नर्सिंग हड़ताल के दोषियों पर लिया गया है एक्शन

हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण किया

जबलपुर। प्रदेश में नर्सों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को हाईकोर्ट ने अवैध घोषित करते हुए सरकार को कार्यवाही के निर्देश दिये थे। याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से हाईकोर्ट जस्टिस सुरेश कुमार कैत तथा जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ को बताया गया कि हड़ताल को अवैध घोषित करने के बाद भी काम पर नहीं लौटने वाली नर्सों के खिलाफ कार्यवाही की गयी है। युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका का निराकरण कर दिया।

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 10 जुलाई को नर्सो की प्रदेश व्यापी हडताल को अवैध धोषित करते हुए 10 जुलाई 2023 से जारी नर्सों की हड़ताल को अवैध घोषित करते हुए 24 घंटो में काम पर वापस लौटने के आदेष दिये थे। आदेश के बावजूद भी कुछ नर्सो काम पर वापस नहीं लौटी थी। नर्सिंग ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश जाट ने 14 जुलाई को हाईकोर्ट में उपस्थित होकर अंडरटेकिंग पेश करते हुए हड़ताल कॉल-ऑफ करने की जानकारी पेष की थी। इसके अलावा भविष्य में हाईकोर्ट की अनुमति के बिना हड़ताल नहीं का आष्वासन भी दिया गया था। याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने सरकार को हड़तालरत नर्सों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिये थे।

याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद सरकार की तरफ से कार्यवाही के संबंध में युगलपीठ के समक्ष जानकारी पेश की गयी। जिसके बाद युगलपीठ ने याचिका का निराकरण कर दिया। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की।

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