नवभारत न्यूज
ओंकारेश्वर। खबर लिखने में शर्मिंदगी महसूस होती है, लेकिन यहां अति हो चुकी है। गुटका और तंबाकू का पीक थूकने में लोग विश्वप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग का परिसर भी नहीं बख्श रहे हैं। इसके पीछे का कारण मंदिर प्रशासन की ढीलाई है। यहां तक की बिल्व पत्र के डस्टबिन में भी लोगों ने इस तरह की हरकतें शुरु कर दी हैं। आखिर मंदिर प्रशासन क्या चाहता है? लोगों पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा है। दक्षिण भारत के मंदिरों की व्यवस्थाओं से इन्हें सबक लेना चाहिए। वहां के श्रद्धालुओं से भी आम श्रद्धालुओं को कुछ सीखना चाहिए।
यह उचित नहीं!
ओंकारेश्वर मंदिर परिसर तम्बाकू के पीक थूकने की गंदगी से भरा हुआ है। कमानी गेट के पास तपस्या गुफा के ऊपर से लेकर मंदिर के बाहर एवं रेम्प में गंदगी पसरी हुई है। मंदिर प्रशासन का इस पर विशेष ध्यान होना चाहिए।
थूकने पर दंड होना चाहिए। यहां तक कि फूल, बिल्वपत्र के डस्टबिन में भी तम्बाकू खाने वाले थूक देते हैं। ओंकारेश्वर जी ज्योतिर्लिंग भारत का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। किन्तु इसका भगवान ही मालिक है।
गर्भग्रह में मनमानी?
धांधली चरम सीमा पर है। कोई जबाबदार एक व्यक्ति नहीं है, जो सभी व्यवस्थाओं को देखे। अनुशासन रखे। सभी एक दूसरे को जबाबदार बताते है। गर्भग्रह में मनमानी होती है। चाहे जो गर्भ गृह में निकासी से प्रवेश कर पंहुच जाता है। इससे अवगमन में अवरुद्धता आती है। लड़ाई होती हैं।
दर्शन करके लौटने वालों को धक्का मुक्की करनी पड़ती है। चाहे जो दर्शनर्थियों को रोककर अपने लोगो को दर्शन करवाता है?
अव्यवस्था को
कौन रोकेगा?
इन सब धांधलियों को देखकर लगता है कि मंदिर का कोई माइ बाप नहीं है।
अनुशासन नाम की कोई बात नहीं है। कोई समाजसेवी आगे आकर सुझाव देता है, या सहयोग के लिए खड़ा होता है तो सबको खटकता है। यदि मंदिर ट्रस्ट ने अनुशासन सख्त नहीं किया। कर्मचारियों को अलग – अलग जबाबदारी के साथ मनमानी बन्द करके अनुशासन के साथ काम करने की हिदायत नहीं दी। धांधली बन्द नहीं करवाई तो परिणाम विपरीत होंगे।
क्या बोले मंदिर
ट्रस्ट के जिम्मेदार?
सहायक कार्य पालन अधिकारी अशोक महाजन ने कहा है कि सफाई प्रतिदिन की जाती है। तम्बाकू पीक थूकने वालों पर सख्त कार्रवाई करेंगे। सफाई पर विशेष मुहीम भी चलाई जाएगी।