भू-माफिया दलालों के मंशा पर रिहंद ने फेरा पानी

दलालों ने फर्जी पत्र सोशल मीडिया में किया था वायरल, भू-अधिग्रहण से जुड़ा था मामला

सिंगरौली :जिले में तकरीबन डेढ़ दशक से भू-माफिया व दलाल इतने सक्रिय हो गये हैं कि भूमियों के अधिग्रहण के लिए परियोजनाओं का फर्जी पत्र जारी कर लोगों को गुमराह करते आ रहे हैं। उक्त पत्र के बाद भूमियों के क्रय-विक्रय भी जोर पकड़ लेता है। लेकिन इस बार एनटीपीसी रिहंद ने भू-माफियाओं के दलालों के मंशा पर पानी फेर दिया है।हुआ यूॅ था कि पिछले े दिनों एनटीपीसी परियोजना रिहंद का एक पत्र सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। पत्र में देवब्रत पाउल मुख्य महाप्रबंधक एनटीपीसी लिमि. रिहंद सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट रिहंदनगर का हस्ताक्षर था। पत्र जिला अधिकारी सिंगरौली के नाम था। पत्र में इस बात का जिक्र था कि एनटीपीसी धारान क्षेत्र अर्जन एवं विकास अधिनियम 1957 के तहत धारा 7/17 करने के लिए ग्रामवार राजस्व मानचित्र उपलब्ध कराने का उल्लेख था।

संदर्भ में दिनांक 20 फरवरी 2024 का जिक्र किया गया। पत्र के माध्यम से जिला अधिकारी सिंगरौली से इस बात की मांग की गई थी कि दर्जनभर गांवों के अधिग्रहण के लिए उपरोक्त राजस्व मानचित्र की आवश्यकता दर्शाया था। साथ ही उक्त कार्य के लिए अधिग्रहण कार्रवाई हेतु राजस्व अभिलेख धारा साथ की कार्रवाई किये जाने की बात की गई थी। पत्र में मुख्य महाप्रबंधक के अलावा अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन केएस मूर्ति की भी हस्ताक्षर था। इस पत्र के वायरल होने के बाद भू-माफिया दलाल इतने सक्रिय हो गये थे कि जिन गांवों के मानचित्र उपलब्ध कराने की मांग की गई थी वहां की भूमियों की देखभाल खरीदारी के लिए भागदौड़ शुरू कर दिया गया था।

दलाल पत्रों को सोशल मीडिया में वायरल जोरशोर के साथ करने लगे थे। इतना ही नही जिन गावों के भूमि की कीमत न के बराबर थी। वहां के भूमि की कीमते 30 से 40 लाख रूपये प्रति हे. तय की जाने लगी थी। इसी बीच उक्त पत्र जब एनटीपीसी रिहंदनगर के प्रबंधन को हाथ लगा तो फर्जी पत्र का खण्डन किया गया और विधिवत पत्र के माध्यम से कलेक्टर कार्यालय सिंगरौली को अवगत कराया गया कि उक्त पत्र भ्रामक है। एनटीपीसी के द्वारा ऐसा कोई पत्राचार जारी नही किया गया है। जारी पत्र के हस्ताक्षरकर्ता दो अधिकारियों में एक मुख्य महाप्रबंधक वर्ष 2022 माह सितम्बर में सेवानिवृत्त हो चुके हैं तथा दूसरे अपर महाप्रबंधक मानव संसाधन यहां से दिनांक 3 दिसम्बर 2020 को स्थानांतरित हो चुके थे और वे भी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। फिलहाल एनटीपीसी रिहंद परियोजना ने फर्जी पत्र का खण्डन कर भू-माफिया दलालों के मंशा पर पानी फेर दिया है।
इन गावों के लिए फै लाई जा रही थी अफवाहें
भू-माफिया दलालों ने भूमियों की रजिस्ट्री कराने के लिए तरह-तरह की हथकण्डे अपनाते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण फर्जी पत्राचार का है। पत्र में इस बात का उल्लेख था कि सिंगरौली के गोभा, बरहपान, मुड़वनिया, जलहथनी, बरदघटा, उर्ती, पिपराकुरंद, चरगोड़ा, शुईडीह, एकपई एवं कादोपानी उक्त ग्रामों के अधिग्रहण के लिए उपरोक्त राजस्व मानचित्रों की आवश्यकता है। लेकिन जब इस फर्जी पत्र का भण्डाफोड़ हुआ तो दलालों के चेहरे पर मायूसी छा गई और पर्दे के पीछे लगे प्रदेश सरकार के नुमाइंदे को भी झटका लगा है। यहां बताते चले की भूमियों के क्रय-विक्रय में दलाल रजिस्ट्री के एवज में 5 हजार रूपये वसूलते हैं। इसमें सेवा प्रदाताओं के साथ-साथ चर्चित एक साहबान का भी खर्चा खुराक शामिल रहता है। यदि कुछ पेंच फंस गया तो साहबान का खर्चा कई गुना बढ़ जाता है।
भू-माफियाओं के विरूद्ध कार्रवाई कब होगी
इस संबंध में जारी पत्र के माध्यम से कलेक्टर सिंगरौली को अवगत कराया है कि एनटीपीसी रिहंद परियोजना प्रबंधन द्वारा सिंगरौली के किसी भी गाँव की भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही स्थानीय जिला प्रशासन से अनुशंसा और अनुमति की प्राप्ति के उपरांत ही इस प्रकार के पत्राचार किए जाते हैं। चूंकि वर्तमान में एनटीपीसी रिहंद को किसी ऐसे प्रयोजन हेतु भूमियों की आवश्यकता है ही नही ऐसी स्थिति में किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा इस प्रकार का मिथ्या पत्राचार किया जाना एनटीपीसी की छबि को धूमिल करने की साजिश प्रतीत होती है। प्रबंधन ने जिला प्रशासन सिंगरौली से पत्र के माध्यम से अनुरोध किया है कि उक्त परिपेक्ष्य में प्रशासन के सम्बद्ध साइबर विभाग अथवा विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को इस भ्रामक प्रचार की जांच कराकर न्यायोचित कार्यवाही करने के लिए आदेशित करें

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