एक आर्थिक सर्वे रिपोर्ट ने प्रयाग राज महाकुंभ और देश के बढ़ते धार्मिक पर्यटन के अर्थशास्त्र पर बड़ा खुलासा किया है. प्रयागराज महाकुंभ के पहले दो दिनों में लगभग 4 करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा यमुना और सरस्वती के संगम तट पर डुबकी लगाई है. अनुमान है कि आने वाले 50 दिनों में लगभग 40 करोड लोग प्रयागराज के महाकुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे. रिपोर्ट बताती है कि इस कारण से चार लाख करोड रुपए का रेवेन्यू जेनरेट होगा. यह आंकड़ा बहुत चौंकाने वाला है. उत्तर प्रदेश सरकार ने महा कुंभ की सफलता के लिए 8000 करोड रुपए का बजट रखा है, जिसका अधिकांश हिस्सा तैयारी में खर्च भी हो गया है.
अब जो 4 लाख करोड़ का राजस्व आएगा,उसमे अगर 10 प्रतिशत टैक्स उत्तर प्रदेश सरकार को मिलेगा.यानी सरकार के बनते हैं 40,000 करोड़ रुपए. जाहिर है दुनिया की कोई भी इंडस्ट्री मात्र डेढ़ महीने की अवधि में इतना बड़ा टैक्स सरकार को नहीं दे सकती. इसके अलावा 2 लाख के लगभग लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. छोटे व्यापारी और खोमचे वाले मात्र 50,55 दिनों में इतना कमा लेंगे कि उनका वर्ष भर का गुजारा हो जाए. इस रिपोर्ट के अनुसार 2013 में अलाहाबाद में महाकुम्भ हुआ था. उसके लिए 1200 करोड़ का बजट था. जबकि रिवेन्यू जनरेट हुआ था हुआ 12000 करोड़. इसी तरह अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर के दर्शन के लिए एक साल में 16 करोड़ लोग आये. इस कारण एक ही साल में अयोध्या में 80,000 करोड़ का रेवेन्यू जेनरेट हुआ. डायरेक्ट टैक्स के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार को 8000 करोड रुपए जमा हुए. जबकि जीएसटी और अन्य परोक्ष करों के कारण सैकड़ों करोड रुपए केंद्र और राज्य सरकारों को अलग से मिले. इसके अलावा लगभग 30,000 लोगों को स्थाई और 50,000 अन्य लोगों को अस्थाई रोजगार मिल रहा है. दरअसल,अयोध्या के राम मंदिर के कारण धार्मिक पर्यटन में जबरदस्त इजाफा हुआ है. अयोध्या क्षेत्र की जनता को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का भी फायदा हुआ है.दरअसल,धर्म, संस्कृति और अध्यात्म भारत की आत्मा है. यह धर्म संस्कृति ही है, जो भारत को उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक एकात्मता के सूत्र में बांधती है. जब हम भारत की सभ्यता और संस्कृति का अध्ययन करते हैं तो साफ दिखायी देता है कि धार्मिक पर्यटन हमारी परंपरा में रचा-बसा है. तीर्थाटन के लिए हमारे पुरखों ने पैदल-पैदल ही इस देश को नापा है.भारत की सभ्यता एवं संस्कृति विश्व समुदाय को भी आकर्षित करती है. आर्थिक सर्वे रिपोर्ट यह बताती है कि देश में पांच हजार से अधिक सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं.हालांकि, हमारे लिए तो प्रत्येक धार्मिक स्थल श्रद्धा का केंद्र है.भारत के शहर-शहर में कई ऐसे स्थान हैं, जहां देशभर से लोग पहुंचते हैं. मथुरा, वृंदावन, अयोध्या, काशी, उज्जैन, द्वारिका, त्रिवेंद्रम, कन्याकुमारी, अमृतसर, जम्मू-कश्मीर, पुरी, केदारनाथ, बद्रीनाथ इत्यादि ऐसे स्थान हैं, जहां न केवल भारतीय नागरिक बड़ी संख्या में पहुंचते हैं अपितु विदेशी और भारतीय मूल के नागरिक श्रद्धा के साथ आते हैं.पिछले आठ-दस वर्षों में भारत के धार्मिक पर्यटन में उत्साहजनक वृद्धि हुई है. देश के कुल पर्यटन में 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी धार्मिक पर्यटन की है. आज देश के पर्यटन उद्योग में 19 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित की जा रही है.जबकि वैश्विक स्तर पर पर्यटन उद्योग केवल 5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर रहा है.इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में पर्यटन उद्योग 8 करोड़ व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से रोजगार प्रदान कर रहा है.देश के कुल रोजगार में पर्यटन उद्योग की 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. कुल मिलाकर देश में बढ़ता धार्मिक पर्यटन बेहद उत्साहवर्धक है. न केवल हमें आर्थिक बल्कि सामाजिक समरसता की दृष्टि से भी लाभ मिल रहा है.