बागली-कोई भी व्यक्ति निरक्षर नहीं रहे। इसी सोच के चलते शिक्षा विभाग द्वारा नया प्रयोग करते हुए सभी उम्र के नागरिकों को साक्षर करने की कार्य योजना तैयार की गई है। इसी कड़ी में कन्या हाई स्कूल संकुल बागली अंतर्गत शालाओं और सामाजिक चेतना केंद्रो में संकुल प्राचार्य पं वासुदेव जोशी के मार्गदर्शन में संकुल सहसमन्वयक वारिस अली, जनशिक्षक जगदीश बुन्दड, सुश्री नेहा श्रीवास्तव तथा डी आर जी बी व्हाय तिवारी ने सघन निरीक्षण कर सामाजिक चेतना केंद्र तथा शालाओं का निरिक्षण कर दस्तावेजो का अवलोकन कर आवश्यक निर्देश संबंधित शालाओं के प्रधानाध्यापक व पदेन नोडल अधिकारियों तथा शिक्षकों को प्रदान किया।
उल्लास नवभारत कार्यक्रम के लिए संचालित साक्षरता कक्षाओं का श्री अली ने नोडल अधिकारी के साथ ग्राम धावडीया,बीडगाव,कामठ, बावड़ीखेड़ा, कामठखेडा में निरिक्षण किया तथा घर -घर असाक्षरों से संचालित सामाजिक चेतना केंद्र में आने का आह्वान किया।
*बचपन के दिन याद आ गए*
नवभारत साक्षरता कार्यक्रम का समर्थन करते हुए क्षेत्र से जुडे आदिवासी नेता राम सिंह ओसारी ने बताया कि नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत सभी उम्र के महिला पुरुष साक्षर बनने के लिए केंद्र तक पहुंचेंगे यह सुनकर बचपन के दिन याद आ गए जो काम बचपन में नहीं कर पाए वह पढ़ाई का काम अब भी कर सकते हैं यह योजना अच्छी है अधिक से अधिक लोगों को साक्षर केंद्र पर जाकर साक्षर होना चाहिए।
*प्रयास लगातार जारी है*
नवभारत साक्षरता कार्यक्रम से जुड़े वारिस अली ने बताया कि जहां भी गांव के वरिष्ठ लोग एकत्रित रहते हैं या उठते बैठते हैं उन स्थानों पर जाकर यह जागृति संदेश दिया जा रहा है। इस आदेश के परिपालन में
ग्राम चौपाल से लगाकर आंगन व खेत तक संपर्क किया गया।
*शिक्षक साथियों का सहयोग*
एल एल एन में शिक्षक साथियों के द्वारा बेहतर कार्य किया जा रहा है ।तथा सभी शिक्षक साथियों के द्वारा अपने – अपने संस्था प्रधान के मार्गदर्शन में सामूहिक रूप से बच्चों के गुणात्मक अध्यापन पर ध्यान दें रहे हैं।
कार्यक्रम से जुड़े वारिस अली ने एफ एल एन का विश्लेषण करते हुए बताया कि फाउंडेशन लिट्रेसी न्यूमरेसी का अर्थ बुनियादी साक्षरता व संख्यात्मक ज्ञान है। इस ज्ञान के चलते आने वाला समय सभी लोगों के लिए सुविधाजनक रहेगा कारण स्पष्ट है कि पूरे देश में कैसलेस व्यवस्था लागू हो रही है। सभी कार्य ऑनलाइन पद्धति से हो रहे हैं ऐसे में ग्रामीण लोगों को बुनियादी संख्यात्मक ज्ञान होना बेहद जरूरी है। यह उद्देश्य सफल होता है तो हर व्यक्ति आधुनिकता से जुड़ जाएगा।