कांग्रेस प्रत्याशी करोड़पति और भाजपा प्रत्याशी के पास नहीं है मकान-गाड़ी
शाजापुर, 28 अप्रैल. देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र वैसे तो भाजपा का गढ़ है. बीते तीन दशकों में कांग्रेस यहां केवल दो बार ही चुनाव जीती है. जहां भाजपा में कार्यकर्ता सडक़ों पर हैं. विधायक, मंत्री, संगठन के पदाधिकारी घर-घर दस्तक दे रहे हैं और इसके उलट कांग्रेस के कार्यकर्ता घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. 13 मई को होने वाले मतदान को लेकर शाजापुर जिले का मतदाता भी एक बार फिर नए रिकॉर्ड मतदान का बनाएगा. क्योंकि शाजापुर जिले में मतदान पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा होता रहा है. विधानसभा चुनाव में तो मतदाताओं ने प्रदेश में रिकॉर्ड भी बनाया है.
कांग्रेस ने इंदौर निवासी राजेंद्र मालवीय को मैदान में उतारा है, तो भाजपा ने वर्तमान सांसद महेंद्र सोलंकी पर भरोसा किया है. कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय को उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का साथ नहीं मिल रहा है. यही कारण है कि उनके नामांकन के दौरान कोई भी वरिष्ठ कांग्रेसी मौजूद नहीं था. जहां भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मुख्यमंत्री दो-दो आमसभा कर चुके हैं. वहीं शाजापुर जिले में अभी तक कांग्रेस के पक्ष में कोई भी बड़ा नेता नहीं आया. 2019 के चुनाव में भाजपा की जीत का अंतर 3 लाख से ऊपर था. कांग्रेस की सुस्ती यदि इसी प्रकार रही, तो 2019 का रिकॉर्ड टूट सकता है. भाजपा में शुक्ल पक्ष जैसा माहौल है, तो कांग्रेस में कृष्ण पक्ष जैसी मायूसी है.
सोलंकी के हाथ में सनातन का ध्वज, तो मालवीय अल्पसंख्यकों के सहारे….
वर्तमान सांसद और भाजपा प्रत्याशी जातिगत राजनीति से उठकर सनातन की गाड़ी पर सवार हैं. बीते 5 साल में उनमें सनातन के प्रति अटूट आस्था देखने को मिली है. इसके उलट कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय को इस चुनाव में अल्पसंख्यक वोटों से उम्मीद है. हालांकि इस चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ भी उनका झुकाव देखने को मिला है. लेकिन अल्पसंख्यक परंपरागत वोट बैंक कांग्रेस का माना जाता है और पूरे संसदीय क्षेत्र में लगभग 2 से 3 लाख मतदाता अल्पसंख्यक हैं.जिनका झुकाव शत-प्रतिशत कांग्रेस की तरफ देखा गया है. अब देखना है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाता 3 तलाक और लाड़ली बहना का कर्ज उतार पाते हैं या नहीं.
नामांकन में जो सम्पत्ति कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय ने दर्शायी है, उसके अनुसार वे करोड़पति हैं. लक्जरी गाड़ी के अलावा मकान, व्यवसाय के लिए जमीन और कई संसाधन हैं. वहीं दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी महेंद्र सोलंकी जज की नौकरी छोडक़र राजनीति में आए. उनके पास ना रहने को निजी मकान है और ना ही कोई गाड़ी है.
कोई बड़ी सभा नहीं हुई कांग्रेस की…
शाजापुर जिले में कांग्रेस का जनसंपर्क ना तो रफ्तार पकड़ पा रहा है और ना ही शाजापुर जिले में किसी बड़े कांग्रेसी नेता की कोई सभा हुई है. कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में चुनाव का उत्साह बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा है. अधिकांश वरिष्ठ कांग्रेसी अपने-अपने राजनीतिक आकाओं को जिताने में लगे हैं, तो कुछ कांग्रेसियों ने लोकसभा के पहले ही दूसरी लोकसभा के प्रभारी बनकर शाजापुर जिले की राजनीति से दूरी बना ली है. इस पूरे चुनाव में ना तो वे कांग्रेसी नजर आ रहे हैं, जो विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए सक्रिय रहते थे. शाजापुर विधानसभा से हुकुमसिंह कराड़ा और शुजालपुर से रामवीरसिंह सिकरवार के अलावा कांग्रेस के कद्दावर नेता इस पूरे चुनाव के परिदृश्य में नजर नहीं आ रहे हैं.