जैकबाइट समूह को छह चर्चों का प्रशासन मलंकारा गुट को सौंपने का निर्देश दिया

नयी दिल्ली 03 दिसंबर (वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जैकबाइट समूह को केरल के एर्नाकुलम और पलक्कड़ जिलों में तीन-तीन चर्चों का प्रशासन मलंकारा ऑर्थोडॉक्स समूह को सौंपने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने दोहराया कि 2017 का फैसला अंतिम है और अनुपालन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि पीठ ने पाया कि जैकबाइट सीरियन चर्च के सदस्य 1934 के संविधान के तहत चर्चों के प्रशासन के संबंध में अपने फैसलों की जानबूझकर अवज्ञा कर रहे थे जो मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च को नियंत्रित करता है, इसलिए यह आदेश पारित किया गया।

न्यायालय ने जैकबाइट समूह को केरल के एर्नाकुलम और पलक्कड़ जिलों में तीन-तीन चर्चों का प्रशासन मलंकारा ऑर्थोडॉक्स गुट को सौंपने का आदेश दिया। पीठ ने कहा कि जैकबाइट सदस्यों को अनुपालन की पुष्टि करने वाला हलफनामा प्रस्तुत करना होगा। ऐसा न करने पर अवमानना ​​कार्यवाही की जाएगी।

न्यायालय ने मलंकारा समूह को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि इन चर्चों में कब्रिस्तान, स्कूल और अस्पताल जैसी सामान्य सुविधाएँ जैकोबाइट समूह के लिए 1934 के संविधान के अनुसार सुलभ रहें।

यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के 2017 के निर्णय से निकला है जिसमें मलंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के कुछ चर्चों पर प्रशासनिक अधिकारों की पुष्टि की गई है। इसके बावजूद जैकोबाइट समूह ने कथित तौर पर निर्णय के कार्यान्वयन में बाधा डाली, जिसके कारण केरल उच्च न्यायालय ने 17 अक्टूबर को जिला अधिकारियों को अनुपालन लागू करने के निर्देश जारी किए।

जैकबाइट समूह के वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने तर्क दिया कि उनके द्वारा विकसित और रखरखाव किए गए चर्चों को मलंकारा समूह को सौंपना अनुचित था।

न्यायमूर्ति भुयान ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया, ‘आप अवमानना ​​कर रहे हैं। क्या आपके लिए ये सभी तर्क उठाने का अधिकार है।’

न्यायमूर्ति कांत ने जोर देकर कहा कि पहले हस्तांतरण होना चाहिए, ‘यदि आप हमारे समक्ष सुनवाई चाहते हैं तो निर्णय का अनुपालन करें, चाबियाँ सौंप दें।’

मलंकारा गुट के वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने समुदाय को सुविधाओं तक पहुँच की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की लेकिन निर्दिष्ट किया कि यह 1934 के संविधान के अनुरूप होना चाहिए।

न्यायालय ने कहा, ‘जैकबाइट गुट को चर्च प्रशासन सौंपना चाहिए और अनुपालन हलफनामा दाखिल करना चाहिए।

मलंकारा समूह को ऐसी सेवाओं का लाभ उठाने के लिए 1934 के संविधान के प्रति निष्ठा की आवश्यकता के बिना सार्वजनिक सुविधाओं तक पहुँच की अनुमति देने का लिखित आश्वासन देना चाहिए। न्यायालय अनुपालन का आकंलन करने के लिए 17 दिसंबर को मामले की समीक्षा करेगा।

यह मामला केरल के छह चर्चों से जुड़ा है जिसमें तीन एर्नाकुलम में और तीन पलक्कड़ में जहाँ नियंत्रण को लेकर तनाव बना हुआ है।

मलंकारा प्रतिनिधियों ने सुनवाई के दौरान जैकबाइट समूह के पक्ष में राज्य द्वारा राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप लगाया।

न्यायमूर्ति कांत ने टिप्पणी की कि धार्मिक मामलों में राज्य का हस्तक्षेप अंतिम उपाय होना चाहिए और क्रिसमस से पहले शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा ”हमें उम्मीद है कि आप सभी बिना किसी समस्या के क्रिसमस मनाएंगे।’

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