100 करोड़ से भी अधिक की शासकीय भूमि पर भूमाफियाओं का कब्जा

शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई, जांच का मामला ठंडे बस्ते में

संजय जैन

सुसनेर:इन्दौर कोटा राजमार्ग पर बेशकीमती शासकीय जमीन पर भूमाफियाओं के कब्जे की 12 साल पहले शुरू हुई जांच का अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है. इस जांच में प्रशासन की भी रूचि नहीं दिख रही है. तत्कालीन कमीशनर उज्जैन द्वारा 2012 में इसकी जांच के आदेश देने के बाद भी इसकी जांच का आज तक क्या हुआ किसी को नहीं पता.जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन कमीशनर के जांच के आदेश को घोल कर पी गया.नगरीय क्षेत्र में वर्तमान कीमत के हिसाब से 100 करोड़ से भी अधिक की शासकीय भूमि भूमाफियाओं के कब्जे में है और वे उसे खुलेआम बेच रहे हैं. खुलासे के बाद प्रशासन ने इनकी खरीदी बिक्री पर रोक लगाई थी. लेकिन वह रोक न जाने कहां गुम हो गई. नगरीय क्षेत्र में एक कालोनाईजर द्वारा 25 बीघा जमीन का भूमिस्वामी होने के बाद अभी तक 28 बीधा जमीन बेच दी गई है. इस मामले की जानकारी भी स्थानीय प्रशासन के पास है किन्तु वह भी इस और से उदासीन बना हुआ है.

कमीश्नर के आदेश के बाद भी नहीं हुई जांच

इन सभी मामलों में लिखित शिकायत मिलने के बाद तत्कालीन कमीश्रर उज्जैन अरूण पांडे के द्वारा मामले की जांच के आदेश दिए गए थे, जांच के आदेश के बाद सात दिन में प्रतिवेदन भी भेजा जाना था. किन्तु आज दिनांक तक मामले में कुछ नहीं हो पाया. शिकायत मिलने के बाद कमीश्रनर के निर्देश पर उपआयुक्त राजस्व उज्जैन संभाग द्वारा तत्कालीन जिला कलेक्टर शाजापुर को पत्र क्रमांक 4761 दिनांक 2 मई 2012 जारी कर जांच के आदेश दिए गए थे. जिला कलेक्टर ने पत्र क्रमांक 430 दिनांक 30 मई 2012 जारी करके अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सुसनेर को इस मामले की जांच कर प्रतिवेदन देने का लिखित आदेश दिया था. किन्तु आदेश जारी होने के बाद आज दिनांक तक जांच का क्या हुआ किसी को नहीं पता. आगर के जिला बन जाने के बाद मई 2014 में आगर के तत्कालिन जिला कलेक्टर ने 4 सदस्यीय जांच दल का गठन कर मामले की जांच कराई थी. इस जांच दल में एसएलआर भी शामिल थे. जांच दल ने जांच करके अपना प्रतिवेदन भी दिया.किन्तु वह न जाने कहा फाइलों में दफन हो गया. इन सभी शासकीय जमीनों को बेचने का खेल अभी भी जारी है.

भवानीपुरा में भी बिकी पट्टे की जमींन

समीपस्थ ग्राम भवानी पुरा में भी सत्र 2011-12 तथा सत्र 2012-13 में बड़ी संख्या में पटटे की जमीनों की खरीदी बिक्री का मामला सामने आया था. इन सब जमीनों की रजिस्ट्रीयां इस अवधि में जिला पंजीयक कार्यालय शाजापुर में हुई थी. इस संबध में जानकारी मिलने के बाद तत्कालीन तहसीलदार संजीव सक्सेना ने 2014 में जिला पंजीयक शाजापुर को पत्र भेजकर ग्राम भवानीपुरा में सत्र 2011-12 और 2012-13 में हुई पटटे की जमीनों की खरीदी बिक्री का रिकार्ड उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया था. इस पत्र की प्रति उपपंजीयक सुसनेर को भेजी गई थी , लेकिन आजतक प्रशासन को इस संबंध में कोई जानकारी ही नही मिल पाई.

ये मामले उजागर हुए और जांच तक रही कार्यवाही सीमित

ठ्ठ मामला नम्बर 1- कंठाल नदी के किनारे नीलकंठेश्वर महादेव मन्दिर तथा धर्मशाला स्थित श्री राम मन्दिर के नाम पर सर्वे क्रमांक 1907 तथा 1902 की 5 बीघा भूमि दर्ज है.इस भूमि पर दूसरे ही लोग खेती करते आ रहे हंै. दिनांक 26 अप्रैल 2010 को इस जमीन व इसके पास लगी जमीन पर अवैध रूप से हुई हरे वृक्षो कटाई के मामला सामने आने के बाद इसकी जांच के दौरान यह बात सामने आई थी की इन्दौर कोटा राजमार्ग से लगी सडक़ किनारे की यह जमीन बेशकीमती है. यह जमीन जिस क्षेत्र में है वहां की जमीन के भाव 4 से 5 हजार रूपये वर्ग फिट का है. यही वजह है कि इस जमीन पर भूमाफियाओं ने कब्जा जमा रखा है और वे इसे बेच रहे हैं. रजिस्ट्री में सर्वे नंबर कुछ और दर्ज होता है और कब्जा किसी और नंबर पर कर लिया जाता है.

ठ्ठ मामला नम्बर 2- इंदौर कोटा राजमार्ग पर थाने के सामने सोयत रोड पर सडक़ के किनारे की कई बीघा शासकीय भूमि राजस्व विभाग के रिटायर्ड हो चुके कुछ अधिकारियों की मिली भगत के चलते भूमाफियाओं के कब्जे में है. शासकीय दस्तावेजो में हेराफेरी कर कुछ पर अपना नाम व कुछ पर अन्य को भूमिस्वामी बना दिया. तहसील कार्यालय द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराए गए रिकार्ड के प्रमाणित दस्तावेजों के अनुसार सर्वे क्रमांक 1906 रकबा 1.609 व 1908/1 रकबा 0.052 व 1899/4 रकबा 0.021,1901 मिन रकबा 0.219, 1901 मिन रकबा 0.439, 1905/1 रकबा 0.921, 1905/2 रकबा 0.021,1899/3 रकबा 0.031,1999/5 रकबा 0.021,1904/1 रकबा 0.041,1900/1 रकबा 0.042, 1900/2 रकबा 0.021 व अन्य सर्वे नम्बर है जो 1976 तक तथा इससे पहले के रिकार्ड में शासकीय भूमि के रूप में दर्ज है इन नम्बरो को कुछ तत्कालीन कर्मचारियों ने तहसीलदार व पटवारी से मिलकर इन नम्बरो पर विभिन्न लोगों का अतिक्रमण दर्ज कर उनको भूमिस्वामी बना दिया कुछ नम्बरो पर बिना किसी कार्यवाही के पटवारी से फर्जी इन्द्राज करवा कर भूमि स्वामी दर्ज करवा दिया गया.ठ्ठ मामला नम्बर 3- इन्दौर कोटा राजमार्ग पर थाने के समीप सर्वे भूमि क्रमांक 2003/2 जो की शासकीय थी किन्तु इस भूमि पर नियमो की अवहेलना कर 1976 में पट्टा जारी किया गया. जबकि यह भूमि नगरीय सीमा में है.

नियमों को ताक पर रख कर भूमि का नामान्तरण राजस्व विभाग ने दर्ज कर लिया तथा तत्कालीन पटवारियो की सांठगांठ से पटटे से प्राप्त भूमि का उल्लेख हटा कर भूमि का विक्रय प्रांरभ कर दिया.ठ्ठ मामला क्रमांक 4- इन्दौर कोटा राजमार्ग पर आदिनाथ वेयर हाऊस के समीप सर्वे नम्बर 2093 रकबा 2.725 हेक्टेयर भूमि विक्रम संवत 2007 में जमीदारी प्रथा समाप्ती पर शासकीय भूमि के रूप में रिकार्ड में इन्द्राज थी तथा किंतु फर्जी तरीके से भूमि का विक्रय कर दिया तथा यह जमीन वारिसगणों ने अन्य लोगों को बेच दी एक शिकायत कर्ता द्वारा की गई शिकायत पर न्यायालय अपर कलेक्टर शाजापुर धर्मेंद्र्रसिंह ने 24 फरवरी 2010 को दिए अपने निर्णय में यह माना था कि यह भूमि शासकीय माफी की भूमि थी. न्यायालय अपर कलेक्टर ने इस मामले की जांच कर दोषी अधिकारी व कर्मचारियों के विरूद्व कार्यवाही के निद्वेश अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को दिए थे. प्रशासन इस मामले में कुछ न कर सका.

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