नयी दिल्ली 26 नवंबर (वार्ता) भारतीय रेलवे ने मुंबई महानगर में उपनगरीय एवं शहर से पूर्वी, मध्य एवं उत्तर भारत के लिए रेल यातायात को आसान बनाने के लिए क्षमता निर्माण की योजना बनायी है जिससे चार साल के भीतर रोज़ाना 300 उपनगरीय ट्रेनें और सौ मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन संभव हो जाएगा।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज यहां पत्रकारों से सोमवार को मंत्रिमंडल में स्वीकृत रेल परियोजनाओं के बारे में चर्चा करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रेलवे ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ आदि को जाेड़ने वाले मध्य रेलवे के मनमाड-भुसावल-खंडवा के 291 किलोमीटर लंबे सेक्शन को चार लाइनों वाला बनाने तथा इसी लाइन पर उत्तर प्रदेश में प्रयागराज के इरादतगंज से मानिकपुर तक 84.4 किलोमीटर तक तीसरी लाइन बिछाने से यातायात आसान हो जाएगा। महाराष्ट्र के खान देश इलाके के कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान आदि मध्य भारत, उत्तर भारत एवं पूर्वांचल तक आसानी से पहुंच सकेंगे। इन इलाकों की महाराष्ट्र के तीन बंदरगाहों -जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट, वाधवन और रोहा तक पहुंच अासान होगी।
रेल मंत्री ने कहा कि यह काम चार साल में पूरा करना है। इसके लिए सबसे पहले पुल बनाने का काम शुरू होगा और बाद में पटरी बिछाने का। इन तीनों परियोजनाओं के पूरा होने से 18 करोड़ लीटर डीजल की बचत होगी जो लगभग नौ करोड़ पेड़ लगाने के बराबर कार्बन डाइ ऑक्साइड का उत्सर्जन बचाएगी।
श्री वैष्णव ने कहा कि इसके अलावा मुंबई में पांच टर्मिनस का क्षमता विस्तार किया जा रहा है और दो नये टर्मिनस बनाये जा रहे हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, परेल, लोकमान्य तिलक टर्मिनस, कल्याण, पनवेल, मुंबई सेंट्रल, बांद्रा टर्मिनस, जोगेश्वरी (नया टर्मिनस निर्माण), वसई रोड (कॉर्ड लाइन सहित मेगा टर्मिनस निर्माण) में क्षमता विस्तार से कम से कम सौ ट्रेन प्रतिदिन आैर चलाना संभव होगा। उन्होंने कहा कि इस समय मुंबई में उपनगरीय रेलसेवा में प्रतिदिन करीब 3000 गाड़ियां चलायीं जाती हैं। क्षमता विस्तार की परियोजनाओं के पूरा होने के बाद कम से कम 300 अतिरिक्त लोकल ट्रेन चलाना संभव होगा।
उन्होंने रेल नेटवर्क में क्षमता सुधार से मालवहन में हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयासों के बारे में कहा कि माल ढुलाई के बारे में एक की सूत्र दुनिया भर में प्रचलित है कि भारी माल एवं लंबी दूरी का परिवहन रेलवे से तथा हल्का माल एवं छोटी दूरी का परिवहन ट्रकों से होता है। एक समय देश में माल परिवहन में रेलवे की हिस्सेदारी 27 प्रतिशत थी जो अब बढ़ कर 29 प्रतिशत हो गयी है और इसे 35 प्रतिशत से अधिक के स्तर पर ले जाना है। उन्होंने कहा कि इस समय 500 करोड़ टन माल वहन हो रही है और वर्ष 2030 तक 800 करोड़ टन माल ढुलाई हुआ करेगी। इस अतिरिक्त 300 करोड़ टन माल में से कुछ हिस्सा रेलवे को भी मिलेगा जिसके लिए नेटवर्क की क्षमता का विस्तार करना ही होगा।