मरीज हो रहे परेशान, कलेक्टर के निर्देशों की हो रही अवहेलना
आगर मालवा, 9 फरवरी. इन दिनों जिला अस्पताल काफी चर्चा में बना हुआ है, यहां आए दिन कोई ना कोई मामले सामने आ रहे हैं. वहीं डाक्टरों का समय पर अस्पताल पहुंचना भी एक अहम मुद्दा बना हुआ है. आगर में इन दिनों मरीजों को डॉक्टरों की मनमानी के कारण बेहद परेशान होना पड़ रहा है. दअरसल, जिला अस्पताल ओपीडी का समय सुबह 9 बजे से शुरू होता है जो दोपहर 2 बजे तक का रहता है. लेकिन डॉक्टर अस्पताल में सुबह 10 से लेकर 11 बजे तक भी ओपीडी में जाकर नहीं बैठते हैं.
शनिवार सुबह 10 बजे तक भी देखा गया कि जिला अस्पताल ओपीडी में एक भी डॉक्टर 10 बजे तक नहीं पहुंचा. यहां मरीज परेशान होते नजर आए और घंटों डॉक्टर के इंतजार में बैठे रहते दिखाई दिए. बता दें कि आगर कलेक्टर राघवेंद्र सिंह ने दो दिन पहले ही में जिला अस्पताल निरीक्षण था और सिविल सर्जन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के निर्देश दिए थे.
लेकिन जिला अस्पताल में कलेक्टर के निर्देशों का कोई पालन नहीं हो रहा है. डॉक्टर उनकी मनमर्जी के मुताबिक अस्पताल पहुंचते हैं.
डाक्टर लिख रहे निजी मेडिकल की दवाएं
नलखेड़ा अस्पताल में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे किए जा रहे हैं. अस्पतालों में दवाई भी पर्याप्त है. लेकिन हकीकत उनकी पोल खोल रही है. सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक खुलेआम मरीजों को अस्पतालों के बाहर निजी मेडिकल स्टोर पर से मरीज से दवाई मंगवाई जा रही है. जबकि शासकीय अस्पताल में मरीजों को निशुल्क दवाइयां मिलती है लेकिन डॉक्टर कमीशन के चक्कर में निजी मेडिकल की दवा लिख कर बाजार से मंगवा रहे हैं. जिससे मरीजों से खिलवाड़ किया जा रहा है. वहीं सरकारी पर्ची के साथ डॉक्टर बिना रोक टोक छोटी पर्ची पर बाहर की दवा लिख रहे हैं. इससे गरीबों की जेब ढीली हो रही है और डॉक्टरों की जेब गर्म. शासन से बाहर की दवाइयां लिखने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा है. शासन ने ऐेसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दे रखे हैं. सरकारी अस्पताल में दूर दराज के गरीब अच्छा उपचार और नि:शुल्क दवाइयों की उम्मीद लिए पहुंचते हैं लेकिन यहां डॉक्टर मरीज की जेब पर आंख गड़ाए बैठे हैं. वे लगभग हर दूसरे मरीज को बाहर की दवाई लिख रहे हैं. मरीज और उनके परिजन मजबूरी में बाहर से महंगी दवा खरीद रहे हैं. इससे मेडिकल स्टोर संचालकों के वारे न्यारे हो रहे हैं. सूत्रों के द्वारा बताया कि मोटा कमीशन पर्ची लिखने वाले डॉक्टरों को पहुंच रहा है. जब इस संबंध में सिविल सर्जन और मुख्य चिकित्सा एवं जिला स्वास्थ्य अधिकारी से मिलने का प्रयास किया गया तो दोनों अधिकारी अपने कार्यालय में नहीं मिले जब उन्हें दूरभाष से संपर्क करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया. अब देखना यह रह गया है कि राम भरोसे चल रही जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं पर आखिर कौन जिम्मेदार.
इनका कहना है
जिला अस्पताल व नलखेड़ा अस्पताल में जांच करवाई जाएगी.
-राघवेंद्र सिंह, कलेक्टर, आगर मालवा