति शामिल हो, उचित कानूनी कार्रवाई करेगी।

यह विवाद तब उपजा जब निगम के लेखा अधीक्षक चन्द्रशेखर पी. ने गत 26 मई को आत्महत्या कर ली। उन्होंने एक सुसाइट नोट में निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये के अनधिकृत हस्तांतरण का खुलासा किया। इसमें से 88.62 करोड़ रुपये कथित तौर पर प्रमुख आईटी कंपनियों और हैदराबाद स्थित सहकारी बैंक से जुड़े खातों में भेजे गए थे।

श्री चन्द्रशेखर ने सुसाइट नोट में निलंबित प्रबंध निदेशक जेजी पद्मनाभ, लेखा अधिकारी परशुराम जी दुरुगन्नावर और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल का नाम लिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि मंत्री ने धन हस्तांतरण के लिए मौखिक आदेश दिए थे।

राज्य सरकार ने गत शुक्रवार को मामले की जांच के लिए आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) में आर्थिक अपराध के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीष खरबिकर की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया।

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