ईद-उल-फितर इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में एक है, जिसे रमजान खत्म होने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को मनाया जाता है। रमजान के पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं और रमजान की समाप्ति के साथ ही रोजा भी खत्म हो जाता है। इसलिए ईद को रमजान के अंत का भी प्रतीक माना जाता है।
गुरुवार सुबह ईद उल फितर का त्यौहार हर्षोल्लास से मनाया गया। ईद पर मुस्लिम समाज के लोगों ने ईदगाह में ईद की नमाज अदा कर अमन की दुआ मांगकर एक दूसरे को गले लगाकर बधाई देते नजर आए। नमाज पूरी होने के बाद इमाम साहब ने कहा कि इस्लाम सलामती व मोहब्बत का महजब है, नफरत का नहीं कि किसी के साथ नफरत की जाए। ईद खुदा का इनाम है। ईद पर सभी गले शिकवे मिटाकर दोस्तों व अपनों की तरह सभी को गले लगाना चाहिए।शहर की फूलबाग और कंपू स्थित ईदगाह सहित विभिन्न मस्जिदों में सुबह से ही नमाजियों का तांता लग गया था। इस मौके पर पुलिस प्रशासन भी मुस्तैद रहा।
नमाज अदा करने के बाद मुसलमानों में खुशी का माहौल था। शहर की कई मस्जिदों में अलग-अलग समय पर ईद की नमाज पढ़ी गई। नमाज अदा करने के बाद नमाजी बाजार में खरीदारी करने के लिए पहुंचे। कई मोहल्लों में ईद के इस पावन अवसर पर सिवाइयां और मिष्ठान बांटा जा रहा है। शहर की सभी मस्जिदों को रंग बिरंगी लाइट से सजाया गया था।रमजान के 30 रोजे के बाद ईद-उल-फितर (मीठी ईद) गुरुवार को मनाई गई। सुबह से ही ईदगाह समेत विभिन्न मस्जिदों में नमाज अता कर देश की खुशहाली, तरक्की, शांति व भाईचारा के लिए दुआ मांगी। छोटे से लेकर बड़ों ने एक दूजे को गले लगाकर मुबारकबाद दी।सभी नमाजियों ने नमाज खत्म होने के बाद एक दूसरे के गले मिलकर ईद की बधाई दी। नमाजियों में बच्चे बूढ़े और जवान सभी उम्र वर्ग के लोग शामिल थे। नमाज के दौरान पूरी मस्जिद में पूरी तरह से शांति रही। दुआओं के लिए उठे हाथ और जुबान पर अपने किए हुए गुनाहों की माफी और अल्लाह ताला का नाम था।