सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के हृदय रोग विभाग के चिकित्सको ने किया सफल आपरेशन
नवभारत न्यूज
रीवा, 18 अप्रैल, सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय रीवा विंध्य क्षेत्र के शासकीय चिकित्सालयो में से सबसे पहले लम्बे समय से 100 प्रतिशत बंद दिल की नस को ड्यूल इंजेक्शन एवं माईक्रो कैथेटर की मदद से सफलतापूर्वक खोलने वाला प्रथम इंस्टीट्यूट बन गया है. विगत दिवस दो मरीज जिनकी उम्र क्रमश: 62 साल एवं 58 साल है. डा0 एस.के त्रिपाठी सह प्राध्यापक हृदयरोग विभाग के पास सीने में तेज दर्द के लक्षणो के साथ ओपीडी में पहुंचे थे. जहां डा0 त्रिपाठी द्वारा मरीजो को भर्ती करके एजियोग्राफी की योजना बनाई गई. तदोपरांत एजियोग्राफी में पाया गया कि दोनो ही मरीजो के दिल की नस 100 प्रतिशत बंद थी और उनमें कैल्शियम का बहुत ज्यादा जमाव था. ऐसे में सामान्य एंजियोप्लास्टी कर पाना असम्भव होता है. इन केसेस को करने के लिये डूयल इंजेक्शन एवं माईक्रो कैथेटर की मदद ली जाती है. डूयल इंजेक्शन की मदद से नस कहां तक बंद है इसका अंदाजा लगता है एवं माईक्रो कैथेटर बंद नस को खोलने में मददगार साबित होता है और पूर्व में हमारे पास माईक्रो कैथेटर एवं एडवांस मशीने जैसे आई.वी.यू.एस एवं रोटाब्लेटर न होने से ऐसे जटिल प्रोसीजर को कर पाना संभव नही था, जिससे इन मरीजो के पास बायपास के अलावा दूसरा विकल्प नही बचता था.
मरीज बायपास सर्जरी से बच गया: डा0 त्रिपाठी
डा0 त्रिपाठी द्वारा बताया गया कि ये प्रोसीजर प्रदेश में संचालित प्राइवेट संस्थानो में काफी मंहगे है तथा सामान्य जन को इन प्रोसीजरो का खर्चा व्यय करने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. परन्तु शासन की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना द्वारा प्रोसीजरो को चिकित्सालय में नि:शुल्क तथा सफलतापूर्व सम्पन्न किया गया एवं मरीज की दिल की नस पूर्ण रूप से सामान्य हो गई और मरीज बायपास सर्जरी से बच गया. इन प्रोसीजरो को बिना टीम वर्क के कर पाना असम्भव था, इन नामुमकिन से लगने वाले प्रोसीजर को मुमकिन बनाने में हमारे कैथलैब टेक्नीशियन जय नारायण मिश्र, सत्यम, सुमन, मनीष, सुधांशु, फैजल, नर्सिंग स्टाप का महत्वपूर्ण योगदान रहा.