० सीधी बाजार क्षेत्र के कई मवेशी वायरस से पीडि़त, संक्रामक बीमारी की रोंकथाम के लिये नहीं शुरू हुआ टीकाकरण
नवभारत न्यूज
सीधी 22 मई। जिले में संक्रामक लम्पी वायरस का प्रकोप पशुओं में फैलने लगा है। पिछले वर्ष भी लम्पी वायरस की चपेट में आने से कई पशुओं की मौत भी हो गई थी। हैरत की बात तो यह है कि जिला मुख्यालय के बाजार क्षेत्र में ही लम्पी वायरस से संक्रमित कई मवेशी सडक़ों में विचरण कर रहे हैं और पशु चिकित्सा विभाग पूरी तरह से निष्क्रिय बना हुआ है।
बताते चलें कि बरसात के दिनों में संक्रामक बीमारियों का प्रकोप मवेशियों में तेजी के साथ फैलता है। ऐसे में पशु चिकित्सा अमला को पूरी तरह से अपने-अपने क्षेेत्रों में अलर्ट होना चाहिए। जिला मुख्यालय में जहां विभाग के बड़े अधिकारी रहते हैं वहां यदि इस तरह की लापरवाही देखी जा रही है तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जानकारों के अनुसार प्रदेश के कई अन्य जिलों में भी लम्पी वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग का अमला पूरी तरह से सजग होकर कार्य कर रहा है। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा तेजी के साथ टीकाकरण का कार्य भी किया जा रहा है। सीधी जिले में भी पशु चिकित्सा विभाग द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि मवेशियों को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए वर्तमान में टीकाकरण कार्य किया जा रहा है। यह जरूर है कि यह टीकाकरण केवल खुरपका एवं मुंहपका के लिये होने के साथ ही बकरियों के लिये भी हो रहा है। शहरी क्षेत्र सीधी, चुरहट, रामपुर नैकिन में भी आवारा घूमते मवेशियों के टीकाकरण का दावा भी किया जा रहा है। जबकि हकीकत इससे विपरीत है। स्पष्ट है कि आवारा मवेशियों के टीकाकरण की जिम्मेदारी जिन कर्मचारियों को दी गई है उनके द्वारा कागजों में तो उसे पूर्ण दिखाया जा रहा है लेकिन धरातल में टीकाकरण के कार्य की हकीकत कुछ और ही रहती है। पशु चिकित्सा विभाग के अमले को यह मालूम है कि बेजुबान मवेशी यह गवाही नहीं दे सकते कि उनको टीका लगा है या नहीं। टीकाकरण का कार्य शहरी क्षेत्र में दिन के समय विभागीय अमले द्वारा न करने की जानकारी देते हुए बताया गया है कि आवागवन होने के कारण संभव नहीं हो पाता। इस वजह से शहरी क्षेत्र के मवेशियों को रात में टीका लगाया जाता है। यह जानकारी सामने आने के बाद जब बाजार क्षेत्र के दर्जनों अलग-अलग क्षेत्र में फुटपाथी व्यवसायियों से चर्चा गई तो उन्होने बताया कि रात करीब 12 बजे तक चहल-पहल भले ही कम हो लेकिन मवेशियों को कभी भी टीका लगाते हुए नहीं देखा गया। आवागवन थम जाने के कारण मवेशी सडक़ों में ही झुंड के झुंड बैठे नजर आते हैं। यदि टीकाकरण का कार्य किया जाता तो शहर में लम्पी, खुरपका, मुंहपका समेत अन्य संक्रामक बीमारियों से पीडि़त पशु नजर न आते।
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क्या है लम्पी वायरस की बीमारी
गांठदार त्वचा रोग मवेशियों में होने वाला एक संक्रामक रोग है जो पॉक्सविरिडे परिवार के एक वायरस के कारण होता है। जिसे नीथलिंग वायरस भी कहा जाता है। इस रोग के कारण पशुओं की त्वचा पर गांठें होती हैं। यह रोग त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली श्वसन और जठरांत्र संबंधी मार्ग सहित पर बुखार, बढ़े हुए सतही लिम्फ नोड्स और कई नोड्यूल व्यास में 2.5 सेंटीमीटर 1.2 इंच की विशेषता है। संक्रमित मवेशी भी अपने अंगों में सूजन की सूजन विकसित कर सकते हैं और लंगड़ापन प्रदर्शित कर सकते हैं। प्रभावित जानवरों की त्वचा को स्थायी नुकसान होता है। जिससे उनके छिपने का व्यावसायिक मूल्य कम हो जाता है। इसके अतिरिक्त इस बीमारी के परिणामस्वरूप अक्सर पुरानी दुर्बलता, कम दूध उत्पादन, खराब विकास, बांझपन, गर्भपात और कभी-कभी मृत्यु हो जाती है। बुखार की शुरुआत वायरस से संक्रमण के लगभग एक सप्ताह बाद होती है। यह प्रारंभिक बुखार 41 डिग्री सेल्सियस 106 डिग्री फारेनहाइट से अधिक हो सकता है और एक सप्ताह तक बना रह सकता है। इस समय सभी सतही लिम्फ नोड्स बढ़े हुए हो जाते हैं। नोड्यूल्स जिसमें रोग की विशेषता होती है। वायरस के टीकाकरण के 7 से 19 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। नोड्यूल्स की उपस्थिति के साथ आंखों और नाक से स्राव म्यूकोप्यूरुलेंट हो जाता है। गांठदार घावों में डर्मिस और एपिडर्मिस शामिल होते हैं लेकिन यह अंतर्निहित चमड़े के नीचे या यहां तक कि मांसपेशियों तक भी फैल सकता है। ये घाव जो पूरे शरीर में होते हैं लेकिन विशेष रूप से सिर, गर्दन, थन, अंडकोश, योनी और पेरिनेम पर या तो अच्छी तरह से परिचालित हो सकते हैं या वे आपस में जुड़ सकते हैं।
इनका कहना है
वर्तमान में सीधी जिले में मवेशियों को खुरपका एवं मुंहपका का टीकाकरण का कार्य 15 मई से किया जा रहा है साथ ही बकरियों के टीकाकरण का कार्य भी चल रहा है। दोनो टीकाकरण का कार्य समाप्त होने के कुछ अंतराल के बाद लम्पी से बचाव का टीकाकरण भी शुरू किया जायेगा। एक मवेशी को दो टीका लगने में समय का अंतराल होना चाहिये। नवभारत के मार्फत लम्पी का प्रकोप संज्ञान में आने के बाद शहर में प्रभावित मवेशियों को चिन्हित कर टीकाकरण एवं उपचार किया जायेगा।
डॉ.जे.पी.पाण्डेय, उपसंचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं सीधी
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