बगिया की ABC

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अनूप सिंह

इंदौर:गर्मी का मौसम हर किसी के लिए मुश्किलों से भरा होता है। फिर चाहे वो इंसान हो, पशु-पक्षी या फिर पौधे ही क्यों न हों। और अगर पौधे गमलों में लगे हों तो परेशानी और भी बड़ी हो जाती है। जमीन में लगे पौधे अपनी जड़ों के जरिए मिट्टी से जरूरत के हिसाब से पानी और पोषक तत्व आसानी से सोख लेते हैं। लेकिन विपरीत परिस्थितियों के कारण गमलों में लगे पौधे मुरझाने और सूखने लगते हैं, उनकी ग्रोथ रुक जाती है। ऐसे में नए बागवानी प्रेमियों को जिन्हें ज्यादा अनुभव नहीं है, उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बागवानी में जैविक खाद का इस्तेमाल करना फायदेमंद है। ये बदलते मौसम के हिसाब से आपके पौधों को पोषण प्रदान करता हैं, साथ ही बीमारियों और कीड़ों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली भी विकसित करता हैं। आज के लेख में आप गर्मियों में पौधों को हरा-भरा रखने के आसान तरीको के बारे में जानेंगे, साथ ही पौधों में संक्रमण होने पर क्या करें ताकि पौधे घरेलू उपायों से ही स्वस्थ हो जाएं।

■ गाय के गोबर की सूखी खाद:
गाय के गोबर से तैयार पुरानी सड़ी हुई खाद एक प्रभावी उर्वरक का कार्य करती है। पौधों को पोषण के साथ बीमारियों से लड़ने के लिए सुरक्षा तंत्र को विकसित करती हैं। इसमे 100 से जादा प्रकार के बैक्टीरिया, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, विटामिन बी 12, कैल्शियम, मैग्नीशियम, गंधक, लोहा, मैंगनीज, तांबा व जस्ता जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व होते है। इसके प्रयोग से मिट्टी की नमी में सुधार होता है और पौधें भी स्वस्थ और हरे भरे बने रहते हैं।

■ तरल खाद:
गर्मियों में सूखी खाद के अलावा तरल खाद का उपयोग मिट्टी में नमी बनाए रखने और पौधों को पर्याप्त पोषण प्रदान करने के लिए एक प्रभावी उर्वरक के रूप में कार्य करता है। तरल खाद के प्रत्येक उपयोग के बीच 10 दिनों का अंतराल अनिवार्य है। आप तरल खाद के लिए कई घरेलू पदार्थों का उपयोग करके एक अच्छा उपयोगी उर्वरक तैयार कर सकते हैं। जैसे:

● चावल के पानी की खाद:
इसे बनाने के लिए आपको चावल धोते समय निकलने वाले पानी को प्लास्टिक की बोतल में इस तरह से ढककर रखना है कि उसमें हवा आती-जाती रहे और उसे 15 दिनों तक छाया में रखना है। 15 दिनों के बाद उसे छानकर 10 गुना पानी में पतला घोल बनाकर सभी पौधों को महीने में एक बार देना है। इससे पौधों की वृद्धि के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी और अधिक फूल और फल आने में भी मदद मिलेगी।

● एलोवेरा और गोबर के उपले/कंड़े की खाद:
इसे बनाने के लिए 250 ग्राम गोबर के उपले, 250 ग्राम एलोवेरा के पत्तों के टुकड़े, 100 ग्राम गुड़ को 5 लीटर पानी में मिलाकर, 10 दिनों के लिए ढककर छाया में रख दें। रोजाना 2 मिनट तक हिलाएं। 10 दिन बाद छानकर 5 गुना पानी में मिलाकर पत्तों पर स्प्रे करें और महीने में 1 या 2 बार जड़ों पर भी इसका इस्तेमाल करें। इस खाद के इस्तेमाल से पौधों को पूरा पोषण मिलता है और साथ ही माइक्रो और मैक्रो न्यूट्रिशन में NPK भी मिलता है। मिट्टी भी बेहतर बनती है।

● नीम की खली की खाद:
इसे बनाने के लिए 100 ग्राम नीम की खली, 50 ग्राम गुड़ का टुकड़ा, 1 चम्मच बेसन को 1 लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह से मिला लें और 5 दिनों के लिए ढककर छाया में रख दें। इसे रोजाना 2 मिनट तक हिलाते रहें। 5 दिनों के बाद इसे छानकर 5 गुना पानी में मिलाकर महीने में 1 या 2 बार पौधों की जड़ों में डालें। नीम की खली मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करके और जड़ और मिट्टी से संबंधित बीमारियों को कम करके विकास को बढ़ावा देती है।

● फल और सब्जियों के छिलकों की खाद:
इसे बनाने के लिए फलों और सब्जियों के छिलकों को प्लास्टिक के एयर टाइट कंटेनर में डालते रहें। जब कंटेनर आधे से ज़्यादा भर जाए तो उसमें 100 ग्राम गुड़ का टुकड़ा डालकर 90% पानी से भर दें और उसे छाया में ढककर 1 महीने के लिए रख दें। एक महीने में खाद पूरी तरह से सड़ कर तैयार हो जाएगी। फिर इसे छान कर 20 गुना पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों में डालें। यह खाद पौधों को पूरा पोषण देगी।

■ जैविक पेस्टीसाइड:
मौसम बदलने पर पौधों पर कीड़े लग जाते हैं, फिर चाहे गर्मी का मौसम ही क्यों न हो। कीटों पर नियंत्रण के लिए आप जैविक कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए 100 ग्राम धतूरा, 100 ग्राम नीम और 100 ग्राम मदार/आक के पत्तों को पीस लें, फिर पत्तों के मिश्रण को एक प्लास्टिक के डिब्बे में 1 लीटर 15 दिन पुरानी खट्टी छाछ और 1 छोटे तांबे के बर्तन या टुकड़े के साथ डालकर कपड़े से ढककर छाया में रख दें। 15 से 20 दिन बाद इसे छानकर 100 मिली लीटर की मात्रा 1 लीटर पानी में मिलाकर शाम को पौधों पर स्प्रे करें। इसे आप जड़ों पर भी डाल सकते हैं। यह फफूंदनाशक, खाद और कीटनाशक का काम करता है। एहतियात के तौर पर आप इसका इस्तेमाल हर 15 दिन से 1 महीने में कर सकते हैं।

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