जयपुर 15 मई (वार्ता) राजस्थान के राज्यपाल एवं कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं बताते हुए आह्वान किया है कि युवा वैज्ञानिकों को जैविक खेती, जल संरक्षण एवं ऊर्जा संरक्षण में नवाचार पर ध्यान देने की जरूरत है।
श्री मिश्र बुधवार को जोबनेर में श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के षष्ठम् दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में कौशल विकास करके आत्मनिर्भर भारत बनाने के प्रयास होंगे। उन्होंने युवाओं को किसानों के साथ सहभागिता दिखाते हुए कृषि में रोजगार के अवसर सर्जन करने तथा जैविक खेती को बढावा देने के लिए कार्य करने पर विश्वविद्यालय को बधाई दी।
राज्यपाल ने आलोच्य वर्ष में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई ग्वार की दो उन्नत किस्मों कारण ग्वार-14 एवं 15, बियालीस उन्नत कृषि तकनीकियों एवं 8500 क्विंटल बीज उत्पादन पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपने जीवन में तीन बातों को विशेष रूप से स्थान देना चाहिए जिनमें प्रथम आप स्वयं की योग्यता को पहचाने , द्वितीय सोच -विचार एवं धारणा को बहुत ऊंचे स्तर पर ले जाएं और तृतीय स्वयं को अनुशासन में बनाए रखें।
श्री मिश्र ने स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने भारत के संविधान की प्रशंसा करते हुए मौलिक अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह शिक्षा के लिए बहुत ही पावन पर्व है यह दिन विद्यार्थी जीवन के एक महत्वपूर्ण चरण के पूरा होने का प्रतीक है। उन्होंने प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि कृषि शिक्षा में छात्राओं की संख्या छात्रों के बजाय तेजी से बढ़ रही है जो बढ़ते महिला सशक्तिकरण एवं नेतृत्व का संकेत है। उन्होंने कहा कि आज गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 71 प्रतिशत से अधिक छात्राओं का होना ही शुकून देने वाला है।
इस अवसर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के पूर्व कुलपति प्रो. बलदेव सिंह ढिल्लों ने कहा कि किसी भी समाज, राज्य तथा देश के विकास के लिए शिक्षा सर्वोपरि होती है। प्रो. ढिल्लों ने बताया कि जोबनेर विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई गेंहू, जौ, चना, बाजरा, ग्वार एवं मूंगफली की फसलों की नई किस्म का उपयोग न केवल राजस्थान के किसानों द्वारा किया जा रहा है बल्कि पंजाब, हरियाणा एवं अन्य पड़ोसी राज्य के किसान भी कर रहे हैं। उन्होंने वर्षा जल संग्रहण के उत्कृष्ट कार्य के लिए जोबनेर विश्वविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तकनीक को अन्य जगह अपनाने की भी जरुरत हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बलराज सिंह ने विश्वविद्यालय की विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया कि विश्वविद्यालय वर्ष 2013 से कृषि के विकास के उद्देश्य से कृषि शिक्षा शोध एवं प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और विश्विद्यालय द्वारा अनुसंधान एवं शोध में गुणवत्ता बढाने के लिए वर्ष 2023 में 15 राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं से समझौता अनुबन्ध किये गए हैं। विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्वविद्यालय शोध कार्य में निरन्तरता बनाये रखते हुए इस वर्ष विश्वविद्यालय की ग्वार की दो उन्नत किस्में, क्रमशः कर्ण ग्वार-14 (आर.जी.आर 18-1) एवं कर्ण ग्वार 15 (आर.जी.आर. -15) का राष्ट्रीय स्तर पर अनुमोदन हुआ है। इनके अलावा मूंगफली की दो किस्मों क्रमशः आर.जी. 575-1 व आर.जी. -648 का राष्ट्रीय स्तर पर एवं लसोडा की कर्ण लसोडा-1 को प्रदेश स्तर के लिए चयनित किया गया।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार विश्वविद्यालय द्वारा प्रमुख फसलों की कुल 174 किस्में विकसित की गयी हैं। उन्होंने बताया कि कृषि की नवीनतम तकनीकों के प्रचार प्रसार के लिए इस वर्ष तीन दिवसीय गत 21-23 जनवरी तक फार्म टेक किसान मेला आयोजित किया गया, जिसमें सौ से अधिक प्रदर्शनियाँ लगाई गई एवं 15 हजार से अधिक किसान, कृषक महिलाएं और विभिन्न कॉलेजों एवं स्कूलों के छात्र-छात्राएं लाभान्वित हुए। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना के तहत विधार्थियो एवं शिक्षको को विभिन्न विषयों पर गुणवत्ता प्रक्षिक्षण प्राप्त करने के लिए विदेश भेजा गया। इस मौके राज्यपाल ने वाहितमल शोधन संयंत्र, अवशिष्ट प्रबंधन समाधान केंद्र एवं खेल स्टेडियम के पवेलियन का लोकार्पण किया। उन्होंने प्रो. ढिल्लों को मानद डिग्री (डॉक्टरेट ऑफ साइंस) प्रदान की।
महाविद्यालय अधिष्ठाता एवं संकाय प्रमुख डॉ एम आर चौधरी ने बताया कि फेसबुक पर इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया जिसमें विश्विद्यालय के सभी कालेजों के तीन हजार से भी अधिक विद्यार्थी एक ही प्लेटफार्म पर जुड़े।