भारतीय रियल एस्टेट 2030 तक होगा एक लाख करोड़ डॉलर का बाजार

नयी दिल्ली 26 दिसंबर (वार्ता) भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र एक ऐतिहासिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। सरकारी नीतियों का समर्थन, डिजिटल नवाचारों का बढ़ता उपयोग और संधारणीयता पर केंद्रित दृष्टिकोण के कारण यह क्षेत्र 2030 तक एक लाख करोड़ डॉलर के बाजार आकार तक पहुँचने के लक्ष्य की ओर अग्रसर है।

आवासीय, वाणिज्यिक और बुनियादी ढाँचे के विकास ने इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ बना दिया है।भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है, जो देश के 18 प्रतिशत कार्यबल को रोजगार देता है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 2030 तक वर्तमान के 7.3 प्रतिशत से बढ़कर 13 प्रतिशत तक होने की उम्मीद है।

प्रॉपइक्विटी की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष 30 टियर 2 शहरों में घरों की बिक्री में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 2.08 लाख इकाइयों की बिक्री दर्ज की गई, जो इन क्षेत्रों की बढ़ती मांग को दर्शाती है। साथ ही, उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएँ अब लग्जरी लिविंग और प्रीमियम सुविधाओं की ओर बढ़ रही हैं।

वर्ल्डवाइड रियल्टी के सीओओ विकास अग्रवाल ने कहा, “ इन क्षेत्रों में उन्नत शहरी बुनियादी ढाँचे ने कनेक्टिविटी में सुधार किया है, जिससे वे निवेश के लिए बेहद आकर्षक बन गए हैं। महानगरीय ढाँचों में एकीकृत होने के कारण, इन क्षेत्रों में रियल एस्टेट की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद और एनसीआर जैसे क्षेत्रों में मानेसर, न्यू गुरुग्राम और एक्सप्रेसवे नए रियल एस्टेट हॉटस्पॉट बनकर उभर रहे हैं। बेहतर कनेक्टिविटी और उन्नत बुनियादी ढाँचे ने इन क्षेत्रों को निवेशकों और घर खरीदारों के लिए आदर्श विकल्प बना दिया है।”

केडीएमजी ग्रुप के डायरेक्टर सेल्स एंड मार्केटिंग विवेक सिन्हा का कहना है “ पिछला साल रियल एस्टेट के लिए एक मील का पत्थर रहा है। प्रौद्योगिकी, स्थिरता और आवास सामर्थ्य में सुधार ने इस क्षेत्र को फिर से परिभाषित किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) जैसे कार्यक्रमों ने आवास को लोकतांत्रिक बनाया है, जिससे यह व्यापक जनसांख्यिकी के लिए सुलभ हो गया है।”

मोर्स के सीईओ मोहित मित्तल के अनुसार, “ शहरी बुनियादी ढाँचे का विकास टियर 2 और 3 शहरों में रियल एस्टेट को आगे बढ़ाने वाला मुख्य कारक है। ये क्षेत्र सस्ती संपत्ति की कीमतें, स्थिर मूल्य वृद्धि और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ प्रदान करते हैं।” रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से स्मार्ट प्रौद्योगिकियों और स्थिरता-उन्मुख प्रथाओं को अपना रहा है। एआई-संचालित सुविधाओं और पर्यावरण के प्रति जागरूक निर्माण के साथ स्मार्ट घर अब उद्योग में मानक बनते जा रहे हैं। सह-कार्य स्थलों और लचीले कार्यालय मॉडलों का उदय भी उभरते कार्य रुझानों के अनुकूलन को दर्शाता है।”

उन्होंने कहा कि 2025 तक भारत का रियल एस्टेट क्षेत्र जीडीपी में अपने योगदान को दोगुना करने की ओर अग्रसर है। शहरीकरण के बढ़ते स्तर और डिजिटल नवाचार इसे वैश्विक मानकों के साथ जोड़ रहे हैं। आने वाले वर्षों में, भारत का रियल एस्टेट न केवल आर्थिक स्थिरता और समृद्धि के लिए एक मजबूत आधारशिला बनेगा, बल्कि यह देश की प्रगति का प्रतीक भी होगा। यह बदलाव स्थिरता, तकनीकी प्रगति और नवाचार के माध्यम से भारतीय रियल एस्टेट को वैश्विक मानचित्र पर नई ऊँचाईयों पर ले जाने का वादा करता है।

 

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