नयी दिल्ली/जोधपुर 23 नवंबर (वार्ता) उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने चिकित्सा पेशे में व्यवसायीकरण और नैतिक ह्रास पर चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को कहा कि स्वदेशी निर्मित चिकित्सा उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
श्री धनखड़ ने राजस्थान के जोधपुर में राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी के 64 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि व्यक्ति के स्वास्थ्य, उसकी उत्पादकता और समाज के समग्र स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंध है।
उन्होंने कहा,“स्वास्थ्य सर्वोत्तम और प्राथमिक चिंता का विषय है क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य न केवल व्यक्तिगत प्रयासों के लिए आवश्यक है, बल्कि समाज के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।”
चिकित्सा पेशे में व्यवसायीकरण और नैतिक ह्रास पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री धनखड़ ने कहा, “चिकित्सक पेशेवरों को संरक्षक के रूप में सेवा करनी होती है और यह भूमिका भारत में और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत एक-छठाई मानवता का घर है। ध्यान केवल चिकित्सीय देखभाल तक सीमित नहीं रहना चाहिए। अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रचार करना चाहिए। शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य का वकील बनना होगा। लेकिन स्वास्थ्य देखभाल में चुनौतियाँ भी हैं। व्यवसायीकरण और नैतिक ह्रास की समस्याओं को सुलझाना जरूरी है।”
श्री धनखड़ ने कहा कि विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वस्थ समाज की आवश्यकता है।
स्वदेशी निर्मित चिकित्सा उपकरणों के समर्थन की आवश्यकता को व्यक्त करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “हमें स्वदेशी निर्मित चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए। इस मिथक को तोड़ना होगा कि आयातित सामान श्रेष्ठ होते हैं। अब ऐसा नहीं है। मैं भारतीय उद्योग, व्यापार और वाणिज्य से अपील करता हूं कि वे देश में चिकित्सा उपकरणों का निर्माण करने की दिशा में कार्य करें, ताकि न केवल देश के लिए, बल्कि दुनिया के लिए भी उत्पाद तैयार किए जा सकें।”
प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों में स्वास्थ्य पर दिए गए महत्व को रेखांकित करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि स्वास्थ्य, सिर्फ बीमारी का अभाव नहीं है, बल्कि समग्र कल्याण की स्थिति है।