इंदौर: पेंशन योजना के तहत हितग्राहियेां के खाते में सीधे पहुंचती है. प्रति माह छः सौ रूपए प्राप्त करने वाले इस राशि से अपनी ज़रूरतें पूरी करते हैं जितनी सफल यहां योजना है उनती ही सैकड़ों लोगों से दूर हो रही है, जिससे वंचित हो कर वहां दंपति निराश हो रहे हैं.पेंशन का लाभ न मिलने का मामला वार्ड क्रमांक 75 में देखने को मिला है. यहां वार्ड शहर की सीमा और बायपास मार्ग के करीब बसा हुआ है. पुराना क्षेत्र होने से यहां अधिकांश निम्न वर्ग निवास करता है.
वार्ड के पालदा क्षेत्र में पड़ने वाली नई बस्ती जहां मज़दूरी करने वाले रहते है. इनमें से कई ऐसे भी हैं जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं. ऐसे में इन परिवारों के बीच वृद्धा और विधवा भी मौजूद है. समस्या यह है कि इस बस्ती में कई लोग पेंशन योजना के लाभ से आज तक वंचित है. इन्हें मार्गदर्शन देने वाला कोई नहीं है. वहीं शिक्षा के अभाव के चलते यहां अपनी ओर से जितनी भी कोशिश करते हैं वह शून्य ही रहती है. कुछ बुजुर्गों ने पेंशन योजना का लाभ उठाने के लिए आवदेन भी दिए जिन्हें कई वर्ष हो चुके हैं. फिर भी आज तक न तो झोन से उनके पास कोई आया न ही कोई प्रतिनिधि वहां पहुचा, जिससे हितग्राही को आसानी हो सके. आवेदक झोन से लेकर बैंक तक भटकने के बाद निराश हो कर बैठ गए.
इनका कहना है
70 वर्ष की हो चुकी हूं. पढ़ी लिखी नहीं हूं. दो वर्ष हो चुके हैं. आवेदन दिए आज तक पेंशन शुरू नहीं की. हम जैसे बुजुर्गों को पेंशन मिलनी चाहिए ताकि कुछ आसानी हो सके.
– लीला बाई
65 वर्ष का हो चुका हूं. पेंशन के लिए आवेदन दो वर्ष पहले दिया था लेकिन आज तक पेंशन न मिल सकी कई बार झोन और बैंक गया था लेकिन वहां भी कोई जवाब नहीं मिला.
– ज्ञानचंद वर्मा
माना कि पेंशन की राशि इतनी तो नहीं है लेकिन जितनी भी है उस राशि से दवाइयां और दूसरे सामन के खर्च में काम आ जाते है. जो इस मंहगाई में सहारा होता है.
– केसर सिंह
स्वयं जाकर मिलूंगा
मेरे वार्ड के सभी क्षेत्र में प्रतिनिधि मौजूद है. आप जहां का बता रहे हैं वहां भी कई हितग्राहियों को पेंशन योजना का लाभ मिल रहा है लेकिन किसी को पेंशन मिलने में कोई दिक्कत आ रही है तो मैं स्वयं जाकर क्षेत्रवासियों से मिलूंगा.
– कुणल सोलंकी पार्षद