स्थानीय निकाय चुनाव से डर रही भाजपा सरकार: कांग्रेस

रायपुर 15 जनवरी (वार्ता) छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार स्थानीय निकाय चुनाव में जाने से डर रही है, और सरकार के डर के कारण है चुनाव मे देरी हो रही है।

श्री शुक्ला ने बुधवार को कहा कि अब 10 वीं 12वीं बोर्ड परीक्षाओं की तिथि जारी होने के बाद परीक्षा और चुनाव टकरा रहा दोनों मे से किसी एक को बढ़ाना ही पड़ेगा। विगत 13 महीना से अधिक हो गया सरकार में आए, दिसंबर 2024 से पहले स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न हो जाना था, लेकिन जानबूझकर लंबित रखा गया। सीबीएसई, आईसीएससी और स्टेट बोर्ड की 10 वीं, 12वीं की तमाम परीक्षाएं 14 फरवरी से लेकर अप्रैल तक होनी है। समय पर चुनाव कराने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी पर अब तक आंख मूंदे बैठी यह सरकार स्थानीय निकाय चुनाव और बोर्ड परीक्षाओं की तिथि टकराकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। सरकार या तो परीक्षा आगे बढ़ाये या चुनाव आगे बढ़ाये।

उन्होंने कहा कि सीबीएससी, आईसीएसई बोर्ड, छ.ग. बोर्ड सभी के परीक्षा तिथि घोषित हो चुकी है। चुनाव के समय परीक्षा चल रही होगी तब मतदान के लिए शिक्षको की ड्यूटी लगाई जाएगी उससे भी बच्चो की पढ़ाई पर असर पड़ेगा। मतदान के लिए स्कूल कैसे मिलेंगे। भाजपा सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों को बिलम्ब कर यह टकराव की स्थिति निर्मित किया है सरकार स्थिति स्पष्ट करें।

श्री शुक्ला ने कहा है कि भाजपा सरकार की नियत चुनाव कराने की है ही नहीं, इसीलिए अध्यादेश ला कर छह महीना कार्यकाल बढ़ाया गया, निगमों में प्रशासक बैठा दिए। चुनाव प्रक्रिया में दुर्भावना पूर्वक परिवर्तन किए गए। नगरी निकाय क्षेत्रों में वार्ड के परिसीमन से लेकर आरक्षण की प्रक्रिया बेहद आपत्तिजनक है जिसके चलते आम जनता में सरकार के खिलाफ आक्रोश है।

उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियां उजागर हो चुकी है। छत्तीसगढ़ की बहुसंख्यक आबादी ओबीसी की है जिनके खिलाफ साय सरकार ने षड्यंत्र करके आरक्षण में कटौती की है। भाजपा की सरकार ने ओबीसी के वास्तविक आंकड़े छुपा कर पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के अधिकार को ख़त्म कर दिया है। फूट डालो और राज करो के अपने पूर्वजों के एजेंडे पर काम करते हुए भाजपा की सरकार एक वर्ग को दूसरे वर्ग के खिलाफ लडाने का काम कर रही है। असलियत यह है कि भाजपा का मूल चरित्र ही आरक्षण विरोधी है। हक़ीक़त सामने आने पर कभी सर्वोच्च न्यायालय का अनुचित आड़ ले रहा है तो कभी सामान्य सीटों पर प्रतिनिधित्व देने का बहाना कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कभी भी नहीं कहा कि आप ओबीसी वर्ग का आरक्षण ख़त्म कर दो, आधार पुछा था, छत्तीसगढ़ की लगभग आधी आबादी पिछड़ा वर्ग की है जिसके वास्तविक आंकड़े इस सरकार ने छुपाया है। मुक्त का मतलब सभी के लिए खुला अवसर होता है, यदि यह आधार है तो फिर किसी वर्ग को आरक्षण की आवश्यकता नहीं होती, केवल पिछड़ा वर्ग से अन्याय क्यों? कुतर्क करके भाजपाई सरकार के ओबीसी विरोधी षडयंत्रों पर पर्देदारी करना चाहते हैं। असलियत यह है कि भाजपा को सत्ता के विकेंद्रीकरण से हिकारत है इसलिए ये चुनाव से भाग रहे हैं।

 

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