बेटी और बहनों की सुरक्षा एवं सम्मान, समाज के हर व्यक्ति की है जिम्मेदारी: यादव

भोपाल, 24 नवंबर (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए संचालित किए जा रहे विशेष जागरूकता अभियान ‘हम होंगे कामयाब’ पखवाड़े को सफल बनाने की अपील की है।

डॉ यादव ने जारी अपने संदेश में कहा है कि हमारी बेटियों और बहनों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना आवश्यक है। बेटियों और बहनों की सुरक्षा और सम्मान केवल सरकार या पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। इस दृष्टि से 25 नवंबर से 19 दिसंबर तक ‘हम होंगे कामयाब’ पखवाड़ा मनाने जा रहे हैं। इसमें पुरूष वर्ग की भूमिका ज्यादा अहम है। पुरूष अपनी सोच और व्यवहार में बदलाव लाकर समाज में फैले नकारात्मक दृष्टिकोण को चुनौति दे सकते हैं, जो महिलाओं के प्रति हिंसा का मुख्य कारण है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब पुरूषों की जिम्मेदारी है कि हम अपने समाज और परिवार में अपनी माता-बहनों को सुरक्षित रखें और उनकी चिंता करें। हमें जन्म से ही घर में लड़कों को यह सिखाना होगा कि हर बेटी और महिला का सम्मान करें। बेटियों के साथ शारीरिक हिंसा या शोषण न हो, इसकी चिंता करें और उन्हें अपने बराबर का समझें।

डॉ यादव ने कहा कि यह आवश्यक है कि माता-पिता अपने बच्चों को जागरूक करें और महिलाओं पर होने वाली हिंसा का विरोध करें। साथ ही समाज और परिवार में सभी समानता का माहौल बनाएं। बेटे-बेटी और महिला- पुरूष का भेदभाव समाप्त होना चाहिए। महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा के लिए समाज, सरकार और कानून सभी का समान रूप से सहयोग आवश्यक है। तभी हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकेंगे। जहां हर महिला और हर बहन सुरक्षित होगी और अपने सपनों को साकार कर सकेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि किसी को मदद की जरूरत हो तो तुरंत चाइल्ड लाइन 1098 या महिला हेल्प लाइन 181 पर डायल कर सकते हैं। डायल 100 पर भी सम्पर्क कर मदद ली जा सकती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार सभी की इज्जत करते हुए विशेष रूप से माता और बहनों के प्रति समाज के योगदान को कभी नहीं भूलेगी। सरकार महिलाओं के साथ सदैव खड़ी दिखाई देगी। आईए हम सब मिलकर “हम होंगे कामयाब” पखवाड़े को सफल बनाएं।

‘हम होंगे कामयाब’ पखवाड़े में लगातार 15 दिन विभिन्न विभागों के समन्वय से जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की जायेंगी। पखवाड़े के प्रथम दिन राज्य स्तरीय दो दिवसीय जेंडर संवेदीकरण कंसल्टेशन कार्यक्रम होगा, जिसमें सभी जिलों के संबंधित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी वर्चुअल शामिल होंगे। दूसरे दिन युवाओं के साथ ‘जेन्डर आधारित हिंसा’ पर संवाद और ‘जेन्डर आधारित हिंसा का मनो-वैज्ञानिक प्रभाव’ विषय पर चर्चा होगी। साथ ही जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर जेंडर संवेदनशीलता और जेन्डर आधारित मुद्दों से निपटने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, बाल देखभाल संस्थान के कर्मचारियों, वन स्टॉप सेंटर, शक्ति सदन, शौर्य दल और शक्ति निवास तथा ऊर्जा महिला डेस्क कर्मियों के लिये वेबिनार एवं कार्यशाला होगी।

पखवाड़े के तीसरे दिन 27 नवंबर को जिला, विकासखण्ड एवं ग्राम स्तर पर बाल विवाह निषेध अधिनियम बाल विवाह निषेध अधिनियम और इन कानूनों के उल्लंघन के कानूनी परिणामों पर वेबिनार और सत्र का आयोजन और बाल विवाह मुक्त भारत की प्रतिज्ञा दिलाई जायेगी। इसी क्रम में महिलाओं के अधिकारों, हेल्पलाइन और एसएचई बीओएस पोर्टल के प्रति जागरुकता लाने, पास्को, घरेलु हिंसा और बाल विवाह निषेध जैसे प्रमुख कानूनों का प्रचार-प्रसार संचार के विभिन्न माध्यमों से किया जायेगा। जिला, विकासखण्ड और ग्राम स्तर पर घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम पर संवाद कार्यक्रम होंगे। घरेलू हिंसा की रिपोर्ट करने और उपलब्ध सहायता सेवाओं तक पहुंचने के महत्व पर केन्द्रित गतिविधियाँ होगी। इसके अतिरिक्त कानूनी जागरूकता संबंधी कार्यशाला के साथ सेमिनार, संवाद, काव्य प्रतियोगिता, पीसी और पीएनडीटी एक्ट के प्रति जागरूकता लाने रैली, चित्रकला प्रतियोगिता और सामुदायिक चर्चाएं होगी।

पखवाड़े अंतर्गत समुदाय जेंडर उन्मुखीकरण, संस्थागत संबंधों को मजबूत करना, सकारात्मक मर्दागनी पुरुषत्व विषय पर संवेदीकरण, आपातकालीन हेल्पलाइन एवं साइबर सुरक्षा पर जागरूकता, कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा, साइबर सुरक्षा एवं डिजिटल साक्षरता के प्रति जानकारी देकर जागरूकता गतिविधियाँ आयोजित की जायेंगी। पखवाड़े के अंतिम दिन राज्य स्तरीय समापन कार्यक्रम होगा, जिसमें स्थानीय जन-प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। साथ ही सभी जिलों से अधिकारी वर्चुअल शामिल होंगे।

 

 

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