आवेदक को कापी प्रदान करने के निर्देश
जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सेवा परीक्षा 2025 की मुख्य परीक्षा आयोजित करने पर पिछली सुनवाई के दौरान लगाई रोक को बरकरार रखा है। विगत 2 अप्रैल को चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने कहा था कि अदालत की अनुमति बिना मुख्य परीक्षा आयोजित नहीं करें। पूर्व आदेश के पालन में पीएससी की ओर से मंगलवार को बंद लिफाफे में प्रारंभिक परीक्षा के कट ऑफ मार्क्स पेश किये गये। न्यायालय ने लिफाफा खोल कर कहा कि इसमें गोपनीय दस्तावेज नहीं है। युगलपीठ ने एक कॉपी याचिकाकर्ताओं को प्रदान करने के निर्देश दिये है।
हाईकोर्ट ने राज्य शासन को कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे पर दो सप्ताह के भीतर जवाब पेश करें वरना 15 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई जाएगी। आयोग की ओर से विरोधाभासी दलीलों को देखते हुए युगल पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई के दौरान मामले के जानकार अधिकारी हाजिर रहें। मामले पर अगली सुनवाई 6 मई को होगी।
दरअसल भोपाल निवासी सुनीत यादव सहित अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि मप्र लोक सेवा आयोग ने कुल 158 पदों की भर्ती के लिए 5 मार्च 2025 को प्रारंभिक परीक्षा परिणाम घोषित किया था। इसमें वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी नहीं किये गये हैं। जबकि पूर्व की सभी परीक्षाओं में वर्गवार कट-ऑफ अंक जारी किया जाता रहा है। दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के विभिन्न फैसलों को बायपास करते हुए आयोग अनारक्षित पदों के विरुद्ध आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चयनित नहीं कर रहा है। यह आरोप भी लगाया गया कि सभी अनारक्षित पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित करके प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया है। आयोग ने इस त्रुटि को छिपाने के लिए 2025 के प्रारंभिक परीक्षा में कट-ऑफ मार्क्स भी जारी नहीं किये है। सुनवाई पश्चात न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।