मामला प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना द्वारा भोयरा रोड से महुरी डुगरी तक बने रोड़ का
खस्ता हाल सडक़ से लोगों का निकलना हुआ दुश्वार, दुर्घटना का मंडराता है खतरा
महेश राठौर
झाबुआ। पहले तो गांव के ग्रामीण कच्चे मार्ग को पक्की सडक़ बनाने के लिए प्रशासन को आवेदन देकर गुहार लगाते हैं, प्रशासन के बाद फिर नेता नगरी को सडक़ बनाने के लिए गुहार लगाते फिरते हैं, ऐसा करते हुए गांव के ग्रामीणों द्वारा सडक़ निर्माण की मांग करते हुए कई साल बीत जाते हैं और बड़ी मुश्किल से मांग पूरी होने के बाद सडक़ बनाने की स्वीकृति मिलती है, ग्रामीणों की मांग पर सरकार लाखों रुपए सडक़ निर्माण के लिए स्वीकृत करती है लेकिन सडक़ निर्माण से पहले ही ठेकेदार और अधिकारियों के बीच सदभाव का प्लान तैयार हो जाता है और लाखों रुपए की राशि का बंदरबाट कर गुणवत्ताहीन सडक़ बनाकर कागजों और कम्प्युटर स्क्रीन पर बेस्ट सडक़ बताकर सडक़ निर्माण कर लिया जाता है। शासकीय कागजों और कम्प्युटर स्क्रीन पर बेस्ट सडक़ दिखती है वही जमीनी धरातल पर वहीं सडक़ गारंटी की समया अवधि में ही भ्रष्टाचार की मारी नजर आती है। ऐसा ही मामला झाबुआ से 5 किमी दूर प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना द्वारा भोयरा रोड से महुरी डुगरी रोड़ पर देखने को मिल रहा है, जो सडक़ गारंटी अवधि के पूर्व ही जगह-जगह से खस्ता हाल नजर आ रही है, जिस पर राहगीरों का निकलना दुश्वार हो चला है। ग्रामवासी प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना से लेकर ठेकेदार को कोनसे से नही चुक रहे हैं।
सडक़ की गारंटी जनवरी 2026 तक
प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अंतर्गत बनाई गई सडक़ जिसके रोड किनारे चस्पा जानकारी के अनुसार मार्ग का नाम भोयरा रोड से महुरी डुगरी लम्बाई 1.72 कि.मी, मार्ग की लागत 19.07 लाख, गारंटी अवधि की पूर्णता 3 जनवरी 2026, आगामी पांच वर्षो हेतु संधारण, रखरखाव कार्य का विवरण, मप्र शासन के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा वित पोषित, रखरखाव कार्य हेतु नियुक्त ठेकेदार श्री कंस्ट्रवशन राजकोट (गुजरात) पैकेज क्रमांक एमपी 19 पीटी 022, कार्य प्रारभ तिथि 4 जनवरी 2021, कार्य पूर्णता 3 जनवरी 2026, पांच वर्षों के रखरखाव कार्य की लागत 4.61 लाख, कियान्वयन एजेंसी महाप्रबंधक मप्रग्रासविप्राधि परि क्रिया इकाई झाबुआ अंकित है, जबकि जानकारी अनुसार सडक़ निर्माण कार्य तिथि 4 जनवरी .2021 में प्रारंभ हुआ और अभी वर्ष 2024 चल रहा है, इस साल को खत्म होने में भी डेढ माह से अधिक का समय बाकी है, वही सडक़ की गारंटी दिनांक 3 जनवरी 2026 तक है और 2026 आने में करीब 14 माह का समय बाकी है, उसके पूर्व ही सडक़ अपना अस्तित्व भ्रष्टाचार की भेंट चढऩे के कारण खो चुकी है।
सडक़ गारंटी अवधी के पूर्व ही हो गई गायब
प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना द्वारा बनाया भोयरा रोड से महुरी डुगरी रोड़ जिसकी लम्बाई 1.72 कि.मी है और उसका निर्माण 19.07 लाख की लागत से किया है, लाखों की राशी खर्च कर बनाई सडक़ गारंटी अवधि मेंं ही सडक़ बनाने का नमोनिशान खत्म होता दिखाई दे रहा है और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सडक़ पर सडक़ से गुजरते समय लगता है कि कभी सडक़ बनी भी थी या नहीं…? रोड से निकलने वाले वाहन चालक विकास मेड़ा व दिलीप भूरिया ने बताया कि यह रोड बनी उसके बाद हुई पहली बारिश में ही रोड खस्ता हाल हो गया। ग्रामवासियों द्वारा कई बार शिकायत करने के बाद थोडा बहुत रिपेरिंग कार्य हुआ, लेकिन जगह-जगह से रोड उखड चुकी है। हमारे गांव वालों का दो पहिया वाहन से रोजाना झाबुआ आना जाना इसी रोड से होता है लेकिन इस रोड पर बड़ी सावधानी से निकालना पड़ता है कभी भी जर्जर रोड की वजह से दुर्घटना का हमेशा भय बना रहा है। सडक़ बनाने वाले अधिकारी और ठेकेदार ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी खराब सडक़े बनाकर मलाई सुतने में लगे हुए हैं और यहां वाहन चालक से लेकर पैदल तक निकलने वाले ऐसी खराब सडक़ों की वजह से जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं, लेकिन उन्हें लोगों की जान की चिंता नही है, इसीलिए ऐसे घटिया निर्माण कर रहे है।
ग्रामीण लगा रहे घोटाले के आरोप
भोयरा रोड़ से महुरी डुगरी आये दिन निकलने वाले ग्रामीण राजेश वसुनिया, कसना, अनिल भूरिया व पूर्व पंच का आरोप है कि घटिया सडक़ बनाकर ठेकेदार और विभाग ने शासन की राशि का गलत उपयोग किया है, इसकी जांच होना चाहिए और और भ्रष्ट लोगों पर कड़ी कार्रवाई होना चाहिए, ना कोई सडक़ की सही ढंग की मोटाई बनाई और ना हीं आइड साइड की किनोरे सही बनाई, जगह-जगह से टूट-फूट होकर कुछ ही समय में सडक जर्जर हो गई, इस सडक़ से निकलना मतलब मौत को दावत देने जैसा है। ऐसे लोगों पर तो कड़ी कार्रवाई होना चाहिए, जिससे इस तरह के घोटालेबाजों का सबक मिल सके और इस तरह घटिया सडक बनाने का कोई अन्य व्यक्ति साहस ना कर सके।
सडक़ बनाने के पहले निर्धारित होते हैं मापदंड
सडक़ बनाने के नाम पर किस तरह से भ्रष्टाचार किया जाता है. इसका अंदाजा प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना द्वारा भोयरा रोड से महुरी डुगरी तक बनाये गये रोड़ पर इसका जीता जागता उदाहरण है, यहां कुछ वर्ष पहले बनी सडक़ अपनी इस दशा पर आंसू बहाते दिख रही है। ग्रामीण सडक़ हो या शहरी उसके लिए विभाग पहले से ही मापदंड निर्धारित कर देता है उसमें कौन सी क्वालिटी की सीमेंट, गिट्टी, डामर, कौन सी रेत व अन्य सब कुछ निर्धारित मापदंड के आधार पर रहता है, जैसे तय मापदंड के मुताबिक सडक़ पर कितने इंच तक गिट्टी डामर होना है लेयर में बिछाने का प्रावधान है, कोैन सी कांक्रीट बिछाई जानी है, गिट्टी के साथ डामर कितना होना है, अच्छे से रोलिंग किया जाना होता है, सडक़ का थिकनेस कितने इंच का होना है, डामर वाली सडक़ पर कार्पेट लेयर का काम करना होता है, वही अनेकों कार्य कर सडक़ निर्माण कार्य बेहतर करना होता है, लेकिन यदि ठेकेदार और विभाग मापदंड के आधार पर बेस्ट काम करने लग जाए तो इस प्रकार की घटिया सडक़ें बने ही नहीं.! लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता ? यह सिर्फ कागजों और कम्प्युटर स्क्रीन पर ही अच्छा लगता है, जमीनी धरातल पर देखा जाए तो भ्रष्टाचार की इन कार्यों में बु सुनाई देती है। अब देखना यह है कि उक्त सडक की रिपेरिंग होती है या मार्ग से गुजरने वाले ग्रामीण भाई-बहनों को आगे भी अपनी जान जोखिम में डालकर सडक से गुजरना होगा ?
13 झाबुआ-1- रोड किनारे अंकिन मार्ग की जानकारी
13 झाबुआ-2- जर्जर सडक