नयी दिल्ली 01 फरवरी (वार्ता) उद्योग जगत ने संसद में पेश आम बजट को साहसिक बताया और कहा कि इसमें उपभोग आधारित विकास को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है, जिससे यह मध्यम वर्गीय परिवारों की खपत बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को गति देने वाला साबित होगा।
वाणिज्य एवं उद्योग संगठन फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के शनिवार को संसद में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पेश बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “कर छूट सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने से मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति में वृद्धि होगी, जिससे उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा, मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म उपक्रम (एमएसएमई), पर्यटन और चमड़ा जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए की गई पहलों से रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी होगी, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी।”
एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर ने केंद्रीय बजट को एक ‘साहसिक’ कदम बताते हुए कहा कि यह बजट मध्यम वर्गीय परिवारों की खपत बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को गति देने वाला साबित होगा। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने व्यक्तिगत करदाताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है, जिससे लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और उपभोग को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही सरकार ने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.4 प्रतिशत पर बनाए रखा है, जो एक संतुलित आर्थिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
श्री नायर ने कहा कि मध्यम वर्गीय उपभोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास का एक प्रमुख स्तंभ बनेगा। बजट में एमएसएमई, स्टार्टअप और निर्यात क्षमताओं को बढ़ाने पर स्पष्ट ध्यान दिया गया है। बढ़ती उपभोग मांग से निवेश को गति मिलेगी, जिससे रोजगार और उत्पादन में वृद्धि होगी। इसके अलावा, बजट में पर्यटन, कपड़ा, हस्तशिल्प, जूते और खिलौनों जैसे रोजगार-प्रधान क्षेत्रों को तत्काल प्रोत्साहन देने की बात कही गई है। यह पहल इन क्षेत्रों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और अधिक रोजगार सृजन में मददगार होगी।
बजट में कृषि, ग्रामीण मांग, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और समुद्री उत्पादों को प्राथमिकता दी गई है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी और ग्राम आधारित उद्योगों में नवाचार और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे। सरकार द्वारा सालाना 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त रखने और टीडीएस/टीसीएस की सीमा एवं स्लैब को युक्तिसंगत बनाने का निर्णय आम नागरिकों और छोटे उद्यमियों के लिए जीवन को आसान बनाएगा। सरकार का ध्यान स्वैच्छिक कर अनुपालन को प्रोत्साहित करने और प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर केंद्रित है। सीमा शुल्क नीति को युक्तिसंगत बनाकर आवश्यक कच्चे माल और महत्वपूर्ण खनिजों पर शुल्क में कमी की गई है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
स्टार्टअप्स को समर्थन देने के लिए सरकार ने क्रेडिट गारंटी कवर को 10 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया है। इसी तरह, एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी कवर 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये किया गया है। स्टार्टअप्स में निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त योगदान के साथ ‘फंड ऑफ फंड्स’ की घोषणा की है, जो वैकल्पिक निवेश कोषों को प्रोत्साहित करेगा। बजट में किफायती आवास, ग्रामीण महिलाओं और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ठोस प्रतिबद्धता जताई गई है, जिससे समाज के हर वर्ग को लाभ मिलेगा।
इसके अलावा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के बुनियादी ढांचे में सुधार और चिकित्सा शिक्षा में सीटों की संख्या बढ़ाने की घोषणा की गई है। इससे मानव संसाधन में सुधार होगा और देश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसी नई तकनीकों का अधिकतम लाभ उठाने में मदद मिलेगी। एआई के लिए समर्पित संसाधन नवाचार और डिजिटल प्रगति को और तेज़ करेंगे, जिससे भारत टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता बन सकेगा।