क्या 90 हजार की लीड अकेले महू से ही मिल जाएगी ?

सियासत

धार संसदीय सीट पर इस बार कांग्रेस ने साफ सुथरी छवि के शिक्षित युवा राधेश्याम मुवेल को प्रत्याशी बनाया है। धार संसदीय क्षेत्र की 8 में से 5 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुक्षी, मनावर, सरदारपुर, गंधवानी और बदनावर की सीटें जीती हैं। इनमें बदनावर को छोडक़र शेष चारों सीटें आदिवासी हैं। जबकि भाजपा को धार संसदीय क्षेत्र में धरमपुरी, महू और धार सीट जीतने में सफलता प्राप्त हुई है। इनमें केवल धरमपुरी की सीट ही आदिवासी है। यानी विधानसभा चुनाव के आधार पर देखा जाए तो कांग्रेस धार संसदीय क्षेत्र में काफी आगे है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। धार के मतदाता लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों पर मतदान करते हैं, जिसका फायदा भाजपा को मिलता है। इसके अलावा धार संसदीय क्षेत्र की धार, बदनावर और महू यह तीनों सामान्य सीटें कांग्रेस को भारी पड़ती है।

पिछली बार लोकसभा चुनाव में महू से 60,000, बदनावर से 40 हजार और धार विधानसभा सीट से भाजपा को लगभग 70,000 मतों की बढ़त मिली थी। इस बढ़त को कांग्रेस पाट नहीं पाई थी। इस बार महू के सभी बड़े कांग्रेसी भाजपा में है। दो बार के विधायक अंतर सिंह दरबार और 2023 में कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़े रामकिशोर शुक्ला भाजपा के पाले में हैं। इसलिए अनुमान है कि केवल महू से ही भाजपा 90 हजार से 1 लाख तक की लीड लेने की स्थिति में है। जाहिर है विधानसभा चुनाव के आधार पर भले ही कांग्रेस मजबूत दिख रही हो लेकिन लोकसभा चुनाव में समीकरण पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में हैं।

इसके अलावा पिछले दो-तीन दिनों से धार संसदीय क्षेत्र में यह चर्चा भी जोरों से है कि कांग्रेस राधेश्याम मुवेल से उम्मीदवारी वापस लेकर महेश कन्नौज को उम्मीदवार बनाएगी। हालांकि उमंग सिंघार के चलते ऐसा होना संभव नहीं है लेकिन यह चर्चा जोरों पर है। इसका कारण यह है कि राधेश्याम मुवेल ने विधिवत अपना प्रचार प्रारंभ नहीं किया है। भले ही कांग्रेस प्रत्याशी ना बदले लेकिन धार संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर जो नैरेटिव बन रहा है उससे पार्टी को नुकसान होना तय है।

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