बीज प्रमाणीकरण संस्था का चतुर्थश्रेणी कर्मचारी मास्टर माइंड
गबन के पैसों से खरीद ली थी 8 करोड़ की जमीन
बैंक मैनेजर समेत अन्य आरोपियों की तलाश जारी
भोपाल, 7 दिसंबर. मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था को 10 करोड़ रुपये की चपत लगाने वाले चतुर्थश्रेणी कर्मचारी और एक लिपिक समेत कुल 6 लोगों को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया है. इस पूरे मामले का मास्टर माइंड चतुर्थश्रेणी कर्मचारी निकला है. उसने कार्यालय द्वारा शासकीय खाते में जमा करने के लिए दी गई दस करोड़ की राशि को अपने खातों में जमा करवा ली और करीब आठ करोड़ रुपये की जमीन खरीद डाली. पुलिस ने खरीदी गई जमीन तथा खातों में जमा करीब एक करोड़ रुपये की राशि फ्रीज करवा दी है. शेष एक करोड़ की राशि बरामद करने की प्रक्रिया चल रही है. इस मामले में बैंक मैनेजर समेत अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था के अधिकारी सुखदेव प्रसाद अहिरवार ने इस मामले की शिकायत सितंबर 2024 में की थी. कोतवाली थाने में की गई शिकायत में बताया गया था कि संस्था द्वारा सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की इमामीगेट स्थित शाखा में पांच-पांच करोड़ रुपये की दो एफडीआर करवाई गई थी, लेकिन ऑडिट के दौरान पता चला कि बैंक में संस्था की एफडीआर नहीं है. उन्होंने इस मामले में संस्था के चतुर्थश्रेणी कर्मचारी बीडी नामदेव और बैंक मैनेजर नोएल सिंह के खिलाफ केस दर्ज करने का आवेदन दिया था. कोतवाली पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. जांच में इन बातों का हुआ खुलासा डीसीपी रियाज इकबाल ने बताया कि संस्था के भृत्य बीडी नामदेव ने कार्यालयीन साथी दीपक पंथी सहायक ग्रेड-03 (लेखा सहायक) तथा अन्य साथी एजेंट बरूण कुमार, शैलेन्द्र प्रधान उर्फ आचार्य बाबा, सेन्ट्रल बैंक इंडिया शाखा इमामीगेट के शाखा प्रबंधक नोयल सिंह के साथ मिलकर 10 करोड़ 2 एफडीआर को बैंक में जमा करवाया. उसके बाद नामदेव और एजेंट वरूण कुमार ने दीपक पंथी के साथ मिलकर संस्था की मूल दोनों एफडीआर को प्राप्त किया. बैंक प्रबंधक नोयल सिंह ने कूटरचित एफडीआर को संस्था के रिकार्ड में गुमराह करने के लिये रख दिया. विभाग की फर्जी सील तथा विभाग प्रमुख के फर्जी हस्ताक्षर से तैयार किये गये कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नामदेव को आहरण एवं वितरण अधिकारी बताकर बैंक मैनेजर की मिलीभगत से संस्था की 10 करोड रूपये की एफडीआर को तोड़ा गया. एजेंट वरूण कुमार के साथी यश बैंक शाखा एमपी नगर के सीनीयर सैल्स मैनेजर धनजंय गिरी की मिलीभगत से संस्था के नाम से यश बैंक में खाता खोलकर राशि ट्रांसफर करवाई गई. यह 10 करोड़ की राशि शैलेन्द्र प्रधान उर्फ आचार्य बाबा ने अपने अन्य साथियो के साथ मिलकर विभिन्न विभिन्न बैंक में फर्जी फर्म तैयार कर उनके नाम पर चालू खाते खुलवाये और करीब 50 एकाउंट्स में पैसे ट्रांसफर करवाए. खाताधारकों का कमीशन काटकर यह राशि नगदी के रूप में प्राप्त कर ली गई. आरोपियों ने राष्ट्रीय पशु संवद्र्धन योजना के अंतर्गत खरीदी गई जमीन पर प्रोजेक्ट लगाने की योजना थी, जिसमें वह शासन से सब्सिडी लेना चाहते थे. अब तक 6 आरोपी गिरफ्तार एसआईटी ने इस मामले में आरोपी भृत्य बीडी नामदेव को रीवा से गिरफ्तार किया है. वह घटना के बाद से ही फरार चल रहा था. इसके अलावा साथी कर्मचारी दीपक पंथी निवासी गंज मोहल्ला विदिशा, धनंजय गिरी निवासी बावडिय़ा कला शाहपुरा, शैलेंद्र प्रधान उर्फ आचार्य बाबा निवासी रामायण बिल्डिंग कटारा हिल्स, राजेश शर्मा निवासी हालमार्क सिटी कोलार रोड और पीयूष शर्मा निवासी सिंधी कालोनी जिली सीहोर को पकड़ा है. सेंट्रल बैंक आफ इंडिया का मैनेजर नोएल सिंह समेत कई अन्य आरोपी फिलहाल हैं, जिनकी तलाश की जा रही है. आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली एसआईटी को 30 हजार रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई है. दस्तावेज समेत 9 करोड़ की जब्ती डीसीपी इकबाल ने बताया कि आरोपी बीडी नामदेव के कब्जे से शासकीय राशि के पैसे से खरीदी गई जमीन की रजिस्ट्री, गबन करने मे प्रयोग किये गये कूटरचित दस्तावेज, संस्था की फर्जी सीलों को जप्त किया गया है. आरोपीगणों द्वारा शासकीय रकम से खरीदी गई 6.4 करोड़ रूपये की जमीन की रजिस्ट्री की छायाप्रति, अन्य फरार आरोपी द्वारा शासकीय राशि से खरीदे गए भूखण्ड कीमत करीबन 1.25 करोड़ एवं विभिन्न खातो में करीबन 51 लाख रुपये की राशि को बैक खातों में होल्ड करवाया गया है. इस प्रकार मप्र राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था की कुल करीबन 8.65 करोड़ रूपये की राशि को वसूल किया गया है.