‘बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश का फायदा नहीं, सरकारी साधारण बीमा कंपनियां एक की जायें’

नयी दिल्ली, 27 फरवरी (वार्ता) सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों के कर्मचारी यूनियनों तथा कल्याण संघों ने बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने की सरकार की घोषणा को अनावश्यक और लोक-हित को प्रभावित करने वाला कदम बताया है और कहा कि अब तक का अनुभव बताता है कि बीमा क्षेत्र का उदारीकरण विदेशी निवेश आकर्षित करने के अपने लक्ष्य में सफल नहीं हुआ है।

इन संगठनों ने शक्रवार को राजधानी में आयोजित सम्मेलन में साधारा बीमा क्षेत्र की चारो सरकारी कंपनियों (पीएसजीआई) के विलय की मांग की है ओर कहा है कि इससे साधारण बीमा क्षेत्र में सरकारी कंपनी को बड़े पैमाने पर कारोबार का लाभ मिलेगा तथा लागत कम होगी।

सम्मेलन में बीमा उद्योग में एफडीआई सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने के केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट प्रस्ताव की निंदा की गयी। वक्ताओं ने कहा कि इससे विदेशी कंपनियों को बहुमूल्य घरेलू बचत तक पहुंच और नियंत्रण का विस्तार करने में मदद मिलेगी। वक्ताओं ने इस बार के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बीमा क्षेत्र में एफडीआई को सौ प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रस्ताव की समझदारी पर सवाल उठाया।

सम्मेलन में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के राज्यसभा एक बयान का भी उल्लेख किया गया कि बीमा उद्योग में एफडीआई इस समय विदेशी कंपनियों को 74 प्रतिशत तक हिस्सेदारी की छूट है, पर उसके मुकाबले विदेशी हिस्सेदारी केवल 32 प्रतिशत तक ही है। वक्ताओं ने कहा कि जब अभी मौजूदा 74 प्रतिशत एफडीआई की सीमा तक ही नहीं पहुंचा जा सकता है, तो इसे शत-प्रतिशत करने का तुक नहीं बनता।

बयान में कहा गया है कि बिना किसी घरेलू भागीदार के, पूरी तरह विदेशी नियंत्रण में काम करने वाली कंपनियां अपने तिजोरी की ताकत ने घरेलू कपंनियों के सामने चुनौती पैदा कर सकती हैं और उनसे प्रतिस्पर्धा करने में खर्च बढ़ाना पड़ेगा और वे आज की तरह समय सामाजिक कल्याण के लक्ष्य वाली योजनायें शायद ही चला सकेंगी।

सम्मेलन में सर्वसम्मति से मांग की गयी कि पीएसजीआई कंपनियों का विलय समय की मांग है, ताकि बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाकर प्रतिस्पर्धा का सामना किया जा सके। सम्मेलन ने कर्मचारियों की इस वास्तविक मांग के प्रति सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया, जबकि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के मामले में पूरी ताकत से आगे बढ़ रही है। निजी क्षेत्र के सामान्य बीमा उद्योग में हो रहे विलय और अधिग्रहण की बाढ़ की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सम्मेलन में कहा गया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बीमा उद्योग में भी इसकी जरूरत है। वक्ताओं ने इस संदर्भ में सरकार को तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के 2017-18 के केंद्रीय बजट में किए गए वादे का ध्यान देने का आग्रह किया किया।

सम्मेलन का उद्घाटन राज्य सभा के पूर्व सदस्य बिनॉय विश्वम ने किया। वक्ताओं आल इंडिया इश्योरेंस एम्प्लाइज एसोसिएशन के महासचिव श्रीकांत मिश्रा, श्री त्रिलोक सिंह जनरल इंश्योरेंस एम्प्लाइज आल इंडिया एसोसिएशन के महासचिव त्रिलोक सिंह और संबंधित क्षेत्र के कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी संघों और कल्याण समूहों के नेता शामिल थे।

Next Post

पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण कार्यालय अब विंध्याचल भवन में

Thu Feb 27 , 2025
Share on Facebook Tweet it Share on Reddit Pin it Share it Email भोपाल, 27 फरवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश की पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री श्रीमती कृष्णा गौर ने आज विंध्याचल भवन में पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण एवं विमुक्त, घुमंतु, अर्ध-घुमंतु कल्याण विभाग के कार्यालय का शुभारंभ किया। श्रीमती गौर […]

You May Like

मनोरंजन