जीत-हार के गुणा-गणित में जुटे प्रत्याशी और समर्थक

० कम मतदान को लेकर अलग-अलग दावे, बड़े दलों की ओर से हो रहे जीत के दावे

नवभारत न्यूज

सीधी 28 अप्रैल। सीधी संसदीय क्षेत्र-11 में मतदान खत्म होने के बाद से ही जीत-हार के गुणा-गणित में प्रत्याशी और उनके समर्थक जुटे हुये हैं। कम मतदान को लेकर अलग-अलग दावे किये जा रहे हैं वहीं बड़े दलों की ओर से जीत के दावे किये जा रहे हैं।

दरअसल लोकसभा चुनाव के पहले चरण में सीधी सीट पर 56.50 प्रतिशत मतदान हुआ। 43.50 प्रतिशत मतदाताओं की मतदान करने में दूरिया बनी रही है। वर्ष 2019 के मुकाबले इस बार मतदान करीब 13 प्रतिशत कम हुआ। पिछली बार 2019 में मतदान का आंकड़ा 69.45 प्रतिशत था। वहीं वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 57 प्रतिशत से भी कम मतदान प्रतिशत रहा। हालांकि इसके पहले भी संसदीय क्षेत्र सीधी में मतदान का प्रतिशत 50 फीसदी के अंदर ही सिमट कर रह जाता था। आंकड़ों पर नजर दौड़ाये तो 1999 के लोकसभा चुनाव में 48.7 प्रतिशत, वर्ष 2004 में 42.2 प्रतिशत, वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में महज 49.7 प्रतिशत ही मतदान हुआ था। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव 2019 के मुकाबले 2024 के चुनाव में सीधी संसदीय क्षेत्र में नये मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख बढ़ गई थी। बावजूद इसके 2019 के चुनाव के मुकाबले करीब 1.34 लाख कम मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। बताते चलें कि लोकसभा चुनाव 2019 में जिले में मतदाताओं की संख्या 18 लाख 32 हजार 267 थी। जिसमें से 12 लाख 80 हजार 656 मतदाताओं ने मतदान किया था। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या बढक़र 20 लाख 28 हजार 451 हो गई। जबकि इस बार 11 लाख 46 हजार 150 मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। इस प्रकार बीते लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में एक लाख 34 हजार 506 कम मत पड़े। दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 में सीधी सीट के मतदाताओं ने बम्पर वोटिंग की थी। जबसे आम चुनाव प्रारंभ हुआ तब से मतदान का प्रतिशत सीधी सीट में सिर्फ एक बार वर्ष 1998 के उपचुनाव में 60 प्रतिशत पार गया था। लेकिन 2019 में रिकार्ड 69.45 प्रतिशत मतदान हुआ था। आमतौर पर माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव की अपेक्षा कम मतदान होता है लेकिन सीधी सीट में वर्ष 2019 में बम्पर वोटिंग हुई। वर्ष 2024 के चुनाव में 56.50 प्रतिशत मतदान होने पर भाजपा-कांग्रेस के अलग-अलग दावे हैं। भाजपाईयों का कहना है कि वैवाहिक कार्यक्रमों, फसलों की कटाई, गहाई, महुआ फूल बिनने में काफी मतदाताओं की व्यवस्था थी। वहीं कांग्रेस की ओर से इस सत्ता परिवर्तन व लोकतंत्र से जनता से मोहभंग होना बताया जा रहा है। जानकारों का कहना कि सीधी संसदीय क्षेत्र में इस बार 13 ्रप्रतिशत मतदान में गिरावट आने से भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य राजनैतिक दल अपने-अपने हिसाब से जीत के कयास लगा रहे हैं। आम आदमी भी इस रूझान में जीत-हार का आंकलन करने में लगा हुआ है। लोकसभा के चुनाव में इस बार केन्द्र में किसकी सरकार बन रही है इसको लेकर भी गुणा-गणित लगाये जा रहे हैं।

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जमानत बचाने की सता रही चिंता

मतदान के बाद भाजपा-कांग्रेस के अलावा अन्य किस प्रत्याशी की जमानत बचेगी इसको लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं। पिछले चुनाव में जहां भाजपा विजयी रही तो सिर्फ ही अपनी जमानत बचा पाई थी। शेष प्रत्याशी जमानत मत से काफी पीछे थे। वर्ष 1980 के बाद भाजपा-कांग्रेस के अलावा कोई प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाया है। अपवाद स्वरूप वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में तिवारी कांग्रेस के प्रत्याशी न सिर्फ जमानत बचाने में सफल हुये थे बल्कि जीत का परचम भी लहराया था। इस चुनाव में 17 प्रत्याशी चुनाव में है जिनमें से अधिकांश की जमानत जब्त होना तय है। बताते चलें कि सीधी संसदीय सीट पर जमानत बचाने के लिये प्रत्याशी को एक लाख 90 हजार 948 मतों की जरूरत होगी।

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