जिला प्रशासन ले चुका है कब्जा, अब तक नहीं बनी जनहित में योजना
प्रमोद व्यास
उज्जैन: भूमाफियाओं और कब्जाधारी कंपनियों से छुड़ाई गई अरबों की जमीन लावारिस पड़ी हुई है. जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन ,नगर निगम ने जिन जमीनों को कब्जे से मुक्त कराया था उन पर अब तक कोई जनहित की योजना नहीं बन पाई है और उन पर धीरे-धीरे फिर कब्जे होने लगे हैं. बंद हो चुके कारखाने की ये जमीने शाम होते ही मयखाने में तब्दील हो जाती है.नवभारत ने उज्जैन शहर की ऐसी तमाम जमीनों की पड़ताल की जो भूमाफियाओं से लेकर बाहर की संस्थाओं द्वारा कारखाने के नाम पर ली गई थी, और वहां पर स्वहित में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही थी. जिनकी लीज समाप्त हो चुकी है, यही नही जिस उपयोग के लिए जमीन प्राप्त की गई थी वह कार्य भी वहां संचालित नहीं किए जा रहे थे, ऐसे में विभिन्न कोर्ट के आदेश से जमीने जिला प्रशासन ने मुक्त कराई थी,जो अब वीरान पड़ी हुई है.
खाली पड़ी तकयामी जमीन
1947 में देश आजाद हुआ उसके पहले रियासत काल में उद्योग व्यापार लगाने के लिए कम दाम पर जमीन आवंटित की जाती थी. तकयामी का मतलब होता है जब तक फैक्ट्री संचालित होती रहेगी, तब तक उस जमीन का उपयोग होगा, उसके बाद वह जमीन वापस लौटा दी जाएगी और यह जमीन लीज पर उस दौरान आवंटित की जाती रही है, तब रियासत काल था. यह तमाम जमीने कब्जे से मुक्त किए जाने के बाद अब तक लावारिस पड़ी है.
गणेश जिनिंग मिल जमीन भी रिक्त
वर्तमान में गणेश जिनिग मिल वाली जमीन का बाजार मूल्य 200 करोड़ रुपए है. इस तीन हेक्टेयर जमीन के मामले में शासन के पक्ष में, 13/10 /2021 को अहम फैसला सुनाया जा चुका है. तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह के नेतृत्व में तकयामी कारखाने की भूमियों को भूमाफियाओं के चंगुल से निकालकर प्रशासन के पक्ष में आधिपत्य लिया गया था, उस दौरान हरियाणा निवासी योगेश कुमार गुप्ता ने इस जमीन पर अपना अधिकार जताया था. यह बेशकीमती जमीन भी खाली पड़ी हुई है और कोई योजना जनहित में नहीं बन पाई.
नरेश जिनिंग मिल जमीन भी लावारिस
उज्जैन आगर रोड पर जिला प्रशासन ने नरेश जिनिग मिल की जमीन को भी अपने अधिपत्य में लिया था. कंपाउंड में जो दुकानें बनी थी उन्हें तोड़ा गया और 07/3/ 2021 को यह जमीन कब्जे में ले ली गई. इस जमीन के मौजूदा कीमत लगभग 500 करोड़ रुपए है. जिनिंग मिल में 32 दुकान कंपाउंड के अंदर बनी हुई थी जिन्हें हटा दिया गया तत्काल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उज्जैन के अधिकारियों ने बताया था कि मिल की 4.934 हैक्टर भूमि है जिस पर योजना बनाई जा सकती है. कंपाउंड के अंदर टायर पान की दुकान, नमकीन, होटल ,इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ,प्रिंटिंग प्रेस आटा चक्की मेडिकल जैसी दुकान चल रही थी ,जिन्हें 2021 में हटा दिया गया. इस जमीन पर भी अब किसी का किसी तरह का कब्जा नहीं है, बावजूद इसके जमीन का कोई उपयोग प्रशासन द्वारा नहीं किया जा रहा.
कवेलू कारखाना बना मयखाना
कवेलू कारखाने की 125 बीघा जमीन 16 फरवरी 2021 को कब्जे से मुक्त कराई गई थी, यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मल्टी बनाए जाने के साथ ही प्रथक से मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की भी योजना बनाई गई, अब तक यह योजना भी धरातल पर नहीं उतरी है यहां पर अवैध तौर पर डेढ़ सौ से ज्यादा मकान बने हुए थे जिन्हें जेसीबी के माध्यम से हटा दिया गया. नगर निगम ने कवेलू कारखाने की जमीन पर जनहित की योजना बनाने की बात कही थी. यह जमीन भी अपने दुर्दशा पर आंसू बहा रही है.
जमीनों पर लाएंगे योजना
गणेश जिनिग पर लंबे समय तक स्टे था, जो अब हट गया है, साथ ही नरेश जिनिग समेत जितनी भी जमीन प्रशासन के आधिपत्य में आ चुकी है उन पर जनहित में योजना बनाई जाएगी. कुछ जमीनों पर प्रदूषण रहित उद्योग भी लगाए जाएंगे.
– एलएन गर्ग, एसडीएम उज्जैन