नयी दिल्ली 30 जनवरी (वार्ता) वित्त मंत्रालय के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि “सभी मोर्चों पर, अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है और आर्थिक उपायों को लेकर सरकार को अपनी सोच तथा तौर तरीकों में बदलाव लाने की जरूरत है।”
श्री सुब्रमण्यम वर्ष 2014 से 2018 तक मोदी सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार थे। उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार करण थापर के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की गति आज धीमी हो रही है और यह कोई अल्पकालिक स्थिति नहीं बल्कि संरचनात्मक समस्या है।
श्री सुब्रमण्यम ने कहा कि समस्या से निपटने के लिए सरकार को अपने ‘डीएनए (चरित्र) और सोच’ में बदलाव लाने की जरूरत है क्योंकि वह उसका अर्थव्यवस्था को संभालने का तरीका ही इसकी समस्या है।
श्री सुब्रमण्यम ने ऐसे तीन क्षेत्रों- राष्ट्रीय चैम्पियन की नीति, सरकारी तंत्र को उसके हर पहलुओं में हथियार बनाने की प्रवृति और संरक्षणवाद की नीति, इनमें सबसे पहले बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा, “नीतियों के गहन पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है…सरकार को फिर से नए सिरेे से नीतियों पर गौर करने तथा यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि वह जो कर रही है वह काम नहीं कर रहा है। दूसरे शब्दों में, अर्थव्यवस्था को संभालने का वर्तमान मॉडल काम नहीं कर रहा है।”
इस समय वाशिंगटन डीसी (अमेरिका) के पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में सीनियर फेलो के रूप में कार्यरत श्री सुब्रमण्यम ने कहा कि जब तक सरकार अर्थव्यवस्था को संभालने के अपने तरीके पर पुनर्विचार नहीं करती, यह विश्वास करना व्यावहारिक नहीं है कि भारत 2047 तक विकसित भारत और विकसित देश बन सकता है।