नयी दिल्ली 06 मार्च (वार्ता) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि भारत का संविधान देश का सच्चा मार्गदर्शक सिद्ध हुआ है और इसमें निहित आदर्श देश के लोकतांत्रिक लोकाचार और शासनव्यवस्था का आधार हैं ।
श्री बिरला ने ये टिप्पणियां गुरुवार को यहां राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय (एनडीसी) के 65वें बैच के पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कीं। इस कार्यक्रम में भारत और 32 अन्य देशों के 124 अधिकारियों ने भाग लिया।
उन्होंने राष्ट्र की प्रगति में सिविल सेवकों और सैन्य बलों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों से भारत के विविधतापूर्ण सामाजिक ताने-बाने को समझने और समाज के उत्थान की दिशा में काम करने के लिए अपने प्रशिक्षण और विशेषज्ञता का लाभ उठाने का आग्रह किया।
उन्होंने यह टिप्पणी करते हुए कि प्रौद्योगिकी के प्रभावी उपयोग के माध्यम से शासन में हितधारकों की क्षमता निर्माण में पर्यापत वृद्धि की जा सकती है, अधिकारियों को नीति-निर्माण और प्रशासन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए निरंतर सीखते रहने और आत्म-प्रेरणा से कार्य करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।
श्री बिरला ने भारतीय संविधान को अंगीकार करने के 75वें वर्ष के बारे में बात करते हुए तीन साल की अवधि में इस महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को तैयार करने में किए गए गहन विचार-विमर्श और वाद का उल्लेख किया। उन्होंने संविधान सभा के सदस्यों की दूरदर्शिता और निष्ठा की सराहना की जिसके कारण एक ऐसा संविधान तैयार हुआ जो देश के लोकतांत्रिक ढांचे का मार्गदर्शन करता आ रहा है।
उन्होंने इस बात को दोहराया कि संविधान में यथा परिकल्पित भारत का संसदीय लोकतन्त्र मजबूत, समावेशी और भारत जैसे विविधतापूर्ण राष्ट्र के लिए उपयुक्त है।
लोकसभा अध्यक्ष ने संसद सदस्यों के कामकाज को सरल बनाने और जनता के व्यापक हित में की जा रही कई पहलों का उल्लेख करते हुए संसदीय वाद-विवाद और ऐतिहासिक अभिलेखों के संरक्षण और इसे जन साधारण के लिए सुलभ बनाने के उद्देश्य से किए गए डिजिटलीकरण का उल्लेख किया।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि शासनव्यवस्था को आधुनिक बनाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने भारत की संसद को पेपरलेस और सभी हितधारकों के लिए सूचना का स्रोत बनाने के लिए उठाए जा रहे विभिन्न कदमों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में चुनौतियों के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए स्वच्छ और हरित ऊर्जा की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए अक्षय ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति देश की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होंने भावी पीढ़ी को स्वच्छ और हरित दुनिया सौंपने के संकल्प के साथ पर्यावरण का संरक्षण किए जाने का आग्रह किया एवं अपने संबोधन के अंत में प्रतिभागियों को “वसुधैव कुटुम्बकम” के दर्शन को अपनाने की सलाह दी।
श्री बिरला ने इस बात पर भी जोर दिया कि संवाद, सहयोग और एक दूसरे को समझना ही संघर्षों के समाधान और वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देने का आधार हैं।