गुस्से में क्यों आते हैं कांग्रेस के बड़े नेता

सियासत

कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी संगठन को मजबूत करने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उनकी कार्यशैली के कारण कांग्रेस के भीतर असंतोष कम होने की बजाय बढ़ रहा है. कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने तो खुलकर उनकी कार्यशैली की आलोचना की है. अजय सिंह, अरुण यादव, कमलेश्वर पटेल, डॉ. गोविंद सिंह जैसे नेता भी समय-समय पर जीतू पटवारी के कामकाज के तरीके पर उंगली उठा चुके हैं. दरअसल, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की महू यात्रा को लेकर भोपाल में लगातार बैठकों का दौर चल रहा है.

इसी तरह की एक बैठक में नेताओं ने अपनी-अपनी भड़ास निकाली. संगठन में नियुक्तियों को लेकर पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने अजय सिंह ने सवाल खड़े किए, वहीं विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि बीजेपी मुसलमानों को टारगेट करती है, हम चुप हो जाते हैं. प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पार्टी नेताओं को अनुशासन रखने की नसीहत दी है. बैठक प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, अरूण यादव, मप्र के सह प्रभारी संजय दत्त, चंदन यादव, आनंद चौधरी, महासचिव रण-विजय सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष और संगठन प्रभारी राजीव सिंह, महिला कांग्रेस अध्यक्ष विभा पटेल समेत प्रदेश भर के नेता मौजूद रहे.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि जिले में प्रभारी के ऊपर प्रभारी आ रहे हैं. एक की नियुक्ति के बाद दूसरे प्रभारी आ गए. अजय सिंह ने एक जिलाध्यक्ष को खड़ा करके पूछा कि बताओ भैया अध्यक्ष जी प्रभारी पर प्रभारी आ रहे या नहीं अजय सिंह की बात पर जीतू पटवारी ने कहा जिले का प्रभारी तो एक ही रहेगा. आपको सिस्टम को ब्रेक करना है तो संविधान में बदलाव करना पड़ेगा. अजय सिंह ने जवाब देते हुए कहा संविधान में बदलाव हो या न हो. लेकिन जिले में एक प्रभारी हो. ये न हो कि एक आया और फिर दूसरा प्रभारी आ गया. और कहा गया कि वो काम नहीं कर पा रहा था. इसके पहले अजय सिंह ने प्रदेश कार्यकारिणी के गठन को लेकर भी सवाल किए थे.

इसी बैठक में दिग्विजय सिंह ने जीतू पटवारी से कहा कि हर महीने आंदोलन करके कार्यकर्ताओं को परेशान करने की जरूरत नहीं है. इसकी वजह कांग्रेस को मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए. दरअसल कई कार्यकर्ताओं ने शिकायत की कि बार-बार आंदोलन होने से कार्यकर्ताओं को एकत्रित करने में परेशानी होती है क्योंकि अभी पार्टी विपक्ष में है. कार्यकर्ताओं को एकत्रित करना और उन्हें दिन भर मोर्चे पर लगाए रखने में खर्च होता है. यह खर्च कौन देगा? कमलनाथ ने राहुल गांधी की यात्रा का दिन गलत बताया. पहले 26 जनवरी को यह यात्रा होनी थी, लेकिन कमलनाथ की आपत्ति के बाद इसे 27 जनवरी कर दिया गया. कमलनाथ ने यह भी कहा कि उनसे बिना पूछे नियुक्तियां हो जाती हैं. भंवर जितेंद्र सिंह ने भी अनेक मामलों में जीतू पटवारी के निर्णयों पर सवाल खड़े किए. जबकि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जीतू पटवारी की आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़ते.

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