मामला: श्रीराम मंदिर की जमीन का, रजिस्ट्री दूसरे सर्वे की, कब्जा दिया मंदिर की जमीन पर
शाजापुर, 29 नवंबर. शाजापुर राम मंदिर की 37 बीघा जमीन पर शहर के एक तत्कालीन पटवारी और स्टाम्प वेंडर की मिलीभगत से राम मंदिर की जमीन पर लेागों को अवैध कब्जा देकर कॉलोनी बसा दी. इस संबंध में नवभारत द्वारा अक्टूबर 2022 में लगातार समाचार प्रकाशित किए गए. खबर के बाद जमीन का सीमांकन तो हुआ, लेकिन आज जो प्रशासन ने कार्यवाही की, उस पर सवालिया निशान लगते हैं कि आखिर जिन भूमाफियाओं ने श्रीराम मंदिर की जमीन बेचकर लोगों को भूखंड दिए हैं और उन भूखंडों का पटवारी और अधिकारियों ने नामांतरण किया, इन पर कार्यवाही कब होगी?
गौरतलब है कि शाजापुर का नया रिकॉर्ड तैयार किए जाने के चलते जिले भर में लगभग सभी भूमि सर्वे क्रमांक मेें परिवर्तन हो गया है, लेकिन ग्राम मगरिया के भूमि सर्वे क्रमांक का बंदोबस्त नहीं होने के कारण इसके अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में आज भी करीब 100 वर्ष पुराने सर्वे नंबर ही दर्ज है. इन्हीं सर्वे नंबर के रिकॉर्ड में श्रीराम मंदिर की भूमि भी दर्ज है. गवली मोहल्ले के सामने स्थित श्रीराम ंमंदिर की जमीन ग्राम मगरिया के भूमि सर्वे क्रमांक 79, 80, 81, 85, 86, 87, 88, 89, 90 कुल 37 बीघा जमीन शासकीय भूमि रिकॉर्ड में श्रीराम मंदिर के नाम से दर्ज है. इस जमीन पर स्कूल, मकान, पार्क बन चुके हैं. दुपाड़ा रोड से शुरू हुई मंदिर की जमीन नहर पर जाकर खत्म हुई है. इसी मंदिर की जमीन बायहेड़ा में भी बताई जा रही है. अब इस मामले में राजस्व विभाग ने मंदिर की भूमि का सीमांकन करने के लिए टीम गठित की थी और उसके बाद श्रीराम मंदिर की जमीन पता चला था.
किस सर्वे में कितनी है राम मंदिर की जमीन?
श्रीराम मंदिर की 37 बीघा जमीन पर चित्रांश नगर बसाकर मंदिर की जमीन पर कब्जा किया गया है. इसमें किस सर्वे में कितनी जमीन है, इसकी जानकारी नवभारत ने एकत्रित की, ग्राम मगरिया के सर्वे नंबर 79 में 10 बीसवां याने 10 हजार स्क्वेयर फीट, सर्वे नंबर 80 में 3 बीघा, सर्वे नंबर 81 में 1 बीघा 6 बीसवां, सर्वे नंबर 85 में 1 बीघा 10 बीसवां, सर्वे नंबर 86 में 6 बीघा 4 बीसवां, सर्वे नंबर 87 में 10 बीसवां, सर्वे नंबर 88 में 5 बीघा 18 बीसवां, सर्वे नंबर 89 में 12 बीघा 9 बीसवां, सर्वे नंबर 90 में 6 बीघा. इस प्रकार कुल 37 बीघा 10 बीसवां जमीन राम मंदिर के नाम दर्ज है, जिस पर भूमाफियाओं ने भूखंड काट दिए. इसी प्रकार ग्राम बायहेड़ा में 25 बीघा, शहर के चित्रांश नगर पुलिस लाईन के पीछे नईसडक़ की 1 बीघा 2 बीसवां जमीन भी राम मंदिर के नाम से दर्ज है.
कैसे हथियाई भूमाफियाओं ने श्रीराम मंदिर की जमीन…?
सर्वे नंबर 95 शहर के अलग-अलग भूमाफियाओं के नाम से है और भूमाफियाओं ने लोगों को रजिस्ट्रियां सर्वे नंबर 95 में की है और कब्जा राम मंदिर की जमीन पर दिया है. भूमाफियाओं का यह खेल कागज में तो पुख्ता है, क्योंकि रजिस्ट्री 95 नंबर पर है और कब्जा राम मंदिर की जमीन पर है. सवाल यह उठता है कि जब भूमाफियाओं ने अपने सर्वे नंबर 95 की समस्त रजिस्ट्रियां कर दी, तो फिर मौके पर 95 नंबर सर्वे में जमीन कैसे बच गई. सर्वे नंबर 95 में शहर के कई रसूखदार भूमाफियाओं के नाम से आज भी जमीन है, जिन्होंने रजिस्ट्रियां कर लोगों को राम मंदिर की जमीन पर काबिज करा दिया. अभी तक जो नाम 95 नंबर सर्वे में आए हैं, उसमें रक्षित पाटिल, संजय सोलंकी के अलावा दो अन्य नाम शामिल हैं, जिन्होंने 95 नंबर सर्वे को बेचकर राम मंदिर की जमीन पर लोगों को बसा दिया और मौके पर आज भी 95 नंबर सर्वे खाली पड़ा हुआ है.
जमीन बेचने वाले पाटील और सोलंकी का नाम चर्चा में
चामुंडा टेकरी के पास सर्वे नंबर 95 खरीदकर भूमाफियाओं ने लोगों के साथ धोखाधड़ी कर श्रीराम मंदिर की शासकीय जमीन पर भूखंड काट दिए. इसमें लालघाटी थाने के पास से लेकर नहर तक श्रीराम मंदिर की जमीन बताई जा रही है. कुछ जमीन अभी भी खुली पड़ी हुई है, तो वहीं श्रीराम मंदिर की जमीन पर तत्कालीन नगर पालिका परिषद ने पार्क का निर्माण भी कर दिया. स्टेडियम के पीछे से यह जमीन कई लोगों के कब्जे में है. इस जमीन पर एक प्रायवेट स्कूल भी बन चुका है. 95 नंबर सर्वे शुरू से ही विवादित सर्वे रहा है और भूमाफियाओं ने इस सर्वे की रजिस्ट्री कराकर श्रीराम मंदिर की जमीन पर कब्जा दिया है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसमें पाटील और सोलंकी के नाम की चर्चा है, जिन्होंने सर्वे नंबर 95 की रजिस्ट्री कराकर लोगों को राम मंदिर की जमीन पर काबिज कर दिया था.
भूखंड खरीदने वाले इन लोगों पर कार्रवाई क्यों..?
सर्वे नंबर 81 में 6 लोग के निर्माण अवैध पाए गए, जिनमें 0.50 रकबा है. 85 नंबर में 1 निर्माण है, जिसमें 0.9 रकबा है. सर्वे नंबर 88 में 7 निर्माण है, जिसमें 0.100 रकबा है. 89 में 8 निर्माण, 0.114 रकबा और सबसे ज्यादा सर्वे नंबर 90 में 15 निर्माण हैं, जिसका रकबा 0.412 है. कुल 37 लोगों के निर्माण पाए गए हैं राम मंदिर की जमीन पर. 0.885 रकबे पर अवैध कब्जा है. सीमांकन के दौरान जिन लोगों के राम मंदिर की जमीन पर मकान बने हैं, उनमें बाबूलाल देवनारायण, रायसिंह, आशीष सोनी, लखन राजपूत, लाड़सिंह, ममता राठौर, विशाल मालवीय, करण सिंह गुर्जर, चेतन रामचंद्र सोलंकी, संजय पिता छोटेलाल सोलंकी, चामुंडा धर्मशाला, भंवरलाल, संजय जोशी, आशा माहेश्वरी, एलकार सिंह, विकास पंड्या, गणपत सिंह, कौशल भावसार, रेखा शर्मा, पन्नालाल, कमलेश शिवहरे, लीलाबाई, गोवर्धन, आनंदीलाल जोशी, ओमप्रकाश शर्मा, दिनेश शर्मा, मनोहर लाल, सतीश शर्मा, सोमेंद्र शर्मा, देवनारायण मकवाना, दिलीप जोशी, महेश शर्मा, सुरेश जोशी, अरुण शर्मा आदि लोगों के नाम राम मंदिर की जमीन पर काबिज पाए गए हैं.
उन अधिकारियों पर कब कार्यवाही होगी, जिन्होंने नामांतरण किया
भूमाफिया तो श्रीराम मंदिर की जमीन बेचने के लिए दोषी हैं ही, लेकिन वे राजस्व अधिकारी भी उतने ही दोषी हैं, जितने भूमाफिया. क्योंकि जिन लोगों ने विश्वास पर इन भूमाफियों से भूखंड खरीदा था, उनका नामांतरण कैसे हो गया. सवाल यह उठता है कि छोटे-छोटे नामांतरण के लिए राजस्व विभाग तमाम कागजों की खोजबीन करता है, लेकिन श्रीराम मंदिर की जमीन के तथाकथित भूखंड के मामले में राजस्व के अधिकारियों और पटवारियों ने आखिर नामांतरण कैसे कर दिया. प्रशासन अब 37 मकानमालिकों को नोटिस देकर उन्हें बेदखल कर रहा है, लेकिन सवाल यह उठता है कि उन अधिकारियों और तत्कालीन पटवारियों पर क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही, जिन्होंने मंदिर की जमीन का नामांतरण भूखंड के रूप में किया. क्या मंदिर की जमीन को बेचने वाला दोषी नहीं है. क्या वो अधिकारी-पटवारी दोषी नहीं है, जिन्होंने नामांतरण किया. क्या केवल खरीदने वाला ही दोषी है. हर बार सरकारी जमीन या मंदिर की जमीन की कार्यवाही की जाती है, तो केवल उन लोगों पर कार्यवाही की जाती है, जिन्होंने भूखंड खरीदे हैं और हर कार्यवाही से वे भूमाफिया और वे अधिकारी बच जाते हैं, जिन्होंने मंदिरों की जमीनों का नामांतरण किया है.
इनका कहना है
श्रीराम मंदिर की जमीन को मुक्त कराकर उसे चिन्हित किया गया है. कुछ लोगों का अतिक्रमण हटाया है. कुछ का आगे अतिक्रमण हटाया जाएगा. इस मामले में यह भी जांच की जाएगी कि किन लोगों ने यह जमीन बेची है, उन पर भी कार्यवाही की जाएगी.
– मनीषा वास्कले, एसडीएम – शाजापुर